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अंधे साधु का राज | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | andhe sadhu ka raaz akbar birbal ki kahani
1 दिन बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था। सभी दरबारी बादशाह के साथ अलग-अलग विषयों पर चर्चा कर रहे थे, परंतु बीरबल तबीयत खराब होने के कारण अपने घर चले गए थे। वे घर पहुंचकर चारपाई पर बैठे ही थे कि किसी ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलने पर उन्होंने देखा कि महल का एक नौकर सामने खड़ा है।
बीरबल के पूछने पर वह बोला, “ बीरबल जी, बादशाह अकबर ने आपको तुरंत महल में बुलाया है। आपके किसी संबंधित से जुड़ा कोई बहुत महत्वपूर्ण मामला है।”
मेरे संबंधी, मेरे कौन से संबंधियों को बादशाह अकबर की मदद लेनी पड़ रही है? बीरबल ने सोचा। नौकर की बात सुनते हैं बीरबल तुरंत दरबार में गए। उन्होंने देखा कि उनके रिश्ते का एक भाई, उनकी पत्नी और उनकी अनाथ भतीजी, बादशाह से मदद मांगने आए हैं।
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वह बच्ची बीरबल के दूर के रिश्ते के एक भाई की बेटी थी। बीरबल बोले, “ जहांपना, क्या मामला है? सब ठीक तो है ना?”
अकबर ने कहा, “ बीरबल, मामला बहुत गंभीर है। तुम्हारे रिश्तेदारों ने बताया कि वह तुम्हारी भतीजी को एक अंधे साधु के पास ले गए थे, ताकि उसके भविष्य की जानकारी प्राप्त हो सके। लेकिन जब तुम्हारी भतीजी ने उस साधु को देखा, तो वह डर के मारे चिल्लाने लगी। फिर इसने बताया कि यह वही व्यक्ति है, जिसने उसके माता पिता की हत्या की थी। इस मामले में तुम्हारी मदद चाहिए।”
बीरबल ने कहा, “ जहांपना, कुछ समय पहले इस बच्ची के माता-पिता कि किसी ने हत्या कर दी थी और हम अभी तक उस हत्यारे का पता नहीं लगा सके। अगर वह हत्या उस साधु ने की है, तो यह जानने के लिए पहले हमें उस साधु को दरबार में बुलाना चाहिए। तभी उस अंधे साधु का रहस्य खुल सकेगा।”
अगले दिन अंधे साधु को दरबार में बुलाया गया। उसने मेरे मां बाप को मारा है, इसी ने उनकी हत्या की है।
इसे यहां से ले जाकर जेल में डाल दो।”
वह साधु बोला, ” यह लड़की कौन है?” ऐसी बातें क्यों बोल रही है? मैं भला किसी को कैसे मार सकता हूं? मैं तो देख भी नहीं सकता।”
बीरबल को अंदाजा हो गया था कि वह साधु धोखेबाज है। उन्होंने सच्चाई जानने के लिए एक तरकीब की सोच ली। इसके बाद बीरबल ने साधु को दरबार के बीच में लाकर खड़ा कर दिया।
फिर भी अचानक उसकी और एक नंगी तलवार लेकर ऐसे आए, जैसे उसे मारने जा रहे हो।”
अंधा साधु अपनी तलवार निकालकर लड़ने के लिए तैयार हो गया। तभी उसे एहसास हुआ कि उसने बहुत बड़ी भूल कर दी है। क्योंकि अब सबको पता चल गया कि वह अंधा साधु नहीं, “ बल्कि एक धोखेबाज है।
बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा, “ जहांपनाह अगर यह साधु अंधा होता, तो इस तरह पेश ना आता। इस साधु ने अपनी तलवार निकालकर अपनी असलियत खुद ही बता दी है। यह एक धोखेबाज साधु है। और इसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए।”
बादशाह अकबर ने बीरबल की बात नहीं मानी और उस नकली साधु को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया।
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