- श्रीगणेश चतुर्थी पर्व – Shri Ganesh Chaturthi Festival
- गणेश चतुर्थी कब मनाते हैं – When is Ganesh Chaturthi celebrated?
- गणेश चतुर्थी कैसे मनाते हैं – How is Ganesh Chaturthi celebrated?
- गणेश उत्सव मनाने का पौराणिक कारण – Traditional reasons of celebrating Ganesh Utsav
- 11 दिनों तक गणेश महोत्सव मनाने के कारण – Reasons for celebrating Ganesh Utsav for 11 days
- References
श्रीगणेश चतुर्थी पर्व – Shri Ganesh Chaturthi Festival
“श्री गणेश करना” एक हिंदी मुहावरा है जिसका अर्थ होता है किसी भी कार्य को प्रारंभ करना । वास्तव में भारतीय संस्कृति में किसी भी शुभ काम को करने से पहले श्री गणेश जी का पूजन का विधान बताया गया है । प्रत्येक धार्मिक कार्य, पूजा, अनुष्ठान यज्ञ आदि में देवी-देवता, ईश्वर-भगवान आदि की पूजा करते समय सबसे पहले गणेश जी की पूजा होती है । गणेश जी को प्रथम पूज्य कहा गया है । इस कारण वर्ष के प्रत्येक दिन गणेश जी की पूजा किसी न किसी रूप में होती ही है ।
धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पद्धति में पूजा करने के लिए सबसे पहले गणेश जी और उनकी माता पार्वती का प्रतीक गोबर से गौरी-गणेश बना कर पूजा किया जाता है यदि किसी कारण वश गोबर उपलब्ध ना हो तो सुपारी का गौरी-गणेश मानकर पूजा किया जाता है । इस प्रकार भारतीय जीवन दर्शन में गणेश जी की महत्ता स्वयं सिद्ध है ।
गणेश चतुर्थी कब मनाते हैं – When is Ganesh Chaturthi celebrated?

ऐसे तो प्रत्येक महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी या अन्य नामों से गणेश जी के व्रत किए जाते हैं । किंतु भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि ही गणेश चतुर्थी के रूप में विख्यात है । भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक 11 दिनों को गणेश महोत्सव के रूप में मनाया जाता है ।
गणेश चतुर्थी कैसे मनाते हैं – How is Ganesh Chaturthi celebrated?
गणेश महोत्सव ऐसे तो पूरे भारत देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है किंतु महाराष्ट्र प्रदेश का गणेश उत्सव विश्व विख्यात है । मुंबई के लाल बाग में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा “लालबाग का राजा” के रूप में पूरी दुनिया में जानी जाती है ।
देश के अधिकांश भागों में भादो मास की शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर अनवरत 11 दिन पूजा करने के पश्चात अनंत चतुर्दशी को विसर्जित करते हैं । किंतु महाराष्ट्र में इन 11 दिनों में किसी भी दिन गणेश जी की स्थापना कर लेते हैं और चाहे जितने दिन रखकर विसर्जित कर सकते हैं ।
पूरे भारत में 11 दिनों तक गणेश उत्सव का धूम रहता है । इन 11 दिनों के अंदर गणेश जी के धार्मिक अनुष्ठान पूजा पाठ के अतिरिक्त विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं । गणेश जी की स्थापना के लिए आकर्षक पंडाल सज़ाएँ जाते हैं । इसे देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है । कहीं-कहीं गणेश पंडाल की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है । जिस आयोजक मंडल का पंडाल सबसे अच्छा सजा होता है उसे पुरस्कार भी दिया जाता है ।
गणेश उत्सव मनाने का पौराणिक कारण – Traditional reasons of celebrating Ganesh Utsav
गणेश पुराण के अनुसार भाद्र मास की शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी का अवतरण दिवस माना जाता है । ऐसे तो गणेश चतुर्थी की कई-कई कथाएं प्रचलित हैं किंतु शिवपुराण की कथा जन साधारण में अधिक प्रचलित है ।
इस प्रचलित कथा के अनुसार-एक बार माता पार्वती स्नान करने के लिए अपने देह पर हल्दी चंदन आदि का उबटन लगा कर और उसी उबटन से एक पुतला तैयार करके उसे जीवंत कर देती हैें । पुतले ने जीवित होकर माता के चरणों में प्रणाम किया तब माता ने उन्हें आदेश दिया कि उनके स्नान करने तक वह द्वारपाल के रूप में दरवाजे पर खड़ा रहे और किसी को अंदर ना आने दे ।
उस बालक ने मां की आज्ञा का पालन किया और द्वार पर डट गया इसी बीच शिव गणों ने अंदर आने की चेष्टा की जिससे बालक का महायुद्ध हुआ और शिवगण पराजित हो गए ।
भगवान शंकर जी ने भी जब अंदर आना चाहा तो उस बालक ने उन्हे भी रोक दिया इस पर भगवान शंकर ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया। इस पर माता पार्वती अत्यंत रुष्ट हो गई और वह पूरी सृष्टि को नष्ट करने के लिए उद्धृत हो गई ।
इस पर सभी देवताओं ने माता पार्वती की अनुनय विनय किये तब माता ने कहा कि इस बालक को जीवित कर दिया जाए इस पर भोलेनाथ ने कहा कि इस समय उत्तर दिशा की ओर मुंह कर सोया हुआ प्राणी जो सबसे पहले मिले उसका सिर काट कर लाया जाए
इस पर भगवान विष्णु एक हाथी के सिर को काट कर ले आये भगवान भोलेनाथ ने उस हाथी के सिर को उस बालक के धड़ से जोड़ दिया और वह बालक गजमुख के रूप में जीवित हो गया जिसे मां पार्वती ने स्नेह से गले लगा लिया। इस प्रकार गजमुख, गजानन, गणेश जी प्रकट हुए । जिसे ब्रह्मा विष्णु महेश सहित सभी ने देवों में अग्रपूजा करने योग्य देव के रूप में स्वीकार किया । इस दिन की तिथि भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी इसलिए इस तिथि को गणेश जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

11 दिनों तक गणेश महोत्सव मनाने के कारण – Reasons for celebrating Ganesh Utsav for 11 days
1. पौराणिक कारण-
जब वेदव्यास जी को महाभारत रचने की इच्छा हुई तो उन्हें एक लेखक की आवश्यकता महसूस हुई तब उसने भगवान भोलेनाथ से जाकर अपनी इच्छा प्रकट की। तब भगवान भोलेनाथ ने लेखक के रूप में गणेश जी को वेदव्यास जी के साथ भेज दिया ।
गणेश जी की शर्त थी कि एक बार लेखनी रुक जाए तो दोबारा नहीं लिखेगें जबकि वेदव्यास जी की शर्त थी कि उसके बोलते ही शब्द लिखा जाना चाहिए । वेदव्यास जी बोलते गए और गणेश जी लिखते गए इस प्रकार यह प्रक्रिया पूरे 10 दिन तक चली । 10 दिन तक अनवरत लेखन कार्य करने के कारण गणेश जी का शरीर ताप से गर्म हो गया । ग्यारहवे दिन जब वेदव्यास जी ने देखा कि गणेशजी का देह तप रहा है तब उसने उसे कुण्ड में स्नान कराया तब जाकर शरीर का ताप कम हुआ इसी कारण दस दिनों तक गणेशजी का पूजा करके ग्यारहवें दिन मूर्ति विसर्जित किया जाता है ।
2. ऐतिहासिक कारण-
सन् 1893 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय समाज के एकीकरण के उद्देश्य से बाल गंगाधर तिलक ने गणेश उत्सव को एक ऐसा मंच बनाया जिसकी सहायता से अंग्रेजो के विरूद्ध अपनी बात, देश की आजदी की बात लोगों तक पहुँचाया जा सके ।
इसे पूरे ग्यारह दिन तक धूम-धाम से मनाया जाने लगा । इसके पूर्व यह मनाया तो जाता था किन्तु इतनी भव्यता नहीं थी । केवल देवालयों में घरों में इस उत्सव को मना लिया जाता था । किन्तु इस समय के बाद इसे सार्वजनिक रूप से मनाये जाने की प्रथा प्रारंभ हो गई । चूँकि यह महाराष्ट्र से प्रारंभ हुआ था यही कारण है कि इसका प्रभाव आज भी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में ही देखने को मिलता है ।
गणेशोत्सव का महत्व- गणेशोत्सव मनाने का धार्मिक, सांस्कृति एवं सामाजिक महत्व है । ऐसे तो किसी महिने के शुक्ल चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का व्रत करने से जीवन के हर बाधा से मुक्ति मिलती है क्योंकि गणेश जी विघ्नविनायक हैं । किन्तु एक भादों मास का गणेश चतुर्थी का महत्व शेष माह के सभी विनायक चतुर्थी के बराबर माना गया है क्योंकि भादो शुक्ल चतुर्थी गणेश जी का जन्मदिन है । अपने जन्म दिन पर भगवान गणेश शीघ्रता से प्रसन्न होकर भक्तों के विघ्न हरते हैं ।
गणेशोत्सव में पूरे ग्यारह दिन तक विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाते हैं जिससे सांस्कृतिक उत्थान होता है, अपनी संस्कृति को बचाये रखने में मदद मिलती है । सांस्कृतिक कलाकारों, लोक कलाकारों को अपनी कला के प्रदर्शन के लिये एक मंच मिलता है ।
जिस प्रकार बाल गंगाधर तिलक इस उत्सव का सामाजिक उपयोग जन चेतना जागृत करने में सफल रहा उसी प्रकार आज भी विभन्न सामाजिक समस्याओं के निराकरण के लिये यह उत्सव बहुत सहायक है । गणेशोत्सव मंच कि सहायता देश के तात्कालिक समस्या पर लोगों में जन जागृति लाया जाता है । इस प्रकार यह उत्सव हर प्रकार से उपयोगी एवं कल्याणकारी है । विघ्नहर्ता भगवान गणेश की अराधना मात्र संकटों से लोगों को बचा सकता है । फिर यह तो उनका माहपर्व है, जो निश्चित रूप से मानव कल्याणकारी है ।

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