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Tenali Rama ne apna sir chipaya Tenali rama ki kahani
राजा कृष्णदेव राय चित्रकला में बहुत रूचि रखते थे। उनका अपना एक चित्रकला संग्रहालय था, जिसमें उनके चुने हुए उत्तम चित्र थे। एक बार राजा तेनालीराम को संग्रहालय देखने ले गए थे।
वहां तेनालीराम को एक अप्सरा का चित्र दिखाई दिया, जिसने बहुत कम वस्त्र पहन रखे थे। तेनालीराम को यह चित्र अच्छा नहीं लगा। उसने मन ही मन सोचा “स्त्री की इज्जत होनी चाहिए, चाहे वह कला ही क्यों न हो…” उसने रंग और तूलिका लेकर उस चित्र में ही परिवर्तन करना शुरू कर दिया।
राजा और तेनालीराम के साथ आए एक दरबारी ने जब तेनालीराम को ऐसा करते देखा तो उसी समय राजा के पास जाकर सारी बात बता दी। राजा ने गुस्से में आकर तुरंत सेवकों को भेजकर तेनालीराम को बुलवाया।
राजा ने तेनालीराम पर क्रोध करते हुए कहा “तुमने मेरे संग्रह से छेड़ छाड़ करने की कोशिश कैसे की? निकल जाओ और दरबार में दुबारा अपना चेहरा मत दिखाना…।
सिर झुकाकर तेनालीराम ने राजा को अभिवादन किया और चला गया। अगले दिन दरबार में तेनालीराम ने अपने सिर और चेहरे को एक बड़े से घड़े से छुपाए हुए प्रवेश किया। उसे देखकर सभी लोग हैरान थे। राजा ने भी उसे नहीं पहचाना और पूछा, “तुम कौन हो और तुमने अपने सिर पर घड़ा क्यों पहन रखा है?”
तेनालीराम ने झुककर नम्रतापूर्वक कहा, “महाराज, मैं तेनालीराम हूं। कल आपने मुझे दरबार में अपना चेहरा नहीं दिखाने का आदेश दिया था. इसलिए मैंने उसे घड़े में छुपा लिया है। “
पूरा दरबार हंसी से गूंज उठा। राजा भी अपनी मुस्कराहट रोक नहीं पाए। उन्होंने तेनाली राम को क्षमा कर, सिर का घड़ा उतारने के लिए कहा।
कहानी से सीख
कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि समझदारी से काम लेने से गुस्से को शांत किया जा सकता है।और परिस्थितियों को ठीक किया जा सकता है।
Ep -02 Tenali Rama ne apna sir chipaya
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