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सपनों का महल – तेनालीराम की कहानी स्वप्न महल | Sapno Ka Mahal Tenali rama ki kahani | Tenali Raman Story in Hindi
एक बार की बात थी चांदनी रात में राजा कृष्णदेव राय अपने महल की छत पर ठंडी हवा में बैठे थे, थोड़ी ही देर में उनकी आंख लग गई और वे सपनों की दुनिया में चले गए।
सपने में उन्होंने एक जादुई महल देखा जो हवा में उड़ रहा था। संगमरमरी दीवारों पर रंग-बिरंगे पत्थर लगे थे और उसमें ऐशो आराम की सारी व्यवस्था थी। हवा में तैरता हुआ वह महल दूर से चांद की तरह लग रहा था।
सुबह होने पर भी राजा सपनों की दुनिया से बाहर नहीं निकल पाए। अब उन्हें वैसा ही महल चाहिए था। चिंता के कारण वह बीमार पड़ गए। उन्होंने अपने राज्य में घोषणा करवा दी कि “जो भी राजा के सपने का महल बनाने में सफल होगा, उसे राजा की ओर से एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दी जाएंगी। घोषणा सुनकर सभी जानना चाहते थे कि जादुई महल क्या है, कैसा है?
कोई कहता ” क्या राजा पागल हो गए हैं…” कुछ लालची लोग राजा को मूर्ख बनाकर धन, लेने के लिए झूठी आशा भी देने लगे।
इस सब में महीना गुजर गया। राजा सारे काम छोड़कर सिर्फ अपने सपने के महल के बारे में सोचते रहते। सभी दरबारी भी परेशान हो गए थे। हारकर दरबारियों ने तेनालीराम से सलाह मांगी।
तेनालीराम ने एक योजना बनाई। उसने राजा से कुछ दिनों की छुट्टी मांगी, जिसे राजा ने स्वीकार कर लिया। कुछ दिन बीत गए। एक दिन अचानक दरबार में एक बूढ़ा आदमी दौड़ता हुआ आया और राजा के पैरों पर गिरकर, गिड़गिड़ाता हुआ बोला, “महाराज, मुझे बचाइये, मेरा परिवार भूख से मर जाएगा।”
राजा ने उसे उठाया और उससे सारी बात पूछी। वह बूढ़ा सिसकता हुआ बोलने लगा, “मैं लुट गया हूँ। मैंने अपनी पुत्री के विवाह के लिए कुछ पैसे बचाए थे, पर वे पैसे चले गए।
अब मेरी पुत्री का विवाह कैसे होगा? मैं अपने परिवार का पेट कैसे भरूंगा… सब कुछ खत्म हो गया…। ” राजा ने अपने सेवकों से कहा, “पता करो कि किसने इसे लूटा है?”
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यह सुनकर बूढ़ा तुरंत बोला, “हुजूर, आपने मुझे लूटा है । ” “मैंने! मूर्ख, मैं तुम्हारा राजा हूं। थोड़े से पैसे के लिए मैं तुम्हें लूटूगा…!.” परेशान होते हुए राजा ने कहा।
बूढ़े ने कहा, “कल रात मैंने सपना देखा कि आप अपने सेवकों के साथ मेरे घर आकर जबरदस्ती सब लूटकर ले गए हैं। मैं बहुत गरीब हूं हुजूर… थोड़ी तो दया कीजिए.. | ” क्रोध से राजा बोला, “तुम पागल तो नहीं हो? सपने भी सच
होते हैं क्या?” बूढ़े आदमी ने कहा, “क्यों हुजूर, अगर आपका उड़ने वाले महल का सपना सच हो सकता है, तो मेरा सपना सच क्यों नहीं हो सकता…?”
राजा आश्चर्यचकित रह गया। उसने शर्मिंदा होकर बूढ़े आदमी को धन्यवाद दिया।
बूढ़े आदमी ने धीरे से अपनी दाढ़ी मूछें उतार दी और राजा का अभिवादन किया। वह बूढ़ा और कोई नहीं खुद तेनालीराम था। तेनालीराम की चतुराई देखकर पूरा दरबार तालियों से गूंज उठा।
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