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तेनाली और सुलतान आदिलशाह – तेनालीराम की कहानी | Tenali aur Sultan Adilshah Tenali rama ki kahani | Tenali Raman Story in Hindi
जिस समय विजयनगर पर राजा कृष्णदेव राय का शासन था, उसी दौरान “दिल्ली पर सुलतान आदिलशाह का शासन था।
एक बार दोनों के बीच काफी दिनों तक युद्ध चला और बहुत लोगों की जाने गई। थककर दोनों राजाओं ने समझौता करने का विचार किया। दिल्ली के सुलतान आदिलशाह ने राजा कृष्णदेव राय को संधि-पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया। कृष्णदेव अपने दरबारियों के साथ दिल्ली गए।
दिल्ली में राजा कृष्णदेव और उनके साथियों का भव्य स्वागत हुआ। अच्छी साज-सज्जा, अच्छा खान-पान और आराम का पूरा प्रबन्ध था। राजा कृष्णदेव बहुत ही प्रभावित हुए। उनकी नजरों में आदिलशाह का कद बहुत बढ़ गया।
एक दिन रात्रि के भोजन के समय आदिलशाह ने हिन्दू पौराणिक कथाओं को सुनने की इच्छा जताई। एक विद्वान् ने आकर महाभारत की कथा का कुछ भाग उन्हें सुनाया।
हस्तिनापुर के लिए कौरव और पांडवों की लड़ाई का कुछ भाग सुनने पर आदिल शाह ने कृष्णदेव राय से कहा, “मैंने आपके दरबार के विद्वानों के बारे में बहुत सुन रखा है। मैं चाहता हूं कि वे दोबारा महाभारत लिखें, जिसमें मैं और मेरे मित्र पांडव हो तथा आप और आपके मित्र कौरव हो।”
राजा कृष्णदेव राय बहुत सोच में पड़ गए। वे मन ही मन सोचने लगे, “भला यह कैसे संभव है। महाभारत जैसे पवित्र ग्रंथ को दुबारा कैसे लिखा जा सकता है?” परंतु वह सुलतान को मना नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने शांत भाव से सुलतान से वादा किया कि वे अपने विद्वानों से इस बारे में बात करेंगे।
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अपने राज्य वापस आकर उन्होंने विद्वानों की सभा बुलाई। इस बात को सुनकर सभी चिंतित हो गए। इस समस्या का किसी के पास कोई समाधान नहीं था। अचानक राजा को तेनाली राम की याद आई। उन्होंने कहा, “तेनाली राम तुमने हमारी बहुत सारी समस्याओं का समाधान किया है। इस समस्या का समाधान बताओ। “
तेनाली राम ने सिर झुकाकर कहा, “आप मुझे एक दिन का समय दें, मैं इस समस्या का समाधान ढूंढता हूं।”
राजा के पास कोई और उपाय तो था नहीं। वे तेनाली राम के उपाय की प्रतीक्षा करने लगे।
अगले दिन तेनाली राम सुलतान आदिलशाह के दरबार में पहुंचे और हाथ जोड़कर बड़ी विनम्रता से बोले, “हुजूर, आपके अनुरोध पर हमारे कुछ विद्वानों ने महाभारत की रचना शुरू कर दी है। पर थोड़ी सी समस्या है…।”
सुलतान के समस्या पूछने पर तेनालीराम ने कहा कि वह उन्हें अकेले में समस्या बताना चाहते हैं। दरबार में इस विषय पर बात करना उचित नहीं है।
सुलतान ने शाम के समय तेनालीराम को बुलावा भेजा। आदरपूर्वक उन्हें नमस्कार कर तेनालीराम बोले, “हुजूर, आपने महाभारत लिखने के शुभ कार्य का जो दायित्व हम पर सोपा है वह हमारे लिए बहुत ही सम्मान की बात है। पर थोड़ी सी समस्या है।
महाभारत में पांडव पाच भाई थे पर उनका विवाह एक ही औरत ‘द्रौपदी’ से हुआ था। आपने अनुरोध किया था. आपको उदार बड़े भाई के रूप में चित्रित किया जाए तथा आपके मित्रों को आपके चार भाई के रूप में अपनी प्रतिष्ठा की सोचते हुए हम लोग ऐसा करने में खुद को…. ”
तेनालीराम के वाक्य पूरा करने से पहले ही सुलतान ने तेनाली राम को रोक दिया और क्रोधित होते हुए बोले “यह सही नहीं है। मुझे महाभारत नहीं लिखवाना है, कृपया अपने आदमियों को तुरत लिखने से मना कर दो।”
“लेकिन हुजुर… ” तेनाली ने कुछ कहना चाहा, पर आदिलशाह उसे रोकते हुए बाले, “देखो कवि में इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता। यदि तुम शांति चाहते हो तो तुरंत इस काम को रुकवा दो।
मैं पूरी कोशिश करूंगा कि दिल्ली और विजयनगर में सौहार्द बना रहे” यह कहकर आदिलशाह एक झाोके की तरह कमरे से निकल गये।
तेनालीराम ने जाकर अपने राजा को यह शुभ समाचार दिया। सबने तेनालीराम की चतुराई की प्रशंसा की।
Tenali Raman Stories in Hindi For Kids | तेनालीराम की कहानियां Best 5 Moral Stories of Tenali Raman video
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