- अंबेडकर का बचपन | bhimrao ambedkar childhood | Dr. Bhimrao Ambedkar par nibandh
- अंबेडकर की शिक्षा | bhimrao ambedkar education | Dr. Bhimrao Ambedkar short essay in hindi
- अंबेडकर ने किया छुआछूत का विरोध | bhimrao ambedkar against untouchability | Bhimrao Ambedkar in Hindi
- अंबेडकर और गांधी के बीच पूना समझौता | bhimrao ambedkar poona pact | मेरा प्रिय नेता डॉ भीम राव अंबेडकर पर निबंध हिंदी में
- आजाद भारत के संविधान निर्माता बने अंबेडकर
- Dr Babasaheb Ambedkar essay in Hindi | मेरा प्रिय नेता- डॉ. बाबासाहब अंबेडकर निबंध हिंदी में
- अंबेकर की मृत्यु
बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के मोह जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाजी सकपाल था। अंबेडकर के पिता आर्मी अफसर थे, जोकि सुबेदार के पद पर तैनात थे।
1906 में महज 15 साल की उम्र में अंबेडकर का विवाह नौ साल की रामाबाई से हुआ था। उनके बेटे का नाम यशवंत अंबेडकर था। bhimrao ambedkar wife
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अंबेडकर का बचपन | bhimrao ambedkar childhood | Dr. Bhimrao Ambedkar par nibandh
एक मराठी दलित परिवार में जन्में अंबेडकर को बचपन से ही भारतीय समाद में व्याप्त छुआछूत और भेदभाव का सामना करना पड़ता था। यही कारण था कि, पढ़ने में रुचि रखने के बावजूद अंबेडकर को कक्षा के बाहर ही बैठना पड़ता था, क्योंकि दलित जाति के बच्चों का कक्षा में प्रवेश वर्जित था।
इतना ही नहीं प्यास लगने पर उन्हें पानी का नल छूने की भी इजाजत नहीं थी। पानी पीने के लिए उन्हें किसी उच्च जाति के व्यक्ति से आग्रह करना पड़ता था, जोकि उन्हें ऊपर से बिना छुए पानी पिलाता था। दलित बच्चों को पानी पिलाने का काम ज्यादातर विद्यालय का पियून…. ही करता था। इस घटना का जिक्र करते हुए अंबेडकर अंग्रेजी में लिखते हैं – नो पियोन, नो वॉटर
1894 में अंबेडकर के पिता के रिटायर होने के दो साल बाद सभी परिवार सहित सतारा में जाकर बस गए। सतारा जाने के बाद कुछ ही समय में अंबेडकर की मां चल बसीं। लिहाजा सभी अंबेडकर सहित उनके दो भाई और दो बहने दादी के साथ रहने लगे।
अंबेडकर का वास्तविक नाम | bhimrao ambedkar original name | Bhimrao Ambedkar essay in Hindi
अंबेडकर का वास्तविक नाम भीवराव सकपाल था। हालांकि हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद पिता ने उनका नाम सकपाल से बदलकर अंबेडकर, रत्नागिरी स्थित अपने गांव के नाम पर रख दिया।
अंबेडकर की शिक्षा | bhimrao ambedkar education | Dr. Bhimrao Ambedkar short essay in hindi
1897 में अंबेडकर का परिवार बंबई में बस गया। अंबेडकर शुरु से पढ़ने में काफी तेज थे। लिहाजा यहां स्थित एल्फिन्सटोन हाई स्कूल में दाखिला लेने वाले अंबेडकर अकेले दलित छात्र थे।
अंबेडकर ने 1912 में बंबई यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1913 में अंबेडकर को अमेरिका स्थित कैमब्रिज विश्वविद्यालय में स्कॉलरशिप मिल गयी, जिसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए।
अंबेडकर ने 1915 में अर्थशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और समाजशास्त्र से मास्टर्स किया। 1917 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से ही कानून में डिग्री हासिल की।
अंबेडकर ने किया छुआछूत का विरोध | bhimrao ambedkar against untouchability | Bhimrao Ambedkar in Hindi
भारत वापसी के बाद अंबेडकर ने अपना खुद का व्यापार शुरु करने का फैसला किया। हालांकि निवेशकर्ताओं को जैसे ही अंबेडकर के दलित होने का पता चला उन्होंने निवेश करने से इंकार कर दिया और अंबेडकर का बिजनेस ठप पड़ गया।
कुछ समय बाद अंबेडकर को बंबई स्थित एक कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया गया। अंबेडकर एक बेहतरीन शिक्षक होने के साथ-साथ छात्रों के बेहद करीब थे, लेकिन कॉलेज के अन्य अध्यापकों ने अंबेडकर के साथ पानी का नल साझा करने से इंकार कर दिया।
यही कारण था कि भारत सरकार अधिनियम 1919 तैयार होने के दौरान अंबेडकर ने दलितों के लिए आरक्षण का प्रावधान शामिल करने करने का प्रस्ताव रखा।
बंबई उच्च न्यायालय में वकालत की प्रैक्टिस के दौरान भी उन्होंने देश में छुआछूत और जात-पात के खिलाफ जनता को जागरुक करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इसी कड़ी में बहिष्कृत हितकरनी सभा की नींव रखी।
1925 में अंबेडकर साइमन कमीशन का भी हिस्सा रहे। 1927 में अंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक जनआंदोलन शुरु करने का फैसला किया। जिसके तहत उन्होंने सार्वजनिक स्थानों मसलन पानी का नल, पार्क आदि में दलितों के प्रवेश का मुद्दा उठाया।
इसी दौरान 25 दिसम्बर 1927 को अंबेडकर ने भेदभाव का पक्ष लेने वाले हिन्दू ग्रन्थ मनुस्मृति को भी जला दिया। अंबेडकर के अनुयायी आज भी इस दिन को मनुस्मृति दहन के रुप में मनाते हैं।
1930 में अंबेडकर ने नासिक के सबसे बड़े आंदोलन के रुप में कालाराम मंदिर आंदोलन का आरंभ किया। जिसमें पुरुषों और महिलाओं सहित लगभग पंद्रह हजार से भी ज्यादा लोगों ने से हिस्सा लिया था।
अंबेडकर और गांधी के बीच पूना समझौता | bhimrao ambedkar poona pact | मेरा प्रिय नेता डॉ भीम राव अंबेडकर पर निबंध हिंदी में
1930 और 1931 में लॉर्ड इरविन द्वारा लंदन में तीन गोलमेज सम्मेलनों का आगाज किया गया। अंत में ब्रिटिश सरकार और कांग्रेस के बीच तालमेल न बैठ पाने के कारण यह सम्मेलन किसी अच्छे नतीजे पर तो नहीं पंहुचा, लेकिन परिणाम काफी हद तक अंबेडकर के हक में थे।
दरअसल इन बैठकों के बाद ब्रिटिश सरकार ने अंबेडकर द्वारा दलितों को आरक्षण देने की मांग और पृथक निर्वाचक पर मुहर लगा दी थी। इस दौरान गांधी जी सविनय अविज्ञा आंदोलन के चलते जेल में थे।
गांधी जी ने अंबेडकर से ब्रिटिश ऑफर ठुकराने का आग्रह करते हुए भारतीय समाज को एकजुट रखने का सुझाव दिया। इसी कड़ी में गांधी जी और अंबेडकर के बीच पूना समझौता हुआ। जिसके तहत चुनावों में दलितों को आरक्षण देने से लेकर छुआछूत और जाति प्रथा का विरोध करने की बात कही गयी।
1936 में अंबेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की नींव रखी। यह पार्टी 1937 में बंबई से लोकसभा चुनावों का हिस्सा बनी। इन चुनावों में पार्टी ने 13 आरक्षित सीटों में से 11 सीटें और 4 सामान्य सीटों में से 3 सीटों पर जीत हासिल की।
आजाद भारत के संविधान निर्माता बने अंबेडकर
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। पंडित जवाहरलाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री बने। हालांकि इस दौरान देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती आजाद भारत का संविधान तैयार करने की थी और अंबेडकर इस भूमिका में बिल्कुल सटीक बैठ रहे थे।
लिहाजा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को देश का पहला कानून मंत्री बनाते हुए देश के संविधान का खाका तैयार करने का दारोमदार सौंपा गया। संविधान की प्रारुप समिति के अध्यक्ष अंबेडकर के नेतृत्व में कुल दो साल ग्यारह महीने और अठारह दिनों में दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान बनकर तैयार हो गया। जिसे 26 जनवरी 1950 के दिन लागू किया गया।
मूल अधिकार, मूल कर्तव्य, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों और संशोधन की शक्ति के साथ सर्वसम्मति के स्वीक किए जाने वाला भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। इसी संविधान की नींव पर आजादी के 70 साल बाद भी आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
Dr Babasaheb Ambedkar essay in Hindi | मेरा प्रिय नेता- डॉ. बाबासाहब अंबेडकर निबंध हिंदी में
अंबेडकर ने अपनाया बौद्ध धर्म
1950 में सिलोन यात्रा (श्रीलंका) के बाद अंबेडकर बौद्ध धर्म से खासा प्रभावित हुए। जिसका सबसे बड़ा कारण था, बौद्ध धर्म का जाति प्रथा और भेदभाव से अछूता था। वहीं पूना में एक बौद्ध विहार का भ्रमण करने के बाद अंबेडकर ने बौद्ध धर्म पर किताब लिखने का एलान कर दिया। उन्होंने किताब पूरी होने पर उसके प्रकाशन के साथ बौद्ध धर्म अपनाने की भी बात कही।
इसी कड़ी में अंबेडकर दो बार बर्मा दौरे पर भी गए और 1955 में उन्होंने भारतीय बौद्ध महासभा की शुरुआत की। 1956 में उनकी किताब ‘द बुद्धा एंड हिज धम्म’ (the Buddha and his dhamma) का प्रकाशन किया।
14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर ने एक समारोह में पूरे धूम-घाम से अपनी दूसरी पत्नी सविता के साथ हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध भिक्षुओं की अगुवाई में बौद्ध धर्म को अपनाया।
अंबेकर की मृत्यु
अंबेडकर 1948 से ही मधुमेह के मरीज थे। 1955 में अचानक उनका स्वास्थय खराब होने लगा। आखिरकार दिल्ली में 6 दिसम्बर 1956 की रात सोते समय ही अंबेडकर की मृत्यु हो गयी।
7 दिसम्बर को मुंबई के दादर में स्थित चौपाटी बीच पर बौद्ध रीति रिवाज के साथ अंबेडकर का अंतिम संस्कार किया गया
अंबेडकर भले ही इस दुनिया से चले गए लेकिन भारतीय इतिहास में उनका नाम हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों के साथ दर्ज हो गया।
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Bhimrao Ambedkar essay in Hindi