जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Population Growth Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Population Growth in Hindi

 अनियन्त्रित जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Population Growth Essay in Hindi

जनसंख्या वृद्धि न केवल भारत वरन् सम्पूर्ण विश्व की एक प्रमुख समस्या बनकर उभरी है। आज सम्पूर्ण विश्व इसके दुष्परिणामों से चिन्तित है। सुप्रसिद्ध विचारक गार्नर का कहना है कि जनसंख्या किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन सम्पन्नता राज्य के पास है। इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है कि जनसंख्या किसी देश के लिए वरदान होती है, परन्तु जब अधिकतम सीमा रेखा को पार कर जाती है, तो वही अभिशाप बन जाती है। 

वर्तमान समय में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है। हमारे सामने जनसंख्या विस्फोट की समस्या बनी हुई है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 140 करोड़ हो गई है, जोकि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय लगभग 36 करोड़ थी। इस प्रकार भारत में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि परिलक्षित होती है। भारत मेंविश्व की जनसंख्या की लगभग 17.5% जनसंख्या निवास करती है। जबकि भारत का कुल क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2. है। 

  • नोम चामस्की ने कहा है- “आप बलपूर्वक अपनी जनसंख्या नियन्त्रित नहीं कर सकते, मगर यह रोग द्वारा नियन्त्रित कर दी जाएगी।”
  • प्रसिद्ध अर्थशास्त्री माल्थस ने भी कहा था कि “जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रकृति द्वारा महामारी आदि

रूपों में उसका नियन्त्रण कर लिया जाता है।” जनसंख्या वृद्धि किसी भी क्षेत्र में लोगों की संख्या बढ़ने को कहा जाता है। पूरी दुनिया में मनुष्य की जनसंख्या प्रति वर्ष लगभग 8.3 करोड़ या 1.1% की दर से बढ़ रही है। 1800 ई. में पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 1 अरब थी जो 2019 तक बढ़कर 7.7 अरब हो गई। आगे भी इसकी संख्या में वृद्धि का अनुमान है। वर्ष 2030 तक दुनिया की आबादी 8.6 अरब, वर्ष 2050 तक 9.8 अरब तथा 2100 तक दुनिया की आबादी 11.2 अरब होने का अनुमान है।

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामले विभाग के जनसंख्या प्रकोष्ठ (Department of Economics and Social affairs Population Division) ने जून 2019 में ‘द वर्ल्ड पापुलेशन प्रास्पेक्ट 2019 रिवीजन रिपोर्ट जारी की। इसमें अनुमान लगाया गया है कि भारत की आबादी वर्ष 2027 में चीन से अधिक हो जाएगी। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1.36 अरब और चीन की जनसंख्या लगभग 1.43 अरब है। यद्यपि दोनों देशों के क्षेत्रफल में तो कोई परिवर्तन नहीं हो सकता, किन्तु जनसंख्या के मामले में भारत 2027 तक चीन को पीछे छोड़ देगा। इसके बाद भारत की आबादी 2030 में लगभग 1.5 अरब तथा 2050 में लगभग 1.63 अरब हो जाने का अनुमान है।

Population Growth Essay in Hindi
Population Growth Essay in Hindi

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जनसंख्या वृद्धि के कारण

भारत में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न महत्त्वपूर्ण कारणों में जन्म एवं मृत्यु दर में असन्तुलन, कम उम्र में विवाह, शिक्षा का निम्न स्तर, धार्मिक और सामाजिक अन्धविश्वास, निर्धनता, पुत्र शिशु की अनिवार्यता, परिवार नियोजन में कमी, मनोरंजन के साधनों की कमी, संयुक्त परिवार, परिवार में युवा दम्पतियों में अपने बच्चों के पालन-पोषण के प्रति जिम्मेदारी का अभाव तथा बंध्याकरण, ट्यूबेक्टॉमी एवं लूप के प्रभावों के विषय में गलत सूचना या सूचना का अभाव आदि उल्लेखनीय हैं। गरीबों द्वारा अधिक बच्चे पैदा करना दर्शाता है कि गरीबी एवं जनसंख्या के बीच आन्तरिक सम्बन्ध है।

गरीबी या निर्धनता भी जनसंख्या वृद्धि का एक कारण है। गरीब व्यक्ति अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं से जूझते हुए बाध्य होकर बच्चों को स्कूल जाने से रोकता है तथा कम उम्र में ही काम पर लगा देता है, ताकि वे घर चलाने में मदद कर सके। इस प्रकार अशिक्षित बच्चे अपने माता-पिता के जैसे भाग्य के उत्तराधिकारी होते हैं और अपने पिता की ही तरह अधिक सन्तानोत्पत्ति में विश्वास करते हैं।

धार्मिक दृष्टि से कट्टर एवं रूढ़िवादी लोग परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के विरुद्ध होते हैं। कुछ ऐसी भी महिलाएँ होती हैं, जो तर्क देती है कि बच्चे भगवान की इच्छा से पैदा होते हैं और महिलाएँ बच्चों को जन्म देने के लिए हो नियत की गई हैं। हिन्दू समुदाय की तुलना में मुस्लिम परिवारों की जन्म दर अधिक है। समय-समय पर मुस्लिम समुदाय के सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि आधुनिक परिवार नियोजन उपायों के बारे में जानकारी होते हुए भी धार्मिक कारको और नियतबाद दृष्टिकोण के कारण महिला और पुरुष दोनों उत्तरदाता इसके उपयोग के विरुद्ध पाए जाते हैं।

तीव्र जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव व उपाय

अत्यधिक जनसंख्या प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण पर प्रभाव डालती है। बढ़ती आबादी खाद्यान्न का और अधिक उत्पादन करने हेतु पृथ्वी पर भार डालती है और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर भी। नतीजन लोगों को कुपोषण, भुखमरी और अस्वस्थता का सामना करना पड़ता है। जनसंख्या वृद्धि प्रदूषण और वनों की कटाई के गम्भीर रूपों को दर्शाती है। 

जनसंख्या वृद्धि अशिक्षा, बेरोजगारी और गरीबी के दुष्चक्र को जन्म देती है। शिक्षा का अभाव लोगों को अपनी आजीविका कमाने और अपने जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के अवसरों से वंचित रखता है। जनसंख्या वृद्धि से थन और आय का असमान वितरण होने के कारण अमीरों और गरीबों के बीच का अन्तर सदैव बना रहता है।

जनसंख्या पर नियन्त्रण न होना कई क्षेत्रों में चुनौती पैदा कर रहा है। सबसे बड़ी चुनौती तो आर्थिक क्षेत्र में है। जनसंख्या में वृद्धि से भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि सभी क्षेत्रों में संकट पैदा हो गया है।

इन समस्याओं की पहचान निम्न बिन्दुओं से कर सकते हैं-

  • लिंगानुपात में असमानता ।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवास सम्बन्धी मांग में वृद्धि।
  • गरीबी व बेरोजगारी में वृद्धि। 
  • पर्यावरण असन्तुलन |
  • बढ़ता आतंकबाद।

सरकार की कोई योजना, जिसे जनसंख्या को लक्ष्य करके बनाया जाता है, उसके क्रियान्वयन तक जनसंख्या का स्वरूप बदल चुका होता है, जिससे सारी योजना असफल हो जाती है। अत: पानी, बिजली, विद्यालय, चिकित्सालय परिवहन तथा कई अन्य क्षेत्रों में सरकार के कारगर कदम के बावजूद वांछित परिणाम नहीं मिल रहा है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण खेती योग्य भूमि का उपयोग मकान आदि बनाने में किया जा रहा है, इससे पैदावार में कमी आई है। मजदूरों को काम मिलने में कठिनाई हो रही है। अत: काम की तलाश में स्थान परिवर्तन करना पड़ता है जिससे असुरक्षा और अस्थिरता की भावना बढ़ी है तथा अपराध में वृद्धि हुई है। गरीबी में वृद्धि और रोजगार के अवसर कम हुए हैं और बेरोजगारों की संलिप्तता अपराध में बढ़ी है। आतंकबाद, सम्प्रदायवाद, नस्लवाद, क्षेत्रीयतावाद आदि के लिए यही समीकरण उत्तरदायी हैं। पर्यावरण पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

लगातार बढ़ती जनसंख्या पर नियन्त्रण हेतु कुछ कारगर उपायों की आवश्यकता है, जिनमें से कुछ निम्न हैं

  • दो या दो से कम सन्तान वाले दम्पति को प्रोत्साहन देना चाहिए। 
  • जनसंख्या नियन्त्रण कार्यक्रमों को धार्मिक एवं राजनैतिक दांव-पेंचों से दूर रखा जाना चाहिए।
  • विवाह की आयु में वृद्धि करनी चाहिए।
  • विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य करना चाहिए।
  • परिवार नियोजन के साधनों को अति सुलभ बनाया जाए।
  • शिक्षा प्रणाली में राष्ट्रीय समस्याओं पर चयनित विषयों का समावेश करना चाहिए। 
  • शिक्षा के द्वारा जनसंख्या से होने वाली हानि पर विस्तृत चर्चा करनी चाहिए। 
  • प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम एवं साक्षरता अभियान को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ देना चाहिए।
  • आर्थिक पिछड़ापन दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में मनोरंजन के साधनों का विस्तार करना चाहिए।
  • सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम में वृद्धि की जानी चाहिए, ताकि अधिक बच्चे पैदा कर सामाजिक रूप से सुरक्षित होने की भावना दूर हो।
  • ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना, जहाँ जन्म दर उच्च है तथा जहाँ परिवार नियोजन कार्यक्रम नहीं पहुँचा है, में विशेष अभियान चलाया जाए। 
  • महिलाओं और पुरुषों का अलग-अलग चैम्बर बनाकर उन्हें उपकरणों की जानकारी प्रदान की जाए।

जनसंख्या को स्थिर करने के सरकार के प्रयास

परिवार नियोजन कार्यक्रम के अन्तर्गत हो रहे हस्तक्षेप; जैसे गर्भनिरोधक दवाइयों का उन्नत पूर्ति प्रबन्धन, परिवार नियोजन सेवाओं में सुनिश्चित गुणवत्तापूर्ण देखरेख, परिवार नियोजन सेवाओं के लिए सेवा प्रदाता आधार को बढ़ाने हेतु निजी/गैर सरकारी संगठनों की सुविधाओं को और अधिक बढ़ना आदि कुछ महत्त्वपूर्ण कदम है। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गर्भ निरोधक दबाइयों की होम डिलीवरी योजना और आशा कार्यकर्ताओं को संस्थागत डिलीवरी सुरक्षित करने के काम पर लगाना कुछ अन्य कदम है।

जनसंख्या पर नियन्त्रण करने हेतु सरकार द्वारा राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 बनाई गई है। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा गर्भ निरोध, स्वास्थ्य सम्बन्धी आधारगत ढाँचा, स्वास्थ्य कर्मचारियों और एकीकृत सेवा डिलीवरी की माँगों को पूरा करने के अविलम्ब लक्ष्य को हासिल करने के लिए की गई है। इस नीति का उद्देश्य कुल प्रजनकता कोप्रतिस्थापन स्तर यानि 2 बच्चे प्रति दम्पति तक लाना है, जो इसका मध्य सत्रीय लक्ष्य है। इस नीति के तहत प्रारम्भ में वर्ष 2015 तक जनसंख्या को स्थिर करने का इसका दूरवर्ती लक्ष्य था, जिसे बढ़ाकर अब 2070 तक कर दिया गया है।

मई, 2000 में निर्मित राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग के पास राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के क्रियान्ययन से सम्बन्धित समीक्षा करने, निगरानी करने और निर्देश देने, स्वास्थ्य सम्बन्धी, शैक्षणिक, पर्यावरणीय और विकास कार्यक्रमों में सहक्रिया को बढ़ावा देने और कार्यक्रमों की योजना बनाने में क्रियान्वयन करने में अन्तरक्षेत्रीय तालमेल को बढ़ावा देने का शासनादेश प्राप्त है। इस आयोग के अन्तर्गत, द नेशनल पापुलेशन स्टेबलाइजेशन फण्ड (राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरता कोष) की स्थापना की गई, लेकिन बाद में इसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग को स्थानान्तरित कर दिया गया। जनसंख्या वृद्धि को प्रभावी ढंग से नियन्त्रित करने हेतु सरकार द्वारा जनसंख्या नियन्त्रण बिल लाने की तैयारी जारी है।

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Population Growth Essay in Hindi

निष्कर्ष

यह कहा जा सकता है कि मानव संसाधन प्रत्येक देश के विकास का एक अहम पहलू है, किन्तु जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है तो अन्य संसाधनों पर अत्यधिक बोझ बढ़ जाता है। अत: किसी देश के समुचित सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय विकास के लिए यह आवश्यक है कि जनसंख्या उसी अनुपात में हो, जिस अनुपात में राज्य में प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं।

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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