जाति प्रथा पर निबंध | Caste System Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Caste System in Hindi

जाति प्रथा पर निबंध | Caste System Essay in Hindi

कहा जाता है, जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान…।’ कहने का तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति की पहचान उसके ज्ञान से होनी चाहिए, किसी अन्य आधार पर नहीं, किन्तु जाति आधारित व्यवस्था ने एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से भिन्न बना दिया है।

यूँ तो भारत में प्राचीनकाल में कर्म आधारित जाति व्यवस्था को अत्यन्त उपयोगी सामाजिक व्यवस्था के रूप में देखा गया, लेकिन समय के साथ-साथ कर्म आधारित जाति व्यवस्था जन्म आधारित सामाजिक व्यवस्था की संकीर्ण रूढ़ियों से जकड़ गई और फिर धीरे-धीरे सामाजिक विखण्डन की ऐसी प्रक्रिया आरम्भ हुई, कि किसी युग में समाज को जोड़कर परस्पर पूरक बनाने तथा राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से सामाजिक एकता को सुदृढ़ बनाए रखने की जो व्यवस्था की गई थी, वहीं समय बीतने के साथ अनुपयोगी सिद्ध होने लगी।

कुछ ऐसी कुरीतियों एवं कुप्रथाओं में जन्म लिया, जो समाज द्वारा खींची गई लक्ष्मण रेखाओं के कारण पनपी और उनके उल्लंघन को समाजों के इन तथाकथित कर्णधारों ने दण्डनीय अपराध घोषित कर दिया।

सामाजिक बहिष्कार का दण्ड विधान और समाज से बहिष्कृत होने का भय किसी मुस्लिम को हिन्दू से या हिन्दू को मुस्लिम से या फिर एक जाति के सदस्य को किसी अन्य जाति के सदस्यों से प्रेम या विवाह करने से रोकता है। एन. के. दत्त ने अपनी पुस्तक ‘ओरिजन एण्ड ग्रोथ ऑफ कास्ट्स ऑफ इण्डिया‘ में जाति को परिभाषित करते हुए लिखा है-“जाति जन्मगत आधार पर सामाजिक संरक्षण और खण्ड विभाजन की एक गतिशील व्यवस्था है, जो अपने सदस्यों पर खान-पान, विवाह, पेशा व सामाजिक सहयासों से सम्बद्ध अनेक या कुछ प्रतिबन्ध लगाती है।”

Caste System Essay in Hindi
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जाति प्रथा एवं सामाजिक स्तरीकरण का विकास

सम्भवतः मानव समाजों में स्तरीकरण का विकास वंशागत और सामाजिक दोनों कारणों से हुआ है। • स्तरीकरण जातिगत स्तरीकरण है, जबकि सामाजिक स्तरीकरण गैर-जातिगत स्तरीकरण है। वंशागत स्तरीकरण से दो • भिन्न समाजों के विलय का बोध हो जाता है। जब एक जाति समूह दूसरे जातीय समूह या समूहों पर स्थायी रूप से • न्यूनाधिक प्रबल हो जाता है, तो वंशागत स्तरीकरण निर्मित हो जाता है। भारत में हिन्दू जाति व्यवस्था इसी प्रकार के • स्तरीकरण का उदाहरण है। हिन्दू समाज भारत की आदिकालीन जातियों और आर्य जातियों के विलय से बना है। सामाजिक स्तरीकरण में एक समाज के अन्तर्गत पद-स्तरों की एक व्यवस्था विकसित होती है।

‘धर्मशास्त्र’ के अनुसार, हिन्दू समुदाय को ‘गुण एवं कर्म के आधार पर चार वर्णों में विभाजित किया गया था। भारतीय समाज (हिन्दू) परम्परागत रूप से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्ध वर्णों में विभक्त माना जाता है। श्रीमदभगवद्गीता में भी ‘चातुर्वण्यं मया सृष्ट गुणकर्मविभागशः’ अर्थात् गुण व कर्म के आधार पर समाज को चार वर्णों में बाटे जाने का उल्लेख किया गया है। समय के साथ-साथ इन्हीं चार वर्णों में से असंख्य (लगभग 4,000 से अधिक) जातियों का उद्भव हुआ।

भारतीय सामाजिक व्यवस्था का अध्ययन करने के क्रम में प्रसिद्ध समाजशास्त्री एम. एम. श्रीनिवास ने वर्ण प्रारूप (Varna model) एवं जाति प्रारूप (Caste model) की अवधारणा सामने रखी, जहाँ वर्णं प्रारूप पाठ्मात्मक (Textual) है, वहीं जाति प्रारूप सन्दर्भात्मक (Contextual)। पाठ्यात्मक दृष्टिकोण के अन्तर्गत हम उपरोक्त चार वर्णों की मुख्य विशेषताओं के आधार पर विभिन्न जातियों के एक सामान्य स्तरीकरण की पहचान करते हैं, जबकि किसी जाति विशेष की विशिष्ट विशेषताओं एवं सामाजिक स्तरीकरण में वास्तविक स्थिति की पहचान के लिए हमें जाति प्रारूप सम्बन्धी सन्दर्भात्मक दृष्टिकोण का सहारा लेना पड़ता है, जो अधिक सटीक एवं प्रासंगिक है।

जाति व्यवस्था का वर्तमान स्वरूप व संवैधानिक प्रावधान

भारतीय जाति व्यवस्था में बदलते हुए मूल्यों के साथ परिवर्तन हो रहा है। आज धन एवं शिक्षा जैसी सुविधाएँ उच्च एवं निम्न दोनों जातियों के सदस्यों की पहुँच के भीतर हो गई है। इन परिवर्तनों का आरम्भ मुख्य रूप से 19वीं शताब्दी से हुआ, जब राजा राममोहन राय और कुछ अन्य प्रगतिवादियों ने जाति व्यवस्था के विरोध में आगाज़ उठानी शुरू की। भारत के स्वतन्त्र होने के बाद जब यहाँ समतावादी मूल्यों पर आधारित लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना हुई, तब जाति व्यवस्था के नियमों में बहुत तेजी से परिवर्तन होने लगा।

औद्योगीकरण, नगरीकरण, शिक्षा, स्त्री- जागरूकता तथा गतिशीलता में वृद्धि होने से जाति व्यवस्था के बन्धन शिथिल पड़ने लगे। इसके अतिरिक्त, जाति-पंचायतों तथा संयुक्त परिवार के विघटन के कारण जाति व्यवस्था को उसी पुराने रूप में बनाए रखना सम्भव नहीं

रह गया। इसके साथ ही अनेक सामाजिक अधिनियमों ने भी जाति व्यवस्था की स्थिरता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। स्वयं जाति व्यवस्था से उत्पन्न दोषों ने भी लोगों में इसकी उपयोगिता के बारे में सन्देह उत्पन्न कर दिया है। जातिगत विभेद को दूर करके ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। इसलिए यह व्यवस्था की गई है, कि राज्य किसी भी नागरिक के प्रति धर्म, वंश अथवा जाति के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगा।

संविधान के अनुच्छेद-38(1) में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि “राज्य प्रभावकारी ढंग से एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की स्थापना और संरक्षण द्वारा लोककल्याण में वृद्धि करेगा, जिससे राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं द्वारा व्यक्तियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिल सके।” इस भावना के अनुरूप अस्पृश्यता, वैवाहिक निर्योग्यता, स्त्रियों की निम्न स्थिति तथा जन्म पर आधारित सामाजिक विभेदीकरण की समाप्त करने के लिए बहुत-से सामाजिक अधिनियम पारित किए गए हैं, जिनसे जाति के आधार स्तम्भ तेज़ी से दहने लगे हैं।

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Caste System Essay in Hindi

निष्कर्ष

अतः चर्षो से चली आ रही परम्पराएँ जब चुगानुकूल नहीं रहती तो कोई भी प्रबुद्ध समाज उसमें आवश्यकतानुस परिवर्तन करने में संकोच नहीं करता। जो समाज परिवर्तन की आवश्यकता महसूस होने पर भी परिवेश की उपेक्षा करते हुए और पूर्व स्थापित व्यवस्थाओं की वर्तमान में अनुकूलता की परवाह किए बिना उसका अन्धानुकरण करता रहता है, य समाज पिछड़ जाता है। यह समाज न केवल अन्य समसामयिक समाजों से अलग-थलग पड़ने लगता है, बल्कि उसके सदस्यों के बीच विद्रोह एवं संघर्ष की स्थितियों से उमरने का खतरा भी मंडराने लगता है।

इस प्रकार, महात्मा गाँधी के इस कथन को भी नहीं भूला जा सकता है, कि “जाति प्रथा भारत माता के माये कलंक है और वह राष्ट्र जीवित नहीं रह सकता, जहाँ मानय को अछूत समझा जाता हो।” इसके साथ ही जवाहरलान नेहरू की बातें आज भी प्रासंगिक है- “भारत में जाति-पांति प्राचीनकाल में चाहे कितनी भी उपयोगी रही हो, पर आर सभी प्रकार की उन्नति के रास्ते में भारी बाधा और सफाचट बन गई है। आज इसे जड़ से उखाड़कर अपनी सामाजिक रचना को नया रूप देने की आवश्यकता है।”

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reference
Caste System Essay in Hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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