भारत के विश्व विरासत स्थल पर निबंध | world heritage sites in india Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on world heritage sites in india in Hindi

भारत के विश्व विरासत स्थल : सांस्कृतिक भव्यता की झलक | world heritage sites in india Essay in Hindi

भारत की कला संस्कृति एवं इसका इतिहास अत्यन्त समृद्ध है एवं हमारी कला संस्कृति की आधारशिला हमारे बिरासत स्थल हैं, जिनका सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व के साथ-साथ आर्थिक महत्त्व भी पाया जाता है। ऐसे बिरासत स्थलों को संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को दुनियाभर में उन सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासतों की पहचान और संरक्षण को प्रोत्साहित करती है, जो मानवता के लिए उत्कृष्ट मूल्य के रूप में मानी जाती है। यह वन क्षेत्र, पर्वत, झील, स्मारक, भवन व शहर जैसे महत्त्वपूर्ण स्थलों को प्राथमिकता देती है। भारत में ऐसे कई बिरासत स्थल हैं, जिनकी संरचना मजबूत होने के साथ सांस्कृतिक भव्यता को उजागर करती है। 

क्या है विश्व विरासत स्थल ?

मानवता के लिए अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण वन क्षेत्र, झील, स्मारक, भवन या शहर आदि जिन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाकर रखना आवश्यक समझा जाता है, ऐसे स्थलों को ही विश्व विरासत स्थल कहा जाता है। इनके संरक्षण की पहल यूनेस्को द्वारा की जाती है, जिनका चयन विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा किया जाता है, जो विश्व संस्कृति कीदृष्टि से मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं।

 विश्व संस्कृति एवं प्राकृतिक धरोहर संरक्षण को लेकर एक अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि

वर्ष 1972 में लागू की गई थी। वहीं विश्व विरासत कोष अन्तर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता वाले स्मारकों को संरक्षित करने से सम्बन्धित गतिविधियों के समर्थन के लिए 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर सालाना प्रदान करती है। यह राशि सबसे अधिक संकटग्रस्त स्थलों को संरक्षण हेतु प्रदान की जाती है। विश्व विरासत समिति प्राकृतिक धरोहर संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि, 1972 के तहत विरासत स्थलों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करती है, जो इस प्रकार है,

प्राकृतिक विरासत स्थल इस श्रेणी में ऐसे विरासत स्थलों को शामिल किया जाता है, जो भौतिक या भौगोलिक प्राकृतिक निर्माण या भौगोलिक दृष्टि से सुन्दर हो या भौगोलिक महत्व वाले जीव, वनस्पति या प्राकृतिक आवास, जो बिलुप्ती के कगार पर होते हैं। ये विरासत स्थल प्राकृतिक महत्त्व के होते हैं।

सांस्कृतिक विरासत स्थल इस श्रेणी में सांस्कृतिक महत्य के स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारों स्थापत्य की झलक बाले शिलालेख, गुफा, वैश्विक महत्त्व याले स्थान, इमारतों का समूह, स्थापत्य में किया गया मान्य का कार्य या प्रकृति और मानव के संयुक्त प्रयास के प्रतिफल को शामिल किया जाता है, जिनका ऐतिहासिक, सौन्दर्य जातीय व मानव विकास या वैश्विक दृष्टि से महत्व होता है। मिश्रित विरासत स्थल इस श्रेणी में ऐसे विरासत स्थलों को शामिल किया जाता है, जिनका प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों रूपों में महत्त्व होता है। 

world heritage sites in india Essay in Hindi
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भारत एवं विश्व में विश्व विरासत स्थल

भारत एवं विश्व के विश्व विरासत स्थलों को जुलाई, 2019 तक विश्व के 167 देशों में 1121 स्थानों को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया, जिनमें 869 ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक, 213 प्राकृतिक तथा 39 मिश्रित श्रेणी में सूचीबद्ध हैं। वहीं भारत के 38 विश्व धरोहर स्थलों को जुलाई, 2019 तक यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है, जिनमें 30 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक तथा 1 मिश्रित श्रेणी में शामिल है। इन स्थानों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने हेतु प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस भी मनाया जाता है।

यूनेस्को द्वारा भारत की ओर से सर्वप्रथम वर्ष 1983 में अजन्ता व एलोरा की गुफाएँ तथा लाल किले को इस विरासत सूची में शामिल किया गया। वर्ष 2019 तक राजस्थान के गुलाबी शहर के शामिल होने के साथ इसकी संख्या 38 हो गई है, जिनका सांस्कृतिक क प्राकृतिक महत्त्व है। ये स्थल भारत की सांस्कृतिक व ऐतिहासिक बिरासत को वैश्विक पटल पर पहचान दिलाते हैं, जो भावी पीढ़ी के संरक्षण हेतु प्रेरित करती है और सांस्कृतिक दृष्टि से मानवता एवं भारत की विरासत को अन्तर्राष्ट्रीय महत्व प्रदान करती है।

भारत के सांस्कृतिक विश्व धरोहर स्थल

अजन्ता की गुफाएँ ये महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अवस्थित हैं, जिसमें चट्टानों की बनी 30 बौद्ध गुफा स्मारक है, जो चित्रकारी च शिल्पकारी के लिए प्रेरित हैं। इन्हें वर्ष 1988 में यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया।

एलोरा की गुफाएँ ये महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अवस्थित पुरातात्विक स्थल हैं, जो रॉक कट बास्तुकला एवं बौद्ध, जैन तथा हिन्दू मन्दिरों व मठों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हें वर्ष 1983 में यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया।

आगरा का किला वह उत्तर प्रदेश के आगरा में अवस्थित है, जिसे लाल किला भी कहा जाता है। यह मुगल साम्राज्य की। प्रमुख संरचनाओं में से एक धरोहर है। यूनेस्को ने इसे वर्ष 1983 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

ताजमहल यह उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में अवस्थित है, जो विश्व के सात अजूबों में से एक है। वह मुगल साम्राज्य की प्रमुख संरचना है। इसे यूनेस्को ने वर्ष 1983 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया।

सूर्य मन्दिर यह उड़ीसा के कोणार्क में अवस्थित है, जो कलिंग वास्तुकला की पारम्परिक शैली के लिए प्रसिद्ध है। यह प्रमुख पर्यटन केन्द्र है। इसे यूनेस्को ने वर्ष 1984 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। महाबलीपुरम स्मारक यह तमिलनाडु राज्य में अवस्थित है, जो सबसे बड़े ओपन रॉक रिलीफ, रथ मन्दिर, मण्डप तथा पल्लव राजवंश वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जिसे यूनेस्को ने वर्ष 1984 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। 

चर्च एण्ड कन्वेण्ट्स ऑफ गोवा यह भारत के गोवा में अवस्थित है, जो रोम ऑफ द ओरिएण्ट, फर्स्ट मैनुएलिन, मैननरिएट और बैरोक आर्ट फार्म्स इन एशिया के लिए प्रसिद्ध है। यह पुर्तगाली द्वारा निर्मित प्रमुख चर्च है। इसे वर्ष 1986 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

खजुराहो का स्मारक यह मध्य प्रदेश के छतरपुर में अवस्थित है, जो हिन्दू और जैन मन्दिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह नागर शैली में निर्मित व प्रतीकवाद तथा कामुक आकृतियों एवं मूर्तियों के लिए जाना जाता है। इसे यूनेस्को ने वर्ष 1986 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। 

हम्पी का स्मारक यह कर्नाटक में अवस्थित है, जो विजयनगर राज्य, हम्पी के खण्डहर कला और वास्तुकला की बेहतर द्रविड़ शैली के लिए प्रसिद्ध है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण धरोहर विरुपाक्ष मन्दिर है। इसे वर्ष 1986 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।

फतेहपुर सीकरी यह उत्तर प्रदेश में अवस्थित है, जो जामा मस्जिद, चुलन्द दरवाजा, पंचमहल या जोधाबाई का महल, दीवान ए खास तथा दीवार ए आम के लिए प्रसिद्ध हैं। यूनेस्को ने इसे वर्ष 1986 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

एलीफेण्टा की गुफाएँ यह महाराष्ट्र में एलीफेण्टा द्वीप पर स्थित मूर्तियों की गुफाओं की शृंखला है, जो हिन्दू और बौद्ध गुफा, बेसल रॉक गुफा, शिव मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। इसे यूनेस्को ने वर्ष 1987 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

चोल मन्दिर यह ग्रेट लिविंग चोल मन्दिर तमिलनाडु में अवस्थित है, जो चोल वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकारी तथा कांस्य कास्टिंग के लिए प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 1987 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। 

पट्टकल स्मारक यह कर्नाटक में पट्टकल के स्मारकों का समूह है, जो एक उत्कृष्ट कला को प्रदर्शित करता है। यह चालुक्य की वास्तुकला शैली के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें वास्तुकला की नागर व द्रविड़ शैली की मिश्रित शैली पाई जाती है। यूनेस्को ने इसे वर्ष 1987 में विश्व धरोहर घोषित किया।

साँची का बौद्ध स्तूप यह मध्य प्रदेश में अवस्थित है, यह एक पुरातात्त्विक स्थल है, जो मोनोलिथिक स्तम्भों, महलों, मंदिरों व बौद्ध मठों के लिए प्रसिद्ध है, साथ ही यह मौर्यकालीन वास्तुकला तथा धर्म हेतु लिखे गए शिलालेख के लिए भी प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 1989 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

हुमायूँ का मकबरा हुमायूँ का मकबरा दिल्ली में अवस्थित है, जो भव्य शाही मकबरा है। यह मुगल वास्तुकला एवं स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसे वर्ष 1993 में यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया। 

कुतुबमीनार यह दिल्ली में अवस्थित है, जिसमें कुतुबमीनार, अलाई दरवाजा, अलाई मीनार, कुम्बत उल इस्लाम मस्जिद, इल्तुतमिश का मकबरा और लौह स्तम्भ शामिल है। यह एक प्रमुख सल्तनतकालीन घरोहर है। इसे वर्ष 1993 में यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल किया गया था, जिसका निर्माण 13वीं सदी में हुआ था।

भारत के पहाड़ी रेलवे भारत के पहाड़ी रेलवे में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरि माउंटेन रेलवे तथा कालका शिमला रेलवे को शामिल किया गया है। इन्हें यूनेस्को ने वर्ष 1999 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। 

महाबोधि मन्दिर बोधगया का महाबोधि मन्दिर बिहार राज्य में अवस्थित है। इसे बौद्धों के लिए सबसे तीर्थ पवित्र स्थान माना जाता है, यह वही स्थान है, जहाँ महात्मा बुद्ध को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ था। यूनेस्को ने इसे वर्ष 2002 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।

भीमबेटका शैलाश्रय यह पाँच पाषाण आश्रयों का समूह है, जो मध्य प्रदेश में अवस्थित है। यह प्राकृतिक रॉक शेल्टर, पाषाण युग शिलालेख, रॉक पेण्टिंग आदि के लिए प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 2003 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस यह टर्मिनस (पूर्व विक्टोरिया टर्मिनस) महाराष्ट्र के मुम्बई में अवस्थित है, जो गोथिक स्टाइल अवसंरचना के लिए प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने इसे वर्ष 2004 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया। यह वर्ष 2008 से मुम्बई के हवाई अड्डे के मुख्यालय के रूप में भी प्रसिद्ध है।

पावागढ़ पुरातत्त्व पार्क यह गुजरात में अवस्थित है, जो एकमात्र पूर्ण अपरिवर्तित इस्लामिक पूर्व मुगल शहर है। इसमें पाषाण युग की कुछ चालकोलिथिक साइटें भी मौजूद हैं। पावागढ़ पहाड़ी पर निर्मित कालिका माता मन्दिर के लिए भी यह प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने वर्ष 2004 में इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया।

लाल किला यह मुगल शासक शाहजहाँ द्वारा निर्मित है, जो दिल्लों में अवस्थित है। यह भारतीय, तैमुरी, फारसी स्थापत्य शैली, लाल बलुआ पत्थर से निर्मित वास्तुकला तथा मोती मस्जिद के लिए प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 2007 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया। 

जन्तर-मन्तर यह राजस्थान के जयपुर में स्थित खगोलीय प्रेक्षण स्थल है, जिसका निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा कराया गया था। यह सबसे बड़ी बेधशाला है। यूनेस्को ने इसे वर्ष 2010 में विश्व धरोहर घोषित किया।

राजस्थान के पहाड़ी किले राजस्थान में अवस्थित राजपूत सैन्य रक्षा वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें छ: किले शामिल हैं, जो क्रमश: चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़, सवाई माधोपुर, झालवार, जयपुर तथा जैसलमेर के किले हैं। यूनेस्को ने इन्हें वर्ष 2013 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया।

रानी की बाप रानी की बाप (रानी की बापडी) गुजरात में अवस्थित है, जिसका निर्माण राजा के स्मारक के तौर पर कराया गया था। यह प्राचीन वास्तुकला को उजागर करती है, जिसका निर्माण सोलंकी राजवंश ने कराया था। इसे वर्ष 2014 में विश्व धरोहर घोषित किया गया।

नालन्दा महाविहार (नालन्दा विश्वविद्यालय) यह बिहार राज्य में अवस्थित है। यह तीसरी सदी ईसा पूर्व से लेकर 13वीं सदी ईसवी तक एक बौद्ध मठ था। यह बौद्ध धर्म के साथ अन्य धर्मों के शिक्षा का केन्द्र था। नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त शासक ने करवाई थी। यूनेस्को ने वर्ष 2016 में इसे विश्व विरासत स्थल घोषित किया। 

कैपिटल कॉम्प्लेक्स, चण्डीगढ़ यह चण्डीगढ़ की राजधानी परिसर में अवस्थित है। इस वास्तुकला के वास्तुकार ली कार्बुजिए थे। इसके वास्तुशिल्प के योगदान को आधुनिक आन्दोलन में उत्कृष्ट योगदान के रूप में, विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। यूनेस्को ने इसे वर्ष 2016 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया।

अहमदाबाद ऐतिहासिक शहर यह गुजरात के साबरमती के तट पर एक दीवार वाला एक ऐतिहासिक शहर है, जहाँ हिन्दू, इस्लाम और जैन समुदाय सदियों से सह अस्तित्व में हैं। यूनेस्को ने इसे वर्ष 2017 में विरासत शहर घोषित किया। यह यूनेस्को की परोहर सम्पदा में घोषित पहला शहर है।

विक्टोरिया गोधिक एवं आर्ट डेको इंसेम्बल यह इंसेम्बल महाराष्ट्र के मुम्बई में निर्मित है, जो भवनों का संग्रह है। वह बास्तुशिल्प शैलियाँ विक्टोरियन संरचनाओं का संग्रह (गोथिक पुनर्जागरण के भवनों) तथा समुद्र तट के साथ 20वीं सदी के आर्ट डेको भवनों से निर्मित है, जिसके मध्य में ओवल मैदान अवस्थित है। इसे यूनेस्को ने वर्ष 2018 में विश्व धरोहर घोषित किया।

गुलाबी शहर, जयपुर राजस्थान में अवस्थित पिंक सिटी या गुलाबी शहर जयपुर कई शानदार किलों, महलों, मन्दिरों तथा संग्रहालयों का घर है। साथ ही यहाँ की स्थानीय शिल्पकला विश्व प्रसिद्ध है। अत: वर्ष 2019 में यूनेस्को ने इसे विरासत घोषित किया।

भारत के प्राकृतिक विश्व विरासत स्थल 

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान यह असम राज्य में अवस्थित एक महत्त्वपूर्ण विश्व विरासत स्थल है। यहाँ एक सॉंग चाले गैंडे की संख्या सर्वाधिक पाई जाती है। यह गैंडे के साथ बाघों की उच्च सघनता, जंगली जल भैंस, हिरण तथा पक्षी क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 1985 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया।

केवला देव राष्ट्रीय उद्यान यह राजस्थान में अवस्थित है, जो भरतपुर पक्षी अभ्यारण्य के नाम से जाना जाता है। यह मानव निर्मित बेटलैंड पक्षी अभ्यारण्य, साइबेरियन क्रेन तथा पक्षी विज्ञानियों के लिए हॉटस्पॉट के रूप में प्रसिद्ध है। इसे यूनेस्को ने वर्ष 1985 में विश्व विरासत घोषित किया। 

मानस वन्य जीव अभ्यारण्य यह असम के भूटान-हिमालय पर्वतमाला की तलछटी में बसा है। यह जैव-विविधता, प्रोजेक्टर टाइगर रिजर्व, हाथी रिजर्व तथा बायोस्फीयर के लिए प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने इसे वर्ष 1985 में विश्व धरोहर घोषित किया।

सुन्दरवन राष्ट्रीय पार्क यह पश्चिम बंगाल में अवस्थित है, जो बायोस्फीयर रिजर्व, सबसे बड़ा मैग्रोव फॉरेस्ट, बंगाल टाइगर तथा साल्ट वाटर क्रोकोडाइल के रूप में प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने इसे वर्ष 1987 में विश्व धरोहर घोषित किया।

नन्दा देवी एवं फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान यह उत्तराखण्ड राज्य में अवस्थित है, जो एशियाटिक ब्लैक बियर, स्नो लेपर्ड, ब्राउन बियर, ब्लू शिप, हिमालयन मोनाल तथा बायोस्फीयर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। यूनेस्को ने वर्ष 1988 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया।

पश्चिमी घाट यह जैव-विविधता सम्पन्न क्षेत्र है, जो गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल राज्य में फैला है। यह विश्व के हॉटस्पॉट क्षेत्र के रूप में शामिल है। इस क्षेत्र में कई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य तथा आरक्षित वन शामिल है। इसे वर्ष 2012 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया।

ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान यह हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले में स्थित है। इसे वर्ष 1999 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह कई प्रजातियों का घर है। यह मेड़, हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, विशाल अल्पाइन घास क्षेत्र के साथ जैव-विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा है। इसे वर्ष 2014 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया।

भारत के मिश्रित विश्व विरासत स्थल

भारत के मिश्रित विश्व विरासत स्थल में एक क्षेत्र शामिल है कंचनजंघा पार्क यह सिक्किम राज्य में अवस्थित है, जो जीव-जन्तुओं और बनस्पतियों के साथ-साथ हिम तेंदुए के लिए प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 2016 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। 

भारत के विरासत स्थलों का महत्त्व एवं संरक्षण

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ विविधतापूर्ण संस्कृति व विभिन्न शैलियों में निर्मित विरासत स्थल मौजूद हैं, जिसमें प्राचीन नगर योजना के साथ चेघशालाओं तथा समकालीन वैज्ञानिक विकास की झलक मौजूद है। हमारे विरासत स्थलों के सन्दर्भ में इतिहासकारों का मानना है कि भारतीय स्मारकों के निर्माण के पीछे लम्बी अवधि तक तथा अधिक संख्या में लोगों को रोजगार मुहैया कराना था। इसी कारण भारतीय स्मारक के निर्माण कार्य लम्बे समय तक चले थे, जो वर्तमान में सरकारों के लिए प्रमुख आय के स्रोत हैं।

भारतीय विरासत स्थलों की एक प्रमुख विशेषता यह भी है कि इसमें स्थानीय संसाधनों व स्थानीय कलाओं का विशेष उपयोग किया गया है। यह कौशल आज भी स्थानीय समुदायों में विद्यमान है। भारत में ऐसे विरासत स्थलों की संख्या सर्वाधिक है, जिनकी संरचना मजबूत होने के कारण उन्हें आधुनिक होटलों में बदल दिया गया है। इसके अतिरिक्त इन स्थलों का उपयोग स्कूलों या क्लीनिक के रूप में किया जा सकता है। ऐसे स्थल देश में न केवल आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि ये हमारी सामाजिक संस्कृति को भी संरक्षण हेतु प्रेरित करते हैं।

भारत की बिरासतों का संरक्षण कई संस्थाओं के तहत किया जा रहा है। इसके बावजूद इसे आर्थिक लाभ से जोड़ने के साथ सांस्कृतिक क्षेत्र के उदारीकरण की परिधि में लाना होगा। तभी ऐसे क्षेत्रों के बारे में लोगों के बीच जानकारियाँ व जागरूकताएँ बढ़ेगी, क्योंकि ऐसे बिरासत स्थल केवल सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से ही महत्त्वपूर्ण नहीं होते, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण होते हैं। अतः हमें विश्व विरासत स्थलों को देखते हुए भारत में मौजूद धरोहरों के संरक्षण में निजी भागीदारी को भी बढ़ावा देना चाहिए, जिससे छोटी-छोटी सांस्कृतिक महत्त्व की स्थानीय कलाओं, स्थानों व घरोहरों को संरक्षण का अवसर प्राप्त हो सके और जिससे उन्हें भविष्य में वैश्विक पहचान मिल सके। 

निष्कर्ष

इस प्रकार, भारत की प्राकृतिक, सांस्कृतिक व मिश्रित विश्व धरोहर भारत की सांस्कृतिक भव्यता को प्रदर्शित करती है। इसके बावजूद भारत में ऐसे कई धरोहर स्थल है, जो विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय बिरासत, शहर विकास और विस्तार योजना एवं स्वदेश दर्शन जैसी योजनाओं को स्थूल बनाने की आवश्यकता है। साथ ही समृद्ध पर्यटन संसाधनों का लाभ उठाने के साथ ही ऐसी सांस्कृतिक भव्यता को उजागर व जीवित रखने हेतु जिम्मेदारीपूर्वक संरक्षण की आवश्यकता है। तभी भारतीय विरासतों को यूनेस्को की सूची में सर्वाधिक संख्या में शामिल किया जा सकेगा।

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reference
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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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