आज का युग इंटरनेट का युग है। शायद ही ऐसी कोई जानकारी होगी जो आपको यहां उपलब्ध न हो। आज का अधिकांश युवा अपना अधिक से अधिक समय इंटरनेट पर ही बिताता है। इसने हर फ़ील्ड मे अपनी जगह बना ली है। इंटरनेट के माध्यम से न केवल एक देश बल्कि पूरी दुनिया आपस मे जुड़ गई है।
हम सब जानते है आज के समय मे इंटरनेट है, तो लाइफ है। इसके माध्यम से समय की भी बचत होती है और काम बहुत ही आसानी से हो जाता है। हर किसी की जुबान पर यही बात होती है क्योंकि यह बात सभी जानते हैं कि इंटरनेट के बिना पूरे देश का काम रुक जाएगा। इसलिए आज हम आपको इंटरनेट के ऐसे टैक्नीकल टर्म के बारे मे बता रहे हैं जो बहुत ही महत्वपूर्ण है और वो है एचटीटीपी (HTTP)।
What is the full form of HTTP? एचटीटीपी का फुल फॉर्म क्या होता है?
full form of HTTP | Hyper text transfer protocol |
full form of HTTP in Hindi | हाइपर टेक्स ट्रांस्फर प्रोटोकॉल |
Inventor | Tim Berners-Lee |
invention | 1990 |
URL Address | http:// |
एचटीटीपी का फुल फॉर्म होता है “हाइपर टेक्स ट्रांस्फर प्रोटोकॉल”। जिसे इंग्लिश मे लिखते हैं Hyper text transfer protocol यह वेबसाइट पर एक प्राइमरी टैक्नोलॉजी प्रोटोकॉल है। मुख्य रुप से इसका इस्तेमाल लिंकिंग (linking) और ब्राउज़िग (browsing) के लिए किया जाता है।
अगर देखा जाए तो टैक्नोलॉजी दिन पर दिन बहुत आगे बढ़ती जा रही है और शायद इसलिए ही आज के ब्राउज़र्स (browser) को अब यू आर एल (URL) के सामने एचटीटीपी (HTTP) की ज़रुरत ही नही पड़ती। और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह कम्यूनिकेशन (communication) का डिफॉल्ट मेथड़ (Default method) है। आज के समय मे ज़्यादा ब्राउज़र्स (browser) एचटीटीपी ही लेते हैं। क्योंकि यह बहुत ही आसान होता है। और आपको सिर्फ डोमेन नेम (Domain name) ही भरना पड़ता है। जिसके बाद ब्राउज़र (browser) खुद ही HTTP को फिल कर देता है।
आप को यह तो जानकारी मिल ही गई है कि HTTP एब्रिविएशन (abbreviation) होता है Hyper text transfer protocol का। अब इसके बारे मे जानते हैं कि एचटीटीपी होता क्या है।
What is HTTP? एचटीटीपी क्या होता है?

आपने देखा होगा जब भी आप कोई वेबसाइट गूगल पर ओपन करते हैं तो उस वेबसाइट के साथ आपको एचटीटीपी भी लिखा मिलता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि यह किसलिए लिखा होता है? और इसका मतलब क्या है। दरअसल एचटीटीपी एक डेटा कम्यूनिकेशन (data communication) के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक एप्लीकेशन प्रोटोकॉल होता है। एचटीटीपी www (world wide web) मे डेटा कम्यूनिकेशन (data communication) का एक आधार है। जितने भी उपयोग करता होते हैं एचटीटीपी उनको एक स्टेंडर्ड प्रदान करता है। जिसके माध्यम से यूज़र्स (users) अपनी जानकारी को आसानी से सांझा कर सकते हैं।
HTTP एचटीटीपी का उपयोग वेब सर्वर मे एचटीएमएल कोडिड पेज (HTML coded pages) को दिखाने के लिए किया जाता है। एचटीटीपी एक स्टेटलैस प्रोटोकॉल है जहां पर वेब ब्राउज़र वेब सर्वर से मिलता है। (से संबंध स्थापित करता है)
How HTTP Works? एचटीटीपी कैसे काम करता है?
इंटरनेट पर काम करने के लिए एचटीटीपी की आवश्यकता होती है। और यह अपना काम करने के लिए एक क्लाइंट सर्वर मॉडल कम्यूनिकेशन (Clint- server model communication) का इस्तेमाल करता है। जो टीसीपी (TCP) के टॉप पर बनाया गया एक एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल (Application layer protocol) होता है।
एचटीटीपी क्लाइंट सर्वर, एचटीटीपी रिक्वेस्ट (request) और रिस्पॉंस (response) के ज़रिए बातचीत करते हैं। इसके तीन प्रकार के मुख्य टाइप होते हैं। GET, POST और HEAD
एचटीटीपी GET message को किसी भी सर्वर (server) पर भेजने के लिए केवल एक ही यू आर एल (URL) की आवश्यकता होती है। सर्वर यू आर एल के ऑप्शनल डेटा पेरामिटर को प्रोसेस करते हैं। और ब्राउज़र के परिणाम देते हैं।
अगर एचटीटीपी POST की बात करें तो एचटीटीपी पोस्ट मैसेज (Http post message) को यूआरएल (URL) के अंत मे जोड़ने के बजाए रिक्वेस्ट मैसेज बॉडी (Request message body) मे ऑप्शनल डेटा पेरामिटर (optional data parameter) रखता है।
HTTP हेड रिक्वेस्ट (HEAD request) गेट रिक्वेस्ट (GET request) की तरह ही काम करता है। और यूआरएल (URL) के पूरे कंटेंट का जवाब देने के बजाए सर्वर सिर्फ हेडर इंफोर्मेशन (Header information) को ही एचटीएमएल सेक्शन (HTML section) के अंदर वापस भेजता है। इसके बाद यह ब्राउज़र (browser) से एक टीसीपी कनेक्शन (TCP connection) शुरु करके HTTP सर्वर के साथ बातचीत करना शुरु करता है।
वेब ब्राउज़िंग सेशन डिफॉल्ट (Web browsing session default) सर्वर पोस्ट (server post) 80 का उपयोग करते हैं। लेकिन कभी- कभी इसके बजाए 8080 जैसे दूसरे पोर्ट भी उपयोग किए जाते हैं। जिसके बाद एक सेशन के इस्टेब्लिश (Establish) होने के बाद यूज़र्स एचटीटीपी पेज पर जाकर मैसेज भेजने और प्राप्त करने के लिए ट्रिगर करते हैं।
HTTP एचटीटीपी और HTTPS मे क्या अंतर हैं।
1. एचटीटीपी एक प्रकार का प्रोटोकॉल है, जिस पर यूज़र डेटा और इंफॉर्मेशन हाइपर टेक्स के फॉर्म मे जाता है, जिसे कोई भी व्यक्ति बहुत ही आसानी के साथ इस्तेमाल कर सकता है। वहीं एचटीटीपीएस पूरी तरह से सुरक्षित होता है। यानी कि आपके ब्राउज़र और वेबसाइट के बीच सभी डेटा ट्रांसफर इंक्रप्टिड किए जाते हैं। जिसकी वजह से इसे डेटा हैकर द्वारा किसी भी प्रक्रिया से हैक नही किया जा सकता है।
2. HTTP का (URL) HTTP:// के साथ शुरु होता है और HTTPS:// का (URL) HTTPS:// के साथ शुरु होता है।
3. HTTP प्रोक्सी सर्वर एचटीटीपी कनेक्शन पोर्ट 80 को सपोर्ट करता है। और HTTPS प्रॉक्सी सर्वर एसएसएल कनेक्शन पोर्ट 443 का पूरा सर्पोट करता है।
4. HTTP द्वारा ऑनलाइन बैंकिग ऑनलाइन शॉपिंग करना सुरक्षित हो सकता है। और वही HTTPS का उपयोग अक्सर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन मे लेन देन की रक्षा के लिए ही होता है। क्योंकि कई ऐसे ब्लॉक स्कूल या कॉलेज की वेबसाइट बनाई जाती है। जो इंफॉरमेशन शेयर करने के लिए एचटीटीपी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
5. एचटीटीपी मे किसी सर्टिफ़िकेट की आवश्यकता नही पड़ती है। इसलिए ये फ्री होता है, जिसके कारण यह अपने आप सभी ब्लॉग और वेबसाइट मे एड हो जाता है, लेकिन HTTPS एक पेड सर्विस है। जिसको इस्तेमाल करने के लिए एसएसएल सर्टिफ़िकेट की आवश्यकता होती है।
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Importance of http in Hindi एचटीटीपी का क्या महत्व है
इंटरनेट की दुनिया मे एचटीटीपी का बहुत महत्व है। इस टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल वेब सर्वर और वेब यूज़र के बीच बेहतर बातचीत के लिए किया जाता है। इसकी खास बात यह है कि यह प्रोटोकॉल बड़े मल्टीफंक्शन और मल्टी इंपुट का बेस है। अगर देखा जाए तो कोई भी लिंक ठीक तरीके से काम करने के लिए एचटीटीपी पर निर्भर करता है। और यह सब जानते हैं कि कोई भी वेब बिना कम्यूनिकेशन के काम नही करेगा।
जब भी किसी वेब पेज को खोला जाता है तो साथ ही यूआरएल एड्रेस से पहले HTTP:// एंटर किया जाता है। जिसके बाद ब्राउज़र को एचटीटीपी पर बातचीत करने के लिए कहता है।
HTTP security एचटीटीपी सुरक्षा
एचटीटीपी यूज़र्स वैसे तो अपनी जानकारी जैसे नाम, स्थान, मेल, पता, पासवर्ड आदि को सुरक्षित रखते हैं। लेकिन फिर भी कुछ सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए-
1. एचटीटीपी प्रोटोकॉल का उपयोग करने वाले ऑथर को संवेदनशील डेटा को इकट्ठा करने के लिए गेट आधारित पत्रों का उपयोग नही करना चाहिए। इससे डेटा अनुरोध यूआरएल मे एनकोड हो जाता है।
2. सभी गुप्त जानकारी को एंक्रिप्ट रुप से सर्वर पर रखा जाना चाहिए।
3.अगर संदर्भ पृष्ठ को सेफ प्रोटोकॉल के साथ किया जाए तो यूज़र्स को एक गैर सुरक्षित एचटीटीपी मे रेफर हेडर मे शामिल नही करना चाहिए।
निष्कर्ष- इस लेख मे हमने आपको एचटीटीपी का फुल फॉर्म Hyper text transfer protocol और इससे जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है। इससे संबंधित आप कुछ जानना चाहते हैं तो हमे नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स मे कमेंट कर सकते हैं।
Reference-
2020, http, विकिपीडिया