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जीवन में कला का महत्व पर निबंध | kala ka mahatva Essay in Hindi

संसार के सभी जीवों में मनुष्य श्रेष्ठ है। उसके पास बुद्धि और विवेक के रूप में दो ऐसी नैसर्गिक शक्तियाँ हैं, जिनके कारण वह अन्य जीवों से श्रेष्ठ बन पाया है। आत्मरक्षा की प्रवृत्ति और प्रजनन क्षमता लगभग सभी जीवों में पाई जाती है और वे इनसे सन्तुष्ट हो जाते हैं, परन्तु मनुष्य केवल इससे ही सन्तुष्ट होकर नहीं रह जाता। सम्भवतः यही विचार कला के जन्म का मूल है।

वास्तव में, ‘कला’ क्या है इसका सही उत्तर दे पाना सरल नहीं है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने कला के सन्दर्भ में अपना मत व्यक्त करते हुए कहा है-“अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही कला है।” इटली के महान् विद्वान् ने भी कला को अभिव्यक्ति का साधन मानते हुए कहा है- “कला का सम्बन्ध केवल स्वानुभूव ही कला का रूप धारण कर लेती है। अत: अभिव्यक्ति की पूर्णता ही कला है, अभिव्यक्ति ही उसका सौन्दर्य है।”

एक अन्य विद्वान् ने कला को परिभाषित करते हुए लिखा है- “कला, कलाकार के आनन्द के श्रेय और प्रेय तथा आदर्श और यथार्थ को समन्यित करने वाली प्रभावोत्पादक अभिव्यक्ति है।”

वास्तव में, कला सुन्दरता की अभिव्यक्ति है और समृद्धि की परिचायक है। कहा जाता है कि जिस जाति की कला जितनी समृद्ध और सुन्दर होगी, वह जाति उतनी ही गौरवशाली और प्राचीन होगी, इसलिए कला को किसी भी राष्ट्र की संस्कृति का मापदण्ड भी कहा जाता है। 

जब व्यक्ति भौतिक रूप से सुरक्षित होता है और उसे किसी बात का भय नहींआज राजनीतिक पार्टी भी अपने चुनाव प्रचार के लिए मोबाइल का सहारा लेकर करोड़ों लोगों तक पहुँचने का प्रयास करती है। मोबाइल के माध्यम से आज लोग अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का खुलकर प्रयोग कर रहे हैं। मोबाइल में वीडियो कॉल की सुविधा ने लोगों के बीच की दूरी मिटा दी है। 

kala ka mahatva Essay in Hindi
kala ka mahatva Essay in Hindi

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मोबाइल में सीडियो कॉल के माध्यम से लोग प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे को देखते हुए बात कर सकते हैं। आपस में बात करना, विचारों का आदान-प्रदान आज इतना आसान हो गया है कि लोग पत्र लिखना भूल गए हैं, जबकि पत्र लेखन (पोस्टकार्ड और अन्तर्देशीय) हमारी संस्कृति का अभिन्न अग रह चुका है।

छात्रों के जीवन में भी मोबाइल अत्यधिक सकारात्मक परिवर्तन लाया है। यदि किसी प्रश्न का उत्तर ढूँढना हो तो तुरन्त स्मार्टफोन में इण्टरनेट पर सर्च किया जा सकता है। यदि कोई रास्ता भटक जाए तो मोबाइल में उपलब्ध गूगल मैप से सही पते तक पहुँचा जा सकता है। उसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति विपत्ति में हो तो मोबाइल के माध्यम से कॉल आदि कर अपनी विपत्ति को टाल सकता है। उदाहरण के लिए, पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि को तुरन्त सूचित किया जा सकता है।

आज जब हम बाजार जाते हैं तो बाजर में भी मोबाइल की प्रभुता देखने को मिलती है। फुटपाथ पर कैम्प लगाकर सिम बेचना, मोबाइल से सम्बन्धित विभिन्न उपकरण, मोबाइल सेल आदि देखने को मिलती है। प्रतिदिन नए-नए मोबाइल का प्रचार टीबी, समाचार-पत्र आदि में देखने को मिल रहा है। लोग आज किसी को कुछ उपहार देना चाहते हैं, तो सबसे अच्छा विकल्प मोबाइल ही लगता है। इस प्रकार मोबाइल उद्योग आज पूरी दुनिया में फैल चुका है।

भारत में ही टेलीकम्पनियों के बीच काफी प्रतिस्पर्द्धा बढ़ गई है, टेलीडेंसिटी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अत: यह कहा जा सकता है कि बाजार से लेकर जीवन शैली तफ़ मोबाइल ने क्रान्तिकारी प्रभाव डाला है। निश्चित रूप से मोबाइल ने संचार क्रान्ति को सफल बना दिया है।

नकारात्मक पहलू बर्तमान समय में अपराधों को बढ़ावा देने में मोबाइल की मुख्य भूमिका है। मोबाइल के माध्यम से तीव्र रूप से सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा ने अपराधियों का मनोबल बढ़ा दिया है। कानून और पुलिस से बचने के लिए अपराधियों द्वारा सिम बदल-बदल कर मोबाइल का उपयोग किया जा रहा है, जिस कारण अपराधियों को पकड़ने में समय लग जाता है।

ऐसा भी देखा जाता है कि जेल में बन्द अपराधी मोबाइल के माध्यम से अपराध को निर्देशित करते रहते हैं। यद्यपि यह एक गम्भीर विषय है जो हमें सोचने को बाध्य करता है कि जेल में अपराधियों को मोबाइल कैसे मिल जाता है, निश्चित रूप से यह व्यवस्था की असफलता व कमजोरी है। मोबाइल के माध्यम से हो रहे अपराधों पर नियन्त्रण हेतु आज इलेक्ट्रॉनिक सर्विलास और ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम पर सरकार को अपने बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ता है।

मोबाइल के माध्यम से लड़कियों के एमएमएस बनाना, गन्दी गन्दी बातें करना आदि जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं, जो हमारी संस्कृति का क्षरण कर रही हैं। मोबाइल आज वैचारिक प्रदूषण का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है। मोबाइल फोन में उपलब्ध सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाना, महापुरुषों के बारे में भ्रांतियाँ फैलाना, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना, दूसरे को परेशान करना, धमकाना आदि सामान्य बातें हो गई हैं। इसके माध्यम से लोगों को अधूरा ज्ञान मिलता है, जो समाज के लिए अत्यधिक घातक सिद्ध हो रहा है।

मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के कारण आज हमारी संस्कृति पतन की ओर अग्रसर है। लोग अपने संस्कार भूल गए हैं और एक ही घर में रहकर भी साथ नहीं रह रहे हैं, क्योंकि सब अपने-अपने मोबाइल में वयस्त रहते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग स्वयं को अकेला महसूस करते हैं। 

मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के कारण आज के समाज में रचनात्मकता कम होती जा रही हैं, साथ ही मोबाइल ने लोगों की चिन्तनशीलता ध्यान शक्ति को भी कम कर दिया है। मोबाइल ने सबसे अधिक छात्र जीवन को दुष्प्रभावित किया है, क्योंकि ध्यान और चिन्तन छात्र के लिए सबसे अधिक आवश्यक है तथा मोबाइल इसके मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है। मोबाइल के कारण छात्रों में एकाग्रता नहीं बन पाती है, जिस कारण उनकी पढ़ाई बाधित होती है। 

मोबाइल के कारण छात्र पोर्नोग्राफी भी देखने लगते हैं, जिससे उनकी मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है। साथ ही छात्रों के द्वारा महंगे मोबाइल की माँग करने के कारण घर का बजट भी बिगड़ जाता है।

मोबाइल हमारे स्वास्थ्य को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाता है। मोबाइल से निकलने बाली तरंगे हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी घातक होती है। मोबाइल फोन पर सिनेमा देखने से आँखों के खराब होने की सम्भावना बढ़ जाती है। उसी प्रकार इयरफोन के माध्यम से गाना सुनकर लोग अपने कानों पर कुप्रभाव डालते हैं। इसके अतिरिक्त सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, रक्तचाप, हृदय रोग आदि जैसी समस्याएँ उत्पन्न करने में मोबाइल की अहम् भूमिका होती है।

लोग मोबाइल में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि ये सड़क व रेल दुर्घटना आदि के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि लोग कानों में इयरफोन लगाकर रेलवे लाइन या सड़क को पार करने की कोशिश करते हैं। मोबाइल के कारण लोग अपना कीमती समय जब धन दोनों व्यर्थ कर देते हैं। लोग अनावश्यक कॉल, मैसेज, सोशल मीडिया आदि में व्यस्त रहते हैं। साथ ही मोबाइल कम्पनी व ऐप व्यक्ति के निजी जीवन पर निगरानी रखते हैं, जिससे निजता के अधिकार के उल्लंघन होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

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kala ka mahatva Essay in Hindi

निष्कर्ष

इस प्रकार हम देखते हैं कि मोबाइल हमारे जीवन को काफी सहज करते हुए हमारी जीवन-शैली में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाया है, लेकिन साथ ही कुछ नकारात्मक पहलुओं को भी जन्म दिया है, जिस कारण हम अपनी संस्कृति, रचनात्मकता आदि से दूर हो रहे हो निश्चित रूप से मोबाइल आज हमारे जीवन का सबसे अनिवार्य अंग बन गया है अर्थात् मोबाइल के बिना आज जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है, लेकिन मोबाइल के दुष्प्रभावों को देखते हुए हमें सचेत होकर इसका प्रयोग करने की आवश्यकता है।

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reference
kala ka mahatva Essay in Hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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