आतंकवाद पर निबंध | Terrorism Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on Terrorism in Hindi

आतंकवाद का बदलता और बढ़ता स्वरूप | Terrorism Essay in Hindi

आतंकबाद एक ऐसा विचार है, जो सामान्य जनमानस में भय की भावना का संचार कर देता है। भय मृत्यु का या आर्थिक, सामाजिक किसी भी श्रेणी का हो सकता है। आज आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है, जिसकी आग में पूरा विश्व जल रहा है। आज कोई भी देश यह दावा नहीं कर सकता की उसकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं है और वह आतंकबाद से पूरी तरह से मुक्त है। आतंकबाद लैटिन भाषा के ‘टेस’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है समाज में हिंसक कार्यों और गतिविधियों से जनमानस में भय की मन:स्थिति की स्थापना कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करना।

इस प्रकार से आलंकबाद समाज के मानव समुदाय द्वारा संचालित ऐसी मानव विरोधी गतिविधियाँ हैं जो कि उसी समाज के मानव समुदाय के बिरुद्ध लूट, अपहरण, बम बिस्फोट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों का कारण बनती हैं।

आतंकवाद का उद्देश्य राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक ही नहीं, सामाजिक या अन्य किसी प्रकार का भी हो सकता हैं। वैसे तो आतंकवाद के कई प्रकार है, किन्तु इनमें से तीन ऐसे हैं जिनसे पूरी दुनिया अस्त है- राजनीतिक आतंकबाद, धार्मिक कट्टरता एवं गैर-राजनीतिक या सामाजिक आतंकबाद। श्रीलंका में लिट्टे समर्थकों एवं अफग़ानिस्तान में तालिबानी संगठनों की गतिविधियाँ राजनीतिक आतंकबाद के उदाहरण हैं।

विभिन्न आतंकी गुट

कश्मीर, लद्दाख एवं असम में अलगाववादी गुटों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य भी राजनीतिक आतंकबाद के ही उदाहरण है। अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से आपराधिक कृत्यों को अंजाम देते हैं। अत: ऐसे आतंकवाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है। अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न सामाजिक क्रान्तिकारी विद्रोह को गैर-राजनीतिक आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाता है। 

भारत में नक्सलबाद गैर-राजनीतिक आतंकवाद का उदाहरण है। इस प्रकार, आतंकी गुट विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति विभिन्न रूपों में करते हैं। आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। भीड़भाड़ वाले स्थानों, रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों, बस इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेल पटरियों का उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण, निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बन्दी बना लेना, बैंक डकैतियाँ इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं, जिनसे पूरा विश्व विगत कुछ दशकों से त्रस्त है।

Terrorism Essay in Hindi
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वैश्विक स्तर पर आतंकवाद

विश्व स्तर पर आतंकबाद के फैलते साम्राज्य का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि अभी तक आतंकवाद पर नियन्त्रण के सारे प्रयास निष्फल साबित हुए हैं। परिणामस्वरूप ‘विश्व शान्ति’ की कल्पना एक स्वप्न बनकर रह गई है। 

आतंकवाद एक ऐसी भयावह समस्या है, जिससे दुनिया में मानव अस्तित्व का समूल नाश सम्भव है फिर भी दुनिया के लगभग प्रत्येक देश में आतंकवाद है, कहीं धार्मिक संगठनों की हिंसक गतिविधियों के रूप में तो कहीं राजनीतिक विचारधाराओं के मध्य विध्वंसात्मक संघर्ष के रूप में। तो कहीं क्षेत्र, भाषा या फिर जाति जैसे मुद्दों पर निर्मित संगठनों के हथियार बन्द संघर्ष के रूप में आतंकवाद व्याप्त है। 

दुनिया में आतंकबाद की समस्या की भयावहता का मूल कारण यह है कि आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण आतंकवादियों के लिए जहाँ रासायनिक, नाभिकीय, जैविक मानव बम जैसे अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग उपलब्ध है.तो यहाँ इण्टरनेट की उपलब्धता से उनके लिए सरकारी आंकड़ों की गोपनीयता तक पहुँचना भी सम्भव हो गया है। इन परिस्थितियों में दुनिया में आतंकवाद का प्रसार बढ़ रहा है।

आज विश्व स्तर पर आतंकवाद की अमरबेल मानव समाज की सुख-समृद्धि और शान्ति के प्रयासों को निष्फल कर रही है। पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि हुई है। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के स्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेण्टर पर आतंकी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है। 

दिसम्बर, 2014 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के एक कैम्पस में ग्राहकों को बन्दी बनाना, पाकिस्तान के पेशावर जिले में स्थित एक आमने स्कूल में लगभग 180 मासूम बच्चों को निर्ममतापूर्वक मौत के घाट उतारना, जनवरी, 2015 में फ्रांस में ‘शाकों आब्दी के कार्यालय पर हमला कर पत्रकारों की हत्या। इसके अतिरिक्त वर्ष 2017 में क्रमश: काबुल (मार्च में), बलख (अप्रैल में), लन्दन में (मार्च में), सीरिया च मिस्र (नवम्बर में) आदि ऐसी मयावह वारदाते हैं, जो आतंकवाद के घिनौने रूप की प्रकट करती हैं।

भारत में आतंकी गतिविधियाँ

वस्तुतः आतंकबाद एक वैश्विक समस्या है, किन्तु भारत इस समस्या से सर्वाधिक त्रस्त है। इसका प्रमुख कारण भारत के पड़ोसी देश विशेष रूप से पाकिस्तान है। भारत और पाकिस्तान में आरम्भ से ही जम्मू-कश्मीर राज्य (अब कश्मीर और लद्दाख केन्द्रशासित प्रदेश) विवाद का मुद्दा रहा है और दोनों देश इस पर अपना अधिकार करना चाहते हैं। पाकिस्तान कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयत्न कई बार कर चुका है। यह आए दिन सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है, लेकिन उसे अभी तक असफलता ही हाथ लगी है। अत: पाकिस्तान ने भारत को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से आतंकवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

12 मार्च, 1993 को मुम्बई में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोट, 13 दिसम्बर, 2001 को संसद भवन पर हमला, 7 मार्च, -2006 को बाराणसी बम विस्फोट, 26 जुलाई, 2008 का अहमदाबाद बम बिस्फोट, 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई के ताज होटल पर हमला, वर्ष 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमला, वर्ष 2017 में अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमला, 14 फरवरी 2019 का पुलवामा हमला इत्यादि कुछ ऐसी घटनाएँ हैं, जो भारत को आतंकवाद पीड़ित देश घोषित करती है। इन बड़ी घटनाओं के अतिरिक्त आतंकवादी भारत में अनेक छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। नक्सलवाद भी एक प्रकार से देश में आतंकबाद का स्वरूप ग्रहण का चुका है।

प्रारम्भ में यह विद्रोह प. बंगाल तक सीमित था, किन्तु अब यह धीरे-धीरे ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, आन्ध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में भी फैल गया है। चीन द्वारा भी भारत में पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकवादी एवं नक्सलवादी घटनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। चीन भारत में सक्रिय अलगाववादी गुटों को पैसा, हथियार एवं संरक्षण मुहैया कराकर भारत में अराजकता की स्थिति बनाने पर लगा है। चीन, भारत को प्रत्येक स्तर पर अपना विरोधी मानते हुए कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष माध्यम से भारत के विकास में रोड़ा अटकाता रहता है। इसके अलावा वह सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति पैदा करने का भी जिम्मेदार है।

आतंकवाद के दुष्परिणाम

आतंकवाद के दुष्परिणामस्वरूप अब तक दुनिया के कई राजनयिकों सहित मासूमों एवं निर्दोष लोगों की जाने जा चुकी हैं तथा लाखो लोग विकलांग एवं अनाथ हो चुके है।। आतंकवाद के सन्दर्भ में सबसे बुरी बात यह है कि कोई नहीं। जानता कि आतंकबाद और आतंकवादियों का अगला निशाना कौन होगा? इसलिए आतंकवाद ने आज लोगों के जीवन को असुरक्षित बना दिया है। यह मानव जाति के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है।

समाधान के प्रयास

वैश्विक समस्या के चलते आतंकवाद के वैश्विक समाधान की दिशा में सतत प्रयास जारी हैं। विभिन्न देशों के साथ ही कई अन्य संगठन भी इस दिशा में प्रयासरत है। जैसे-ब्राजील में 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (2019) में आतंकबाद का मुद्दा महत्वपूर्ण रहा। 

14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, 2019 (थाईलैण्ड), ताशकन्द में हुए 18वें शंघाई सहयोगसंगठन शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने पर गहन विमर्श किया गया। नवम्बर, 2019 में पेरिस मै जारी ग्लोबल टेररिज्म इण्डेक्स-2018 ज्यादा फैल गया है, लेकिन वर्ष 2014 में यह बात सामने आई है कि आतंकियों का दुनिया भर में जाल पहले से कहीं में 33,565 की तुलना में वर्ष 2018 में 15,952 का आंकड़ा आतंकी हत्या के गिरते ग्राफ का संकेत है। 

यह गिरावट एक या दो प्रतिशत की नहीं 15.2% की है। निश्चय ही इसके पीछे अमेरिका, भारत और यूरोपियन देशों के आतंकवाद विरोधी अभियान की बड़ी भूमिका है।

भारत में भी आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार ने समय-समय पर अनेक कानूनों का सहारा लिया है, जैसे- वर्ष 1950 में निवारक निरोध अधिनियम, वर्ष 1970 में मीसा, वर्ष 1980 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1987 में टाडा (TADA), वर्ष 2002 में पोता (POTA), वर्ष 2008 में राष्ट्रीय अन्वेषण एजेन्सी (एनआईए), 2019 में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक-2019 (यूएपीए) को मंजूरी आदि। 

इसके अतिरिक्त रोशनी जैसे कार्यक्रम भी चलाए गए हैं तथा ऐसी गतिविधियों में संलग्न लोगों के लिए स्वरोजगार सम्बन्धी उपाय मी जा रहे हैं। जिससे देश के कुछ राज्यों में इससे नक्सलवादी लोग भी लाभान्वित हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर (अब कश्मीर एवं लद्दाख) में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए भारत को कड़े कदम उठाने होंगे एवं पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकते हुए इस राज्य पर अपनी प्रशासनिक पकड़ मजबूत बनानी होगी।

दुनिया के देशों को आतंकवाद पर नियन्त्रण हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोपरि भूमिका को स्वीकार करते हुए उसके निर्णय को बाध्यकारी बनाए जाने की जरूरत है। इसके अतरिक्त विभिन्न देशों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के लिए ठोस निर्णय लेना होगा। दुनिया के ऐसे देश जिनके द्वारा आतंकवाद को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है, उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय सहायता से पूर्णतः अलग-थलग कर आतंकवाद पर नियन्त्रण और रोकथाम के प्रयास किए जाने चाहिए। 

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निष्कर्ष

दुनिया में जीवन के अस्तित्व और सुरक्षा के लिए आतंकवाद पर नियन्त्रण जरूरी है। दुनिया में आतंक का खौफ मानवता के लिए एक ऐसा अभिशाप साबित हो रहा है। जिसने विश्व शान्ति की परिकल्पना के क्रियान्वयन पर विराम लगा दिया है। दुनिया को आतंकवाद से मुक्त किए बिना जीवन में सुख-समृद्धि, शान्ति और विकास की बात सम्भव नहीं है। इस दृष्टि से विश्व के प्रत्येक देश और समाज में प्रत्येक नागरिक को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा अन्यथा आतंकवाद के भयानक विस्फोट में मानव अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा।

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reference
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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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