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सबसे बड़ा मूर्ख – तेनालीराम की कहानी | sabse bada murkh Tenali rama ki kahani
विजय नगर के राजा कृष्णदेव राय को घोड़ों का बहुत शौक था, एक दिन एक अरबी घोड़ो का व्यापारी राजा के पास पहुचा। और कहा, “महाराज, मैं अपने देश से कुछ घोड़े लाया हूँ। क्या आप उन्हें खरीदना चाहेंगे ?”
राजा को एक तगड़ा घोड़ा दिखा, जो खुद व्यापारी का था। राजा ने जानना चाहा कि व्यापारी के पास किस तरह के घोड़े हैं। व्यापारी ने कहा, “महाराज, मैं बीस घोडों को बेचने के लिए लाया हूं।
उनमें से सबसे अच्छी नस्ल और मजबूत कदकाठी वाला आपके सामने है। सिर्फ एक नमूने के रूप में मैं लाया हूँ, क्योंकि सभी बीस घोड़ों को विजयनगर लाना मुश्किल था। अगर आपको यह पसंद है, तो मैं सभी बीस घोड़े आपको पांच हजार सोने के सिक्कों में बेच सकता हूं।”
राजा बहुत खुश हुए। वास्तव में उन्हें वह घोड़ा पसंद आ गया था। उन्होंने सोचा, “क्या अद्भुत दृश्य होगा, जब बीस के बीस घोड़े मेरे पास होगें। मेरा अस्तबल पूरे देश में सबसे अच्छा अस्तबल हो जाएगा।”
इसलिए वह व्यापारी के प्रस्ताव पर सहमत हो गए। लेकिन व्यापारी ने कहा, “एक बात है, मैं चाहूंगा कि आप मुझे सारी राशि अभी दे दें। मैं उस पैसे के बदले में बाकी के बीस घोड़े जल्दी ही लेकर आ जाऊंगा. यह मेरा वादा है।” हालांकि राजा इस बात के लिए राजी नहीं थे, लेकिन उन्होंने उस आदमी को पूरी राशि पहले दे दी। व्यापारी ने वह राशि ली और चलता बना।
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उसके बाद बहुत महीने बीत गए और अरबी व्यापारी का कोई भी अता पता नहीं चला। राजा अधीर हो गए। एक दिन जब वह अपने महल के चारों ओर घूमते हुए बगीचे में टहल रहे थे, उन्होंने देखा कि तेनालीराम एक कागज के टुकड़े पर कुछ लिख रहा है।
राजा ने पूछा, “आप क्या लिख रहे हैं?”
तेनालीराम ने कहा, “महाराज, मैं अपने नगर के मूखों की एक सूची बना रहा हूँ।” राजा ने कहा, “मुझे भी दिखाओ।” तेनालीराम ने उत्तर दिया, “में क्षमा चाहता हूं महाराज, मैं इसे आपको नहीं दिखा सकता हूं।” राजा ने पूछा, “क्यों?” तेनाली चुप ही रहा। राजा ने कागज उसके हाथ से छीन लिया।
वह सूची पढ़ते ही चौंक गये और क्रोध में आकर चिल्लाए, “तेनालीराम, तुम्हारी इतनी हिम्मत? अपने राजा के नाम को इस सूची में सबसे ऊपर दिखाने की तुमने हिम्मत कैसे की ?”
तेनालीराम ने शांति से जवाब देते हुए कहा, “क्योंकि महाराज, एक अजनबी को पांच हजार सोने के सिक्के देकर उसके वापिस आने की आशा करने वाला महामूर्ख ही माना जाएगा।”
राजा ने कहा, ” तुम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हो कि वह वापस नहीं आएगा? और अगर वह वापस आएगा, तो?”
तेनालीराम ने कहा, “तो महाराज, मैं आपका नाम सूची से निकाल दूंगा और उसका नाम लिख दूंगा । ” राजा ने तेनालीराम से आगे प्रश्न नहीं किया। उन्होंने सूची को वापिस तेनालीराम को सौंप दिया और बगीचे से दूर चले गये।
कहानी से सीख
हमे बिना सोचे समझे दूसरों की बातों पर विश्वास नही करना चाहिए, नही तो हमे हानी हो सकती है।
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