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नाई का ईनाम – तेनालीराम की कहानी | Nai ka inam Tenali rama ki kahani
एक बार सुबह सैर से आने के बाद थकान के कारण राजा कृष्णदेव राय कुर्सी पर बैठे- बैठे ही सो गए थे। तभी राजा का नाई राजा की दाढ़ी बनाने आया तो उन्हें कुर्सी पर सोता हुआ देख उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उसे राजा की दाढ़ी बनानी थी और राजा सो रहे थे… वह क्या करे, क्या न करे,
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह सोचने लगा, “क्या मैं बाद में . आऊ… पर देर से आने के लिए संभव है मुझे डांट पड़े… क्या राजा को जगा दूं… संभव है जगाने पर राजा नाराज हो जाए… मै करू तो क्या करूं?” परेशान नाई ने बहुत सोचा और फिर बिना राजा को जगाए उनकी दाढ़ी बनाकर, ईश्वर से रक्षा करने की प्रार्थना करता हुआ चला गया।
कुछ समय बाद राजा उठ गए और दाढ़ी बनवाने के लिए नाई को बुलवाया, पर जब उन्होंने शीशे में अपना चेहरा देखा तो उन्हें अपनी दाढ़ी बनी हुई दिखाई दी। राजा आश्चर्यचकित रह गए।
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नाई ने राजा का संदेश पाकर सोचा अब उसे सजा जरूर मिलेगी। भय से कांपता हुआ वह राजा के सामने उपस्थित हुआ। प्रसन्न राजा ने नाई से कहा “काम के प्रति तुम्हारी लगन और निष्ठा से मैं बहुत प्रसन्न हूं। तुम्हें जो चाहिए मांग लो। मेरी पहुँच में हुआ तो जरूर दूंगा।”
नाई ने हाथ जोड़कर निवेदन किया, “महाराज, समाज में पुजारियों को बहुत सम्मान मिलता है। यदि संभव हो तो मुझे पुजारी बनवा दें। “
राजा ने धार्मिक संस्कार करने वाले पुजारियों को बुलवाया। काफी तर्क-वितर्क हुआ। कोई भी पुजारी मन से ऐसे किसी संस्कार के लिए तैयार नहीं था पर किसी में राजा को रुष्ट करने का साहस भी नहीं था। अंत में नाई को पुजारी बनाने के लिए एक संस्करण करने का निश्चत हुआ।
इस संस्करण के लिए एक शुभ दिन निर्धारित किया गया। राजा के आदेश पर तैयारियां प्रारम्भ हो गई। तेनालीराम ने भी इस संस्कार के विषय में सुना, तो वह सोचने लगा, “राजा को इन सब फालतू के कामों में नहीं उलझना चाहिए। एक शासक को यह सब शोभा नहीं देता है।
मुझे राजा को जरूर बताना चाहिए… ” तेनालीराम ने एक कुत्ता लिया और राजकीय उद्यान में बने तालाब के पास गया। वह तालाब में कुत्ते को नहलाता और फिर बाहर निकालकर कंघा करता था। वह बार-बार इसी क्रिया को दोहरा रहा था।
बागीचे में टहलते हुए राजा ने तेनालीराम को यह करते हुए देखा, तो उन्होंने हंसते हुए पूछा, “क्यों तेनालीराम, तुम इस बेचारे कुत्ते को क्यों सता रहे हो? इसकी आँखें देखो, लगता है अभी रो पड़ेगा।”
तेनालीराम ने कहा, “महाराज, में तो इसे मात्र चितकबरा बनाने की कोशिश कर रहा हूँ।” राजा और जोर से हँसते
हुए बोले, “पागल हो क्या? यह कुत्ता भला चितकबरा कैसे बन सकता है?”
महाराज, यदि संस्कार द्वारा नाई पुजारी बन सकता है, तो यह कुत्ता भी तो चितकबरा बन सकता है…।
राजा को तेनालीराम की बात समझ आ गई और उन्हे अपनी गलती का एहसास हो गया। संस्कार की सारी तैयारियां उन्होंने तुरंत बंद करवा दी और नाई को इनाम देकर विदा कर दिया।
कहानी से सीख
हमे भगवान ने जो बनाया है हमे उसी में खुश रहना चाहिए कभी भी दूसरों को देखकर उनके जैसा बनने की कोशिश नही करना चाहिए।
Tenali Rama part 2 – Nai ka inam
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