भारतीय इतिहास में मौर्य वंशीय सम्राट अशोक पहला शासक था, जिसने अखिल भारतीय साम्राज्य की नींव का प्रयास किया। अशोक द्वारा अपनाई गई नीति से भारतीयता का अन्य देशों में भी प्रचार हुआ, घृणा के स्थान पर एकता विकसित हुई, सहिष्णुता और उदारता को बल मिला, बर्बरता के कृत्यों से भरे हुए विश्व इतिहास को एक काना हुआ तथा इन्होंने न केवल मानव की मरन जीवमात्र की भी चिन्ता की।
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अशोक का जीवन परिचय | सम्राट अशोक पर निबन्ध | Samrat Ashok Essay in Hindi
हम लोकप्रिय शासक का शासन फाल 273 232 ईसा पूर्व माना जाता है। मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त के पौत्र विन्दुसार के पुत्र अशोक अपने शासन के आरम्भिक दिनों में एक फल शासक थे तथा वे विशुद्ध न्याय व्यवस्था पर करते थे।
शिकार और दायत का उन्हें बड़ा शौक था। युद्ध कला में प्रवीण होने के कारण युद्ध करना उन्हें अच्छा अशोक को अपने साम्राज्य को सुरक्षित रखने तथा साम्राज्य विस्तार के लिए युद्ध करने के अतिरिक्त और कुछ सूझता था। इसी दिशा में असर होते हुए उन्होंने 261 ईसा पूर्व में फल्लिंग राज्य पर आक्रमण किया तथा उसे अधिकार में ले लिया। इस बीभत्स युद्ध में हुई लोगों की क्षति ने उनके हृदय को द्रवित कर दिया तथा उनका हृदय हो गया।
उन्होंने बौद्ध धर्म को अपना लिया तथा भविष्य में हथियार न उठाने का संकल्प लिया। स्वयं बौद्ध धर्म का पालन तथा इस धर्म के प्रसार के लिए श्रीलका, अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र, यूनान, तिम्बत सहित कई देशों में ज्ञान दूत भेजे।
उन्होंने एक नए धर्म और विचार ‘धम्म’ को प्रतिपादित कर अपने समस्त राज्य क्षेत्र में लागू करवाया। कर राष्ट्र हित को हरी अनुश्रुतियों दीपवंश और महावंश के अनुसार, अशोक को अपने शासन के चौदहवें वर्ष में निग्रोध नामक मिक्षु ने धर्मका उपदेश देकर अत्यधिक प्रभावित किया, तत्पश्चात् वे मोगली पुत्र तिस्स के प्रभाव में आकर पूर्ण रूप से बौद्ध उपगुप्त नामक भिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया।
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अशोक द्वारा किए गए सुधार
सम्राट अशोक का थम्म केवल धर्म या धार्मिक व्यवस्था नहीं है, अपितु एक नैतिक व्यवस्था तथा एक सामान्य सहिता’ है, जोकि सभी धर्मों का एक समान मिलन स्थल है। अशोक एक कट्टर बौद्ध होते हुए भी धार्मिक मामलों तथा सभी धर्मों की मूल एकता में विश्वास करते थे। उनके शासन के दौरान धम्म के प्रचार के लिए साम्राज्य विभिन्न क्षेत्रों में शिलालेखों तथा स्तम्भलेखों की स्थापना की गई।
धम्म महामात्रों की नियुक्ति की गई। महामात्र प्रत्येक पाँच वर्षों के अन्तराल पर धम्म यात्रा करते थे। अशोक ने अनेक जनकल्याणकारी कार्य और प्रशासनिक सुधार इन कार्यों में मनुष्यों और पशुओं के लिए चिकित्सालय खोलना, जड़ी बूटियों, कन्दमूल और फलों सहित औषधीयपों के संबर्द्धन के लिए वानस्पतिक उद्यान लगवाना, यात्रियों और पशुओं की सुविधा के लिए सड़कों के किनारे कुएँ,बुझाना स्थियों के कल्याण के लिए तथा उनमें धम्म प्रचार के लिए स्त्री अध्यक्ष महामात्रों की नियुक्ति करना आदि है। इसके अतिरिक्त, सन्यासियों, बूढ़ों तथा शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को दान देना और पशु-पक्षियों की हत्या बन्द करना जैसे कार्यों को कार्यान्वित किया गया था।
सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल के दस वर्ष में की यात्रा की इसके पत्वात्प राज्याभिषेक के बीस वर्ष में की यात्रा की थी तथा उस ग्राम को कर मुक्त घोषित कर दिया। उनके शासनका मेह पाटलिपुत्र में तृतीय पोद्ध संगीति का आयोजन गया, जिसकी अध्यक्षता मोगली पत्र लिसा ने की थी।
संगीति मानव इतिहास में अशोक एक ऐसे महानतम शासक थे, जिनका शासनकाल “राष्ट्रों के आख्यान’ में एक अनुपम तथा उज्ज्वल युग का प्रतीक है। उनकी महानता इस बात के निहित है कि आज से इतने वर्ष पूर्व भी अपने शासन में इतने सुस्पष्ट रूप से उन्होंने सानथ मूल्यों की स्थापना की थी भारत में नैतिक जागृति उत्पन्न करने के लिए आजीवन कर्म प्रयास किए।
एक सर्वोच्च एवं सक्रिय मानवताबादी शासक के रूप में अशोक का दृष्टान्त अद्वितीय है। अनेक विद्वानों ने अशोक है। एचजी के अनुसार, अशोक का चरित्र इतिहास के स्तम्भों को भरने वाले राजाओं, सम्राट, धर्माधिकारियों सन्त-महात्माओं आदि के बीच प्रकाशमान है और आकाश में प्राय: एकाकी तारे की तरह चमकता है।
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सम्राट अशोक की जीवनी हिंदी भाषा में | Essay on Samrat Ashok in Hindi | सम्राट अशोक निबंध हिंदी में | video
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Samrat Ashok Essay in Hindi