सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन पर निबन्ध | Chandrashekhar venkat raman Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on chandrashekhar venkat raman in Hindi

भारत सदियों से ऐसे महापुरुषों की भूमि रहा है, जिनके कार्यों से पूरी मानवता का कल्याण हुआ है। ऐसे महापुरुषों की सूची में केवल समाजसुधारक, साहित्यकारों एवं आध्यात्मिक गुरुओं के ही नहीं, बल्कि कई वैज्ञानिकों के भी नाम आते हैं। चन्द्रशेखर वेंकट रमन ऐसे ही एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे, जिनकी खोजों के फलस्वरूप विश्व की कई प्राकृतिक रहस्यों का पता लगा।

यहाँ पढ़ें : 1000 महत्वपूर्ण विषयों पर हिंदी निबंध लेखन
यहाँ पढ़ें : हिन्दी निबंध संग्रह
यहाँ पढ़ें : हिंदी में 10 वाक्य के विषय

चन्द्रशेखर वेंकट रमन का जीवन परिचय एवं शिक्षा | Chandrashekhar venkat raman Essay in Hindi

अम्माल था। चन्द्रशेखर वेंकट रमन का जन्म 7 नवम्बर, 1888 को तमिलनाडु राज्य में तिरुचिरापल्ली नगर के निकट निल नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम चन्द्रशेखर अय्यर एवं माता का नाम पार्वती: चूंकि वेंकट रमन के पिता भौतिक विज्ञान एवं गणित के विद्वान थे एवं विशाखापत्तनम में प्राध्यापक के पद पर नियुक्त थे। अतः हम कह सकते हैं कि रमन को विज्ञान के प्रति गहरी रुचि एवं अध्ययनशीलता विरासत में मिली।

एक वैज्ञानिक होने के बावजूद धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्तित्व उन पर अपनी माँ के स्पष्ट प्रभाव को दर्शाता है, जो संस्कृत की अच्छी जानकार एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। रमन की प्रारम्भिक शिक्षा विशाखापत्तनम में हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए दे चेन्नई चले गए।

वहाँ उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से वर्ष 1904 में स्नातक एवं वर्ष 1907 में भौतिकी में स्नातकोत्तर की डिल्ली प्राप्त की। स्नातक में उन्होंने कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए गोल्ड मेडल प्राप्त किया था तथा स्नातकोलर प्रथम श्रेणी में विशिष्ट अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए थे। वर्ष 1906 में लन्दन की विख्यात वैज्ञानिक पत्रिका ‘फिलॉसोफिकल मैगज़ॉन’ में उनका एक लेख ‘अनसिमेट्रिकल डि फैक्शन बैंडसड्यू टू रेक्टैगुलर अपरचर’ प्रकाशित हुआ। इसके बाद रमन का दूसरा शोध-पत्र पत्रिका ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ। वर्ष 1907 में ही वे भारतीय वित्त विभाग द्वारा आयोजित परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर कलकत्ता में सहायक महालेखापाल के पद पर नियुक्त हुए।

उस समय उनकी आयु मात्र 19 वर्ष थी। इतनी कम आयु में इतने उच्च पद पर नियुक्त होने वाले वे पहले भारतीय थे। सरकारी नौकरी के दौरान भी उन्होंने विज्ञान का साथ नहीं छोड़ा और कलकत्ता की भारतीय विज्ञान प्रचारिणी संस्था के संस्थापक डॉ. महेन्द्र लाल सरकार के सुपुत्र वैज्ञानिक डॉ. अमृतलाल सरकार के साथ अपना वैज्ञानिक शोध कार्य करते रहे।

वर्ष 1911 में वे डाक-तार विभाग के अकाउंटेण्ट जनरल बने। इसी बीच उन्हें भारतीय विज्ञान परिषद् का सदस्य भी बनाया गया। वर्ष 1917 में विज्ञान को अपना सम्पूर्ण समय देने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और कलकता विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान के प्राचार्य पद पर नियुक्त हुए। उस समय प्राचार्य का वह पद पालित पद के रूप में था।

chandrashekhar venkat raman Essay in Hindi
chandrashekhar venkat raman Essay in Hindi

यहाँ पढ़ें : वर्गीज कुरियन पर निबन्ध

विज्ञान के क्षेत्र में योगदान

सरकारी नौकरी को छोड़कर भौतिक विज्ञान के प्राचार्य पद पर नियुक्त होने के पीछे उनका उद्देश्य अपने वैज्ञानिक अनुसन्धानों की अधिक समय देना था। अपने शोध और अनुसन्धान को गति प्रदान करने के उद्देश्य से उन्होंने कई विदेश यात्राएँ भी की। वर्ष 1921 में उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रमण्डल के विश्वविद्यालयो को एक सभा में भाग लेने के लिए इंग्लैण्ड भेजा गया। इसी समुद्र यात्रा के दौरान भूमध्य सागर के गहरे नीले जल ने उनका ध्यान अचानक ही अपनी ओर खींचा, फलस्वरूप उन्होंने जल, हवा, बर्फ आदि पारदर्शक माध्यमों के अणुओं द्वारा क्षिप्त होने वाले प्रकाश का अध्ययन करना प्रारम्भ कर दिया।

उन्होंने अपने अनुसन्धानों से यह सिद्ध कर दिया कि पदार्थ के अन्दर एक विद्युत तरल पदार्थ होता है, जो सदैय मान रहता है। इसी तरल पदार्थ के कारण केवल पारदर्शक द्रवों में ही नहीं, बल्कि बर्फ तथा स्फटिक जैसे पारदर्शक वर्षों और अपारदर्शी बस्तुओं में भी अणुओं की गति के कारण प्रकाश किरणों का परिक्षेषण हुआ करता है।

किरणों के भी प्रभाव को ‘रमन प्रमाप’ के नाम से जाना जाता है। इस खोज के फलस्वरूप यह रहस्य खुला कि आकाश नीला क्यों दिखाई देता है, वस्तुएँ विभिन्न रंगों की क्यों दिखाई देती है और पानी पर मिली नीले क्यों दिखाई देते हैं। इसके इस खोज के फलस्वरूप विज्ञान जगत को असंख्य जटिल यौगिकों के अनुविन्यास को सुलझाने से सम्बन्धित अनेक लाभ हुए। इस खोज के महत्त्व को देखते हुए वर्ष 1950 में रमन को भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। रमन एशियाई और अश्वेत जिन्होंने विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था।

रमन की रूचि संगीत में थी, इसलिए विश्वविद्यालय की नौकरी के दौरान उन्होंने ध्वनि कम्पन एवं शब्द विज्ञान के क्षेत्र में भी रोचक बातों का पता था। उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदगम के सनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति का पता लगाया। वर्ष 1934 में बगलौर में भारतीय विज्ञान अकादमी की स्थापना की तथा वर्ष 1948 से नवस्थापित रमन अनुसन्धान संस्थान, शतौर (बंगलुरु) में निर्देशक पद पर आजीवन कार्य करते रहे। इस संस्थान में में अपने जीवन के अन्तिम दिनों तक हीरों या अन्य रत्नों की बनावट के बारे में अनुसन्धान करते रहे।

यहाँ पढ़ें : अमर्त्य सेन पर निबन्ध

महत्त्वपूर्ण सम्मान

वर्ष 1929 में उन्होंने भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 16 सप की अध्यक्षता की थी। वर्ष 1990 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के अतिरिक्त चन्द्रशेखर पेफट रमन की उपलब्धियों के लिए देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों एवं सरकारों से उन्हें अनेक उपाधियाँ एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

ऑप्टिक्स के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वर्ष 1924 में उन्हें लोक फैली चुना गया और वर्ष 1929 में ‘नाइट’ की पदवी से विभूषित किया गया। सोवियत रूस का मलेनिन शान्ति पुरस्कार उन्हें प्रदान किया गया। अग्रेज सरकार ने उन्हें सर की उपाधि प्रदान की। इसके अतिरिक्त इटली की विज्ञान परिषद् ने मेट्यूसी पदक’ अमेरिका ने वर्ष 1911 में फ्रैंकलिन पदक तथा इंग्लैण्ड ने पदक प्रदान कर रमन को सम्मानित किया।

वर्ष 1948 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय आचार्य का सम्मान प्रदान किया गया। वर्ष 1964 में उन्हें भारत के सम्मान ‘भारत रत्न से असकृत किया गया। यह सम्मान कला, साहित्य, विज्ञान एवं खेोन को आगे बढ़ाने के लिए की गई विशिष्ट सेवा और जनसेवा में उत्कृष्ट योगदान को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है। विज्ञान के क्षेत्र में उन्होंने जो महान् अनुसन्धान किए थे, उनके लिए में इस सम्मान के वास्तविक हकदार थे।

उन्होंने ‘रमन प्रभाव की खोज 28 फरवरी, 1928 को की थी, इसलिए 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय डाक तार विभाग ने उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के महत्व को देखते हुए एक टाक टिकट जारी करके श्री रमन को सम्मानित किया।

चन्द्रशेखरकट रमन वैज्ञानिक एवं शिक्षक ही नहीं, बल्कि एक कुशल वक्ता तथा संगीत प्रेमी भी थे। उन्होंने अपना शोध-कार्य सदैव रचनात्मक कार्यों के लिए किया ताकि मानवता का कल्याण हो सके।

सैनिक कार्यों विनाशकारी शोध के विरुद्ध थे। उन्होजीन की सेवा की। रमन अनुसन्धान संस्थान के निर्देशक पद पर रहते हुए भारत माँ का यह सपूत एक बीमारी से ग्रस्त होने के कारण 19 नवम्बर 1970 को सदा-सदा के लिए चिर निद्रा में सो गया। अपने संस्थान के प्रति उनके अनुराग को देखते हुए उनका दाहसंस्कार संस्थान के प्रागण में ही किया गया। भारत को वैज्ञानिक अनुसन्धान के क्षेत्र में अग्रसर करने में महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने जो खोजे की थी, आज उनका विस्तार विज्ञान की अनेक शाखाओं तक हो चुका है। उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्य भारतीय यथा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का बहुमूल्य स्रोत है।

चंद्रशेखर वेंकटरमन पर निबंध l Essay On Chandrashekhar Venkatraman In Hindi l National Science Day l video

chandrashekhar venkat raman Essay in Hindi

Great personalities

सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्धनरेंद्र मोदी पर निबन्ध
लोकमान्य तिलक पर निबन्धजवाहरलाल नेहरु पर निबन्ध
डॉ भीम राव अंबेडकर पर निबन्धमहात्मा गांधी पर निबंध
अमर शहीद भगत सिंह पर निबन्धमदर टेरेसा पर निबन्ध
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर निबन्धअटल बिहारी वाजपेयी पर निबन्ध
राजीव गाँधी पर निबन्धइन्दिरा गाँधी पर निबन्ध
सरदार वल्लभभाई पर निबन्धलालबहादुर शास्त्री पर निबन्ध
Bill Gates Essay in Hindiअल्बर्ट आइन्स्टाइन पर निबन्ध
Nelson Mandela Essay in HindiAbraham Lincoln Essay in Hindi
अमर्त्य सेन पर निबन्धवर्गीज कुरियन पर निबन्ध
चन्द्रशेखर वेंकट रमन पर निबन्धडॉ. विक्रम साराभाई पर निबन्ध
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा पर निबन्धडॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध
लोकनायक जयप्रकाश नारायण पर निबन्धरामनाथ कोविन्द पर निबन्ध
स्वामी विवेकानन्द पर निबन्धअमिताभ बच्चन पर निबन्ध
लता मंगेशकर पर निबन्धमेजर ध्यानचन्द पर निबन्ध
कपिल देव पर निबन्धसचिन तेन्दुलकर पर निबन्ध
मैरी कॉम पर निबन्धविराट कोहली पर निबन्ध
पीवी सिन्धु पर निबन्धमहेन्द्र सिंह धोनी पर निबन्ध
रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्धप्रेमचन्द पर निबन्ध
अरुणिमा सिन्हा पर निबन्धडॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबन्ध
एलन मस्क पर निबन्धसम्राट अशोक पर निबन्ध

reference
chandrashekhar venkat raman Essay in Hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

Leave a Comment