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कुएं का विवाह – तेनालीराम की कहानी | Kuen ka vivah Tenali rama ki kahani | marrige of well Tenali Raman Story in Hindi
जिस समय राजा कृष्णदेव राय का विजयनगर पर शासन था, उसी समय दिल्ली पर सुलतान आदिलशाह का शासन था। सुलतान आदिलशाह कृष्ण देव के प्रति शत्रुता का भाव रखते थे। वे युद्ध का बहाना ढूंढते रहते थे।
एक बार सुबह के समय विजयनगर में दरबार सजा हुआ था। तभी दिल्ली के सुल्तान आदिलशाह का एक दूत राजा के पास विवाह का निमंत्रण लेकर आया। निमंत्रण पत्र पढ़ते ही भय और चिंता से राजा की आंखें खुली की खुली रह गयीं।
निमंत्रण कुछ इस प्रकार था-हमारे यहां एक नए कुएं का विवाह सम्पन्न होने जा रहा है। इस समारोह के लिए विजयनगर के सभी कुए सप्रेम आमंत्रित हैं। यदि आप अपने कुओं को भेजने में असमर्थ हैं, तो दिल्ली इस बात का बुरा मानेगी तथा इसका अंजाम आपको भुगतना पड़ेगा।
शांतिप्रिय राजा युद्ध नहीं चाहते थे। पर भला वे कुओं को कैसे भेजते… कृष्णदेव ने तेनालीराम को बुलाकर अपनी समस्या बताई और कोई समाधान निकालने के लिए कहा।
तेनालीराम निमंत्रण पत्र पढ़कर हंसता हुआ बोला, “सुलतान मजाक अच्छा कर लेते है। आप चिंतित न हो महाराज, मे इसका उत्तर दूंगा।” अगले दिन तेनालीराम एक पत्र लेकर आया। पत्र में लिखा था।
सेवा में,
दिल्ली के सुलतान, महाराज,
आपकी दयालुता है कि आपने अपने कुएं के विवाह का निमंत्रण हमारे कुओं को भेजा है। हम लोग इस निमंत्रण को पाकर बहुत प्रसन्न और आभारी है। आपका निमंत्रण हमने अपने राज्य के कुओं को पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा है, क्योंकि आपके राज्य के कुएं हमारे राज्य के कुओं के विवाह में सम्मिलित नहीं हुए थे, इसलिए हम भी नहीं आना चाहते हैं।
फिर भी हम लोगों का यह सुझाव है कि यदि व्यक्तिगत रूप से आपके कुएं विजयनगर आकर हमारे कुओं को निमंत्रित करें, तो निश्चित रूप से हमारे कुए निमंत्रण को स्वीकार करेंगे।
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इसलिए यदि आप अपने कुओं को विवाह का निमंत्रण लेकर हमारे कुओं के पास भेज दें, तो हमारे लिए बहुत सम्मान की बात होगी। एक बार आपके कुए यहां आ जाए, तब हमारे कुएं और हम सब भी जरूर विवाह में सम्मिलित होने दिल्ली आएंगे।
पत्र सुनकर राजा कृष्णदेव ने चैन की सांस ली। दूत के द्वारा पत्र का उत्तर दिल्ली भेज दिया गया। दरबार तेनालीराम की जय-जयकार से गूंज उठा।
सुलतान आदिलशाह अपने पत्र का उत्तर पाकर समझ गए कि उनसे गलती हुई है।
विजयनगर के प्रति शत्रुता का भाव त्याग दिया। उन्होंने मन ही मन यह निश्चय भी किया कि अब कभी राजा कृष्णदेव राय के प्रति ऐसा दांव नहीं चलेंगे।
कहानी से सीख
समझदारी और बुद्धि से काम लेने से बड़ी से बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।
कुआं का विवाह | तेनालीराम की कहानी | Marriage of well: Tenali Raman Hindi stories video
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