- जवाहरलाल नेहरु का शुरुआती जीवन | jawahar lal nehru biography in hindi | pandit jawaharlal nehru essay in Hindi
- देश के पहले प्रधानमंत्री बने पंडित जवाहरलाल नेहरु | jawahar lal nehru first prime minister of india | pandit jawaharlal nehru par essay in hindi
- pandit jawaharlal nehru Hindi nibandha | मेरा प्रिय नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू हिंदी निबंध
- पंडित नेहरु की मृत्यु | jawahar lal nehru death
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भारत के पहले प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पंडित जवाहरलाल नेहरु का जन्म 14 नवम्बर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम मोती लाल नेहरु और माता का नाम स्वरुप रानी नेहरु था। संगमनगरी में पले-बढ़े पंडित नेहरु के पिता मोती लाल नेहरु मूल रुप से कश्मीरी पंडित थे। jawahar lal nehru family
पंडित नेहरु की शादी 1916 में हुई थी। उनकी पत्नी का नाम कमला कौल था। 1917 में कमला नेहरु ने बेटी को जन्म दिया। उनकी बेटी का नाम इंदिरा नेहरु था, जिन्हें बाद में इंदिरा गांधी के नाम से जाना गया और वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। jawahar lal nehru daughter
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जवाहरलाल नेहरु का शुरुआती जीवन | jawahar lal nehru biography in hindi | pandit jawaharlal nehru essay in Hindi
पंडित नेहरु ने इलाहाबाद से ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। जिसके वो आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। अक्टूबर 1907 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास और साहित्य विषय की भी पढ़ाई की। jawahar lal nehru education
पंडित नेहरु अगस्त 1912 में पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत के लिए रवाना हो गए। वतन वापसी के बाद उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत करनी शुरु कर दी। हालांकि बैरिस्टर बनने की जद्दोजहद में जुटे पंडित नेहरु को अपने पिता के उलट वकालत में कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी। नतीजतन आगामी दिनों में पंडित नेहरु की राजनीति में बढ़ती सक्रियता के कारण उन्होंने वकालत से दूरी बना ली।
नेहरु के राजनीतिक जीवन का आरंभ | jawahar lal Nehru political life
पंडित नेहरु के राजनीति से रूबरू होने के दौरान सत्ता के गलियारों में हलचल तेजहो चली थी। दरअसल यह वही दशक था, जब 1916 में लखनऊ समझौते के दौरान न सिर्फ कांग्रेस के दो धड़ नरम दल और गरम दल ने एकजुट होने का बिगुल फूंक दिया था बल्कि मुस्लिम लीग ने भी कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
इसके अलावा गांधी जी भी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट चुके थे और भारतीय राजनीति को समझने की कोशिशों में जुटे थे। वहीं 1916 में पहले विश्व युद्ध का आगाज हो चुका था, जिस पर सभी भारतीयों का अलग-अलग मत था।
असहयोग आंदलन में नेहरु की भूमिका | jawahar lal nehru freedom struggle
विश्व युद्ध में कई भारतीय सौनिकों की शहादत, रॉलैट कानून और जलियावाला बाग हत्याकांड के चलते देश में खासा रोश था। इस दौरान तक गांधी जी सत्ता में एक जानी-मानी हस्ती बन चुके थे और नेहरु का नाम कांग्रेस के युवा नेताओं में शुमार था।
लिहाजा 1920 में गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असहयोग आंदोलन का शंखनाद कर दिया। जोकि धीरे-धीरे समूचे देश में आग की तरह फैल गया और देश का हर तबका इस आंदोलन का हिस्सा बन गया।
वहीं नेहरु ने संयुक्त राष्ट्र (उत्तर प्रदेश) में आंदोलन का नेतृत्व किया था। यह पहली बार था जब पंडित नेहरु इतने बड़े राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा बने था। हालांकि कुछ ही समय बाद चौरी-चौरा कांड के बाद जहां गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया, वहीं 1921 में ब्रिटिश सरकार ने गांधी और नेहरु सहित कई नेताओं को हिरासत में ले लिया।
लोहौर अधिवेशन के अध्यक्ष बने नेहरु | jawahar lal nehru congress president
जवाहरलाल नेहरु ने तीन बार कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। इसी कड़ी में 1929 में होने वाला लाहौर अधिवेशन कांग्रेस पार्टी के महत्वपूर्ण अधिवेशनों में से एक है, जिसमें पहली बार जवाहरलाल नेहरु को अध्यक्ष चुना गया। jawahar lal nehru inc
दरअसल इसी अधिवेश के दौरान 26 जनवरी 1929 को पहली बार कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का नारा दिया था। जिसके बाद पंडितनेहरु ने लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडे को फहराया था। jawahar lal nehru lahore session
यही कारण है कि आजादी के बाद 1950 में देश का संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी की तारीख को ही चुना गया। जिसे आज गणतंत्र दिवस के रुप में बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है।
इसके अलावा नेहरु ने 1936 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन और फैजपुर अधिवेशन की भी अध्यक्षता की।
नेहरुः सविनय अविज्ञा आंदोलन से आजादी तक jawahar lal nehru movements
गांधी जी ने 1930 में सविनय अविज्ञा आंदोलन का आगाज किया, जिसे नमत सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं के साथ पंडित नेहरु भी इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे।
इसके अलावा पंडित नेहरु ने 1942 में होने वाले भारत छोड़ों आंदोलन का हिस्सा बनने से लेकर अगस्त ऑफर, क्रिस्प मिशन, कौबिनेट मिशन प्लान का भी मुखरता से विरोध किया।
”दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं, उससे कहीं अधिक ये मायने रखता है कि हम वास्तव में हैं क्या।” – नेहरु
आखिरकार 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के अंत के साथ ब्रिटिश सरकार ने देश की आजादी का एलान कर दिया और पंडित नेहरु को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
देश के पहले प्रधानमंत्री बने पंडित जवाहरलाल नेहरु | jawahar lal nehru first prime minister of india | pandit jawaharlal nehru par essay in hindi
आजादी के बाद संविधान सभा के गठन के साथ ही पंडित नेहरु को सर्वसम्मति से देश का प्रधानमंत्री चुना गया। वहीं 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के बाद 1952 में पहली बार लोकसभा चुनावों का आगाज हुआ। जिसमें न सिर्फ कांग्रेस पार्टी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई बल्कि पंडित नेहरु भी भारी जनमत के साथ देश के पहले प्रधानमंत्री बने।
बतौर प्रधानमंत्री नेहरु ने अपने कार्यकाल के दौरान भूमि सुधार से लेकर फाइव ईयर प्लान, प्लानिंग आयोग, राज्य पुर्नगठन आयोग जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।
पंडित नेहरु 1947 से 1964 तक (मृत्यु होने तक) प्रधानमंत्री के पद पर कायम रहे।
भारत-चीन युद्ध jawahar lal nehru india china war
देश के चहेते नेता बन चुके पंडित नेहरु अपनी विदेश नीति के लिए भी खासे मशहूर थे। पंचशील के सिद्धांत से लेकर गुटनिरपेक्षता की नीति तक नेहरु को उनकी कूटनीति के लिए खासा सराहा जाता था। हालांकि नेहरु की विदेश नीति उस दौरान सवालों के कठघरे में खड़ी हो गयी, जब 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर के अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया।
”जीवन में शायद भय जितना बुरा और खतरनाक कुछ भी नहीं है।” – नेहरु
कई राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार आजादी के बाद देश पर पहली बार आक्रमण हुआ था। जिसके कारण इस युद्ध में भारत की हार से पंडित नेहरु को खासी ठेस पहुंची और वे अकसर बिमार रहने लगे।
pandit jawaharlal nehru Hindi nibandha | मेरा प्रिय नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू हिंदी निबंध
पंडित नेहरु की मृत्यु | jawahar lal nehru death
1962 से बिमार रहने वाले पंडित नेहरु की तबियत 27 मई 1964 की सुबह अचानक काफी खराब हो गयी और महज कुछ ही समय में पंडित नेहरु ने अंतिम सांस ली।
पंडित नेहरु की मृत्यु की सूचना दोपहर दो बजे लोकसभा से उन्ही शब्दों में की गयी, जिन शब्दों में नेहरु ने गांधी की मृत्यु की खबर समूचे देश को सुनाई थी….’द लाइट इज आउट’। 28 मई 1964 को यमुना नदी के किनारे स्थित शांतीवन में पंडित नेहरु का अंतिम संस्कार किया गया। नेहरु के शब्दों में-
”जिंदगी ताश के पत्तों की तरह एक खेल है। आपके हाथ में जो है वह किस्मत है; जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है।” – नेहरु
पंडित नेहरु से चाचा नेहरु तक | chacha Nehru and children day
इस तरह इतिहास का एक चमकता सितारा हमेशा के लिए ढल गया। लेकिन संविधान की प्रस्तावना से लेकर पंचशील समझौते तक पंडित नेहरु की विरासत दशकों पुरानी कई विरासतें आत भी देश का हिस्सा हैं।
वहीं पंडित नेहरु की जन्मतिथि 14 नवम्बर को देश में बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। पंडित नेहरु बच्चों से बेहद प्यार करते थे, यही कारण है अक्सर लोग उन्हें प्यार से चाचा नेहरु भी बुलाते हैं।
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