प्राचीन काल से आधुनिक काल तक बदलते समय और नित नए अविष्कारों के साथ विज्ञान न सिर्फ अस्तित्व में आया है बल्कि दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की भी की है। जिंदगी की इस भागदौड़ में क्या हमने कभी ध्यान दिया है कि विज्ञान किस प्रकार हमारी जिंदगी में अहमियत रखता है। सुबह के समय मोबाइल फोन के अलार्म से लेकर रोजमर्रा की दिनचर्या तक, टेलीविजन के रिमोट से लेकर गाड़ी के गेयर तक हर तरफ विज्ञान का ही वर्चस्व कायम है। आलम यह है कि आदिमानवों के काल से शुरु हुआ मनुष्यों का सफर मशीनों तक जा पहुंचा है।
बचपन में हम अकसर मां की लोरी सुनते हुए तारों को तकते थे। कभी इन तारों को गिनने की नाकाम कोशिश होती थी तो कभी चंदा मामा की चमक में झलक रही लकीरों को समझने का प्रयास। नतीजतन मन में कई सवाल गोते लगाना शुरु कर देते थे जैसे कि – आसमान की ऊंचाई कितनी है? चन्द्रमा और पृथ्वी की दूरी कितनी है? आसमान में कुल कितने तारे हैं? क्या एलियन्स सच में होते हैं और होते हैं तो कहा रहते हैं? टूटते तारे का रहस्य क्या है? इत्यादि…।
कुछ सालों पहले इन सभी सवालों से न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़े भी अंजान थे। हालांकि विज्ञान के विस्तार के साथ इन रहस्यों की गांठें धीरे-धीरे खुलती चली गयीं और आज जहन में उठे सभी सवालों का जवाब इंटरनेट पर मौजूद है, जोकि विज्ञान की ही देन है। आज सवालों के जवाब को ढूंढने के लिए जद्दोजहद करने की आवश्यकता भी बिल्कुल नहीं है बल्कि विज्ञान की महत्वपूर्ण सौगात मोबाइल फोन पर सभी सवालों के जवाब उपलब्ध हैं। विज्ञान के विषय में किसी ने बहुत सही कहा है कि-
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“इंसानी दिमाग को आश्चर्य में खुशी मिलती है, इसीलिए वह विज्ञान से प्रेम करता है।”
वास्तव में विज्ञान का अस्तित्व 1200 ईसा पूर्व मिस्त्र में देखने को मिलता है। जिसके बाद विज्ञान ने पश्चिमी देशों में दस्तक दी और देखते ही देखते समूचे विश्व में फैल गया। दरअसल धरती पर विज्ञान की शुरुआत जिंदगी के आगाज के साथ ही हो गयी थी। फिर चाहे वो आग का आविष्कार हो, पहिए का आविष्कार हो, खेती की शुरुआत हो या फिर शिकार करने के लिए पत्थरों का हथियार हो।
जहां एक तरफ आग के आविष्कार ने मानव सभ्यता को नई ऊचाईयों पर पंहुचा दिया, वहीं खेती की शुरुआत के चलते लोगों ने एक जगह पर बस कर नई सभ्याताओं को जन्म दिया।
प्राचीन काल में भी सिंधु घाटी सभ्यता सहित वैदिक काल तक में कई वैज्ञानिक आविष्कारों के प्रमाण मिलते हैं। यही नहीं प्राचीन काल में पंतजलि और सुश्रत जैसे गुरुओं ने स्वास्थय के क्षेत्र में विज्ञान का सदुपयोग कर प्लास्टिक सर्जरी और लेजर ट्रीटमेंट जैसे कई अविश्वसनीय इलाजों का आविष्कार किया।
इसके अलावा कई मशहूर हस्तियों ने विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया। आर्यभट्ट द्वारा जीरो की खोज और नालंदा विश्वविद्यालय में खगोलशास्त्र और अतंरिक्ष की शिक्षा इसका एक बड़ा उदाहरण है। मशहूर वैज्ञानिक न्यूटन ने विज्ञान को महत्व देते हुए कहा था-
“मेरे लिए भौतिक सम्मान और गौरव के साधन कभी भी विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति से ज्यादा नहीं रहे हैं।“
आज हमारे पास विज्ञान के असंख्य उदाहरण मौजूद हैं। रेलगाड़ी से लेकर हवाई जहाज तक हर तरफ विज्ञान का बोलबाला है।
वहीं आधुनिक काल की लगभग 17वीं शताब्दी में पहली औद्योगिक क्रांति ने विज्ञान को मानव जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण और आसान बना दिया। मशीनों के आविष्कार के साथ शुरु हुआ ये सिलसिला इंटरनेट तक जा पहुंचा। जिसके जरिए एक ही जगह पर बैठ कर समूची दुनिया की जानकारी हासिल करना बेहद आसान हो गया।
विज्ञान के बढ़ते महत्व के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने 2001 में 10 नवम्बर को विश्व विज्ञान दिवस घोषित किया था। वहीं भारत में हर साल 28 फरवरी को प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ सी.वी रमन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
हालांकि इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि विज्ञान की तरक्की जितनी महत्वपूर्ण और उपयोगी है, उतनी ही खतरनाक भी है। विज्ञान के विषय में अंग्रेजी में एक कहावत है – science is a good servant but a bad master…जिसका अर्थ है कि विज्ञान एक अच्छा नौकर तो है, लेकिन यह उतना ही बुरा अध्यापक भी है। आधुनिक काल में यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है।
दरअसल वर्तमान में विज्ञान के कई दुर्पयोग भी हो रहे हैं। जिस मानव जीवन को आसान बनाने के लिए विज्ञान अस्तित्व में आया था, आज वही विज्ञान जीवन को अस्त-व्यस्त करने का कारण भी बन गया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मोबाइल फोन है। जिसका इस्तेमाल अमूमन संचार सुविधा को सुगम बनाने के लिए किया जाना चाहिए आज उसी का इस्तेमाल कई गलत कामों मसलन आतंकवाद, भ्रष्टाचार, परमाणु हथियार और साइबर अपराध जैसे कामों के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
विज्ञान की ही बदौलत वर्तमान में आधुनिक हथियारों से लेस आतंकवाद से आज दुनिया का कोई भी देश अछूता नहीं है। वहीं कई बड़े देशों में परमाणु हथियार बनाने की होड़ लगी है, तो कहीं साइबर अपराध आधुनिक जंग का रुप अख्तियार कर चुकी है। पर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा के शब्दों में-
“एक राष्ट्र जो अपने ऊर्जा के स्त्रोंतों को काबू में नहीं रख सकता है, ऐसा राष्ट्र अपने भविष्य को भी काबू में नहीं कर सकता है।“
बावजूद इसके तमाम उतार-चढ़ावों के बाद भी विज्ञान और तकनीकि के इस दौर में कुछ भी असम्भव नहीं रहा है। जलवायु परिवर्तन इसका एक बड़ा उदाहरण है। वर्तमान में सभी देशों के सामने जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है, जिसका एकमात्र उपाय भी विज्ञान ही है। विज्ञान के विषय में मुंशी प्रेमचन्द्र ने कहा था- “विज्ञान में इतनी विभूति है कि वह काल चिन्हों को भी मिटा दे”
सतत् विकास लक्ष्यों से लेकर पैरिस समझौते कर जहां दुनिया के सभी देश वैश्विक मंचों पर जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने का बिगुल फूंक रहे हैं, वहीं प्रदूषण पर काबू पाने के लिए आर्टिफीशियल बारिश इत्यादि उपाय विज्ञान की ही देन है।
इसके अलावा ग्रीन हाउस गैसों को कम करने के लिए हरित ऊर्जा के रुप में सौर्य पैनल से लेकर ईलैक्ट्रिक वाहनों तक में विज्ञान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने भी विश्व गुरु बनने की तरफ कई अहम कदम उठाए हैं। भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सौर्य संगठन की स्थापना और 2022 तक दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क भारतीय रेलवे को पूरी तरह से ईलैक्ट्रिक बना देने का लक्ष्य विज्ञान की भूमिका पर ही निर्भर करता है। वहीं भारत सरकार द्वारा 2025 तक देश को पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में विज्ञान ही मुख्य भूमिका में नजर आएगा।
विज्ञान के महत्व का उदाहरण हाल ही में समूचे विश्व में देखने को मिला। कोरोना वायरस की भयंकर त्रासदी पर विजय हासिल कर विज्ञान एक बार फिर सूर्खियों में आ गया। कोरोना वायरस की वैक्सीन से लेकर इलाज के तमाम नुस्खों तक, फेस मास्क से लेकर सैनिटाइजर, योगाभ्यास, आनलाइन कक्षाएं, घर से ऑफिस का काम करने तक विज्ञान शिक्षा से स्वास्थय तक हर क्षेत्र में मुख्य भूमिका में बना रहा।
ऐसे में जाहिर है विज्ञान का यह सफर बस यहीं थमने वाला नहीं है। विज्ञान अगर कुछ समस्याओं का कारण है तो उनका उपाय भी कहीं न कहीं विज्ञान में छुपा है। मशहूर वैज्ञानिक स्टीफिन हॉकिन्स के शब्दों में-
“विज्ञान इंसान को बिमारी से निकाल सकता है, मगर वो बदले में इंसान की सामाजिक अशांति खत्म कर सकता है।“
Essay on Science in Hindi FAQ
विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है और क्यों
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को (unesco) ने 2001 में 10 नवम्बर को विश्व विज्ञान दिवस घोषित किया था। जिसके बाद पहली बार 10 नवम्बर 2002 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया था।
साइंस दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत में हर साल 28 फरवरी को प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ सी.वी रमन के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है।
विश्व विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है
विश्व विज्ञान दिवस हर साल 10 नवंबर को मनाया जाता है
विज्ञान पर संक्षिप्त निबंध हिंदी में | Vigyan ka Chamatkaar – best Short Essay On Science in Hindi
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