सच बोलने वाला सलाहकार – तेनालीराम की कहानी | Sach Bolne Wala Salahkar Tenali rama ki kahani
बहुत समय पहले की बात है। विजयनगर के बड़े राज्य पर राजा कृष्ण देव राय का शासन था। विजयनगर की राजधानी हंपी थी। राजा कृष्णदेव का दरबार जो ‘भुवन विजय’ कहलाता था, हमेशा जनता के प्रति न्याय और दयालुता के लिए जाना जाता था।
भुवन विजय अपने अष्ट दिग्गज के लिए प्रसिद्ध था, क्योंकि उन 8 लोगों में अलग-अलग अनोखे गुण थे।
वे 8 दिग्गज थे – अलासनी पोड्डना, नंदी थिम्मन्ना, धुर्जटी, मध्यगरी, मालन, पिंगल सूरन, तेनालीराम, कृष्णुडू, अचाला राजू राम भद्रुदू और रामराजा भूषणूडू। यह सब अपने – अपने क्षेत्र में बहुत प्रतिभावान और विद्वान थे। सभी राजा के दरबार में रहते थे और राजा को सही निर्णय लेने में मदद करते थे।
परंतु इन सब में तेनाली रामा अपने जन्मजात गुण वाकपटुता और व्यंग्य के कारण राजा को सबसे अधिक प्रिय थे।
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एक बार राजा ने एक नया तालाब बनवाया था। अपने आठों दिग्गजों को लेकर वे तालाब देखने गए। पानी को देखते हुए राजा ने अपने विद्वानों से पूछा, “इस तालाब में पानी कैसा लगता है”?
नंदी थिमन्ना ने कहा, “ इस तालाब का पानी बिल्कुल साफ है।” मध्य गरी मालन बोले, “ यह पारदर्शी और चमकदार है।” इसी प्रकार सभी ने अपनी-अपनी तरह से विशेषण लगाकर कहां।
तेनालीराम ने अपनी बारी आने पर कहां, “ महाराज, जैसा तालाब आप ने बनवाया है, पानी ने उसी का आकार ले लिया है।”
तेनालीराम ने राजा की चापलूसी किए बिना बिल्कुल सीधा उत्तर दिया। राजा उसके उत्तर से बहुत खुस हुए क्योंकि वे यही चाहते थे कि एक ऐसा सलाहकार हो जो हमेशा सच बोले। राजा तेनाली रामा की वाकपटुता से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने स्पष्टवादिता के लिए तेनालीराम की बहुत प्रशंसा की।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि हमे जीवन मे हमेशा सच बोलना चाहिए तथा अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए कभी जूठ नही बोलना चाहिेए।
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