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सोने के आम – तेनालीराम की कहानी | Sone ke aam Tenali rama ki kahani
ऐसा कहा जाता है कि राजा कृष्णदेव राय की माँ बहुत ही धार्मिक विचारों की महिला थी। राजा को अपनी माँ से बहुत स्नेह था। राजा की मां ने अपने जीवनकाल में उन्होंने बहुत सारा दान-पुण्य और तीर्थयात्राएं की थी।
लेकिन जब वे बीमार हुई तो राजा ने शहर के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक बुलवाये, पर वे उन्हें स्वस्थ नहीं कर सके।
माँ बहुत बूढ़ी हो गई थी इसलिए उनका शरीर भी उनका साथ नहीं दे रहा था। बीमारी की हालत में भी राजा की माँ ने राजा से आम खाने की इच्छा प्रकट की। राजा ने आम मंगवाया पर आम आने से पहले ही माँ ने हमेशा के लिए अपनी आंख बंद कर ली। माँ की अंतिम इच्छा पूरी न कर पाने का दुःख राजा को सताने लगा। राजा बहुत उदास हो गए।
अंतिम क्रिया कर्म करने आए ब्राह्मणों को राजा की उदासी का कारण पता चला तो उनके मन में लालच आ गया और उन्होंने राजा से धन प्राप्ति की इच्छा से कहा, “महाराज, आपकी माँ की अंतिम इच्छा आम खाने की थी, जो पूरी नहीं हो पाई। उनकी आत्मा की शांति के लिए यदि कुछ सुनहरे आम ब्राह्मणों को दान दिए जाए तो अच्छा होगा। “
ब्राह्मणों की आम दान की बात राजा को अच्छी लगी। उन्होंने ठोस सोने के दस आम बनवाए और ब्राह्मणों को दान कर दिए। ब्राह्मणों ने राजा से पूजा करवाई, दान लिया और खुशी-खुशी घर चले गए। वे राजा को ठगने में सफल हो गए थे।
तेनालीराम को जब यह सब पता चला तो उसे ब्राह्मणों का तर्क जरा भी समझ नहीं आया। उसने सोचा कि भला ब्राह्मण के हाथ का आम मृतात्मा को कैसे संतुष्ट कर सकता है? यह जरूर ही ब्राह्मणों की, राजा को ठगने की चाल है। मन ही मन तेनालीराम ने ब्राह्मणों को पाठ पढ़ाने का सोचा।
कुछ दिनों बाद तेनालीराम ने ब्राह्मणों को अपने घर पर आमंत्रित किया और उनसे कहा, “कुछ समय पहले मेरी माँ की मृत्यु हो गई थी। मैं उनकी अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर पाया था। उनकी इच्छा थी कि मैं उन्हें लोहे के गरम सरिया से मारूं।
लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाया। अपने दिल में अधूरी इच्छा लिए हुए वह चली गयीं और उनकी आत्मा अभी तक असन्तुष्ट घूम रही हैं। राजा की माँ की आत्मा की शांति के लिए जैसे आपने सुनहरे आम दान की बात की थी, उसी तरह मेरी माँ की आत्मा की शांति भी आप ही को करनी है। मैं अपनी माँ के लिए लाल गर्म लोहे की सरिया से आप लोगों को मारूंगा, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल जाएगी। “
सामने ही तेनालीराम का सेवक लाल गर्म सरिया लेकर खड़ा था। डर के मारे सारे ब्राह्मण कांपने लगे। सब के सब तेनालीराम के पैरों पर गिरकर क्षमा याचना करने लगे। तेनालीराम ने राजा के आम लौटाने तथा राजा से क्षमा याचना करने के लिए कहा।
अगले दिन राजा को उनके दान में दिए सुनहरे आम वापस मिल गए, क्योंकि ब्राह्मणों को उनके किए का फल मिल चुका था।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि लालच का फल हमेशा कड़वा होता है, इसलिए हमे जीवन मे कभी लालच नही करना चाहिए।
Sone ke Aam I Tenali Ram I Dey’s Stories video
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