यहाँ पढ़ें: kahani hindi mein
चतुर व्यापारी – तेनालीराम की कहानी | Chatur Vyapari Tenali rama ki kahani
राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम से हमेशा पहेलिया पूछा करते थे ऐसा करने में उन्हे बहुत आनन्द भी आता था। और वह उनकी बुद्धिमानी भी परख लेते थे। एक दिन राजा ने तेनालीराम से पूछा, “ तेनाली, सबसे चतुर कौन हैं और कौन सबसे मूर्ख ?” तेनालीराम पलभर के लिए सोचकर बोला, “महाराज, एक व्यापारी सबसे चतुर है और पुरोहित जी सबसे मूर्ख। “
राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा, “क्या तुम इसे साबित कर सकते हो?”
तेनालीराम ने कहा कि वह इस बात को साबित कर सकता है। उसने पुरोहित को बुलवाया और कहा, “बुद्धिमान व्यक्ति, राजा की इच्छा है कि आप अपनी चोटी मुंडवा दें। ” तेनालीराम की बात सुनकर पुरोहित सकते में आ गया। उसने कहा, “चोटी तो हिन्दुओं का गर्व होता है। मैंने वर्षों से इसे संभालकर रखा है। इस पर मुझे गर्व है। फिर भी यदि आपकी इच्छा है तो मैं इसे मुडवा तो लूंगा, पर इसके बदले में मुझे क्या मिलेगा ?”
राजा ने कहा, “जितना चाहो उतना धन दूंगा।” तब पुरोहित ने पांच स्वर्ण मुद्राओं के बदले अपनी चोटी मुंडवा ली और दरबार से चला गया।
तेनालीराम ने अब शहर के सबसे अमीर व्यापारी को बुलवाया। उसे जब राजा की इच्छा बताई तो वह बोला “मैं अपनी चोटी तो मुंडवा लूंगा, पर मैं ठहरा गरीब आदमी। जब मेरे भाई की शादी हुई तो अपनी चोटी के लिए मैंने पांच हजार स्वर्ण मुद्राएं खर्च की थी। जब मेरी पुत्री का विवाह हुआ तो मुझे दस हजार स्वर्ण मुद्राएं देनी पड़ीं। अपनी इस चोटी को बचाना मुझे बहुत मंहगा पड़ा है। “
यहाँ पढ़ें: तेनालीराम और लाल मोर – तेनालीराम की कहानी
तब राजा ने कहा, “तुम अपनी चोटी मुंडवा लो, तुम्हारा सारा घाटा पूरा कर दिया जाएगा।” अमीर व्यापारी को पन्द्रह हजार स्वर्ण मुद्राएं दे दी गईं। नाई जब उसकी चोटी काटने के लिए बढ़ा, तो व्यापारी ने कहा, “देखो भाई, अब यह चोटी मेरी नहीं है। यह राजा की है। बहुत सावधानी से मूंडना। मूंडते समय यह जरूर याद रखना कि यह राजा की चोटी है।
राजा कृष्णदेव यह सुनकर आगबबूला हो गए और बोले, “तुम्हारी यह कहने की हिम्मत कैसे हुई? क्या मैं पागल हो गया हूं, जो मैं अपनी चोटी मुंडवाऊंगा?” राजा ने सिपाहियों को व्यापारी को बाहर निकालने का आदेश दे दिया।
तेनालीराम मुस्कराया। राजा का क्रोध शांत होने पर उसने कहा, “महाराज, क्या आपने देखा… किस तरह व्यापारी ने पन्द्रह हजार स्वर्ण मुद्राएं आपसे ले ली और अपनी चोटी भी सुरक्षित रख ली, जबकि ब्राह्मण ने चोटी मुंडवा ली और वह भी पांच स्वर्ण मुद्राओं में। “
राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम के बुद्धिमानी की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके।
कहानी से सीख
हमे अपनी समझ से संकट की घड़ी में भी अवसर का लाभ उठा सकते हैं।
राजा और चतुर तेनाली राम – Tenali Stories | Hindi Stories for Kids | Infobells video
यहाँ पढ़ें: तेनालीरामा की सबसे अच्छी मनोरंजक कहानियां
यहाँ पढ़ें: रोचक मजेदार कहानियां