विज्ञापन की दुनिया पर निबंध | Vigyapan Ki Duniya Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on On Advertisement in Hindi

विज्ञापन की दुनिया पर निबंध | Vigyapan Ki Duniya Essay in Hindi

“”विज्ञापन समाज एवं व्यापार जगत में होने वाले परिवर्तन को प्रदर्शित करने बाला उद्योग है, जो बदलते समय के साँचे में तेज़ी से ढल जाता है।” ऐसा भारत में ऐडगुरु’ के नाम से विख्यात प्रसून जोशी का मानना है। आज हमारे चारों और संचार तन्त्र का जाल-सा बिछा है। 

एक ओर हमारे जीवन में पुस्तकें, पत्रिकाएं, समाचार-पत्र जैसे ग्रिष्ट मीडिया के साधनों की भरमार है, तो दूसरी ओर हम घर से बाहर तक रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, कम्प्यूटर, मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अत्याधुनिक साधनों से घिरे हुए हैं, किन्तु यदि हम कहें कि मीडिया के इन सारे साधनों पर सर्वाधिक आधिपत्य विज्ञापन का है, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि विज्ञापन न केवल इनकी आय का मुख्य स्रोत है वरन् पूरे संचार तन्त्र पर अपना गहरा प्रभाव भी छोड़ता है। तभी तो मार्शल मैकलुहन ने इसे बीसवीं सदी के सर्वोत्तम कला विधान की संज्ञा दी है।

सचमुच एक छोटा-सा विज्ञापन भला क्या नहीं कर सकता। हिट हो जाए तो वह एक सामान्य से उत्पाद को आसमान की बुलन्दियों तक पहुँचा सकता है। विज्ञापन की बानगी देखिए-दो बूँद ज़िन्दगी की’ (पोलियो उन्मूलन), जागो रे’ (टाटा चाय), ‘दाग अच्छे हैं’ (सर्फ एक्सेल) अथवा ‘नो उल्लू बनाईंग’ (आइडिया मोबाइल) जैसे विज्ञापन इतने प्रचलित हुए कि सहज ही लोगों की जुबान पर चढ़ गए। 

यद्यपि रेडियो या टेलीविजन के प्रसारण के छोटे-से समय अथवा समाचार-पत्रों के छोटे से हिस्से के द्वारा विज्ञापनों को अपना उद्देश्य पूरा करना पड़ता है, फिर भी इनमें रचनात्मकता देखते ही बनती है। मैगी, साबुन, शैम्पू, मोबाइल जैसे उत्पादों में वृद्धि का कारण इनके रचनात्मक विज्ञापन ही हैं और वर्तमान समय का सच भी यही है कि आज किसी भी उत्पाद के प्रचार-प्रसार का सबसे प्रभावशाली माध्यम विज्ञापन ही है।

विज्ञापन का महत्त्व

प्रसून जोशी के अनुसार, “विज्ञापन का क्षेत्र अति सृजनात्मक है। मैं विज्ञापन लिखने के दौरान तुकबन्दी न कर, पूरी कविता की रचना करता हूँ, जैसे- उम्मीदों वाली धूप, सनशाइन वाली आशा अथवा हाँ मैं क्रेजी हूँ। एक अच्छा विज्ञापन लोगों के दिल में उतर जाता है और वे ब्राण्ड से जुड़ जाते हैं।”

विज्ञापन, उपभोक्ताओं को शिक्षित एवं प्रभावित करने के दृष्टिकोण से निर्माताओं, थोक बिक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं की ओर से विचारों, उत्पादों एवं सेवाओं से सम्बन्धित सन्देशों का अव्यक्तिगत संचार है। यह मुद्रित, ऑडियो अथवा बीडियो रूप में हो सकता है। इसके प्रसारण के लिए समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन एवं फिल्मों को माध्यम बनाया जाता है। इनके अतिरिक्त होर्डिंग्स, बिलबोर्ड्स, पोस्टर्स इत्यादि का प्रयोग भी विज्ञापन के लिए किया जाता है। 

जूते-चप्पल से लेकर लिपस्टिक, पाउडर एवं दूध-दही अर्थात् दुनिया की ऐसी कौन-सी चीज़ है, जिसका विज्ञापन किसी-न-किसी रूप में कहीं प्रसारित या प्रकाशित न होता हो। यहाँ तक कि विवाह के लिए वर या वधू कीतलाश हेतु भी विज्ञापन प्रकाशित एवं प्रसारित होते हैं।

विज्ञापन की विशेषताओं पर ध्यान दें, तो पता चलता है कि ये सन्देश के अव्यक्तिगत संचार होते हैं। इनका उद्देश्य वस्तुओं एवं सेवाओं का संबर्द्धन करना होता है। इनके प्रश्नों तक द्वारा लोगों को वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदने के लिए प्रेरित करने वाला एक सन्देश प्रेषित किया जाता है। इस तरह, विज्ञापन संचार का भुगतान किया हुआ एक रूप है।

Vigyapan Ki Duniya Essay in Hindi
Vigyapan Ki Duniya Essay in Hindi

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विज्ञापन का लाभ

विज्ञापन से कई प्रकार के लाभ होते हैं। यह उत्पादों, मूल्यों, गुणवत्ता, बिक्री सम्बन्धी जानकारियों, विक्रय उपरान्त सेवाओं इत्यादि के बारे में उपयोगी सूचनाएँ प्राप्त करने में उपभोक्ताओं की मदद करता है। यह नए उत्पादों के प्रस्तुतीकरण, वर्तमान उत्पादों के उपभोक्ताओं को बनाए रखने और नए उपभोक्ताओं को आकर्षित कर अपनी विक्री बढ़ाने में निर्माताओं की मदद करता है। यह लोगों को अधिक सुविधा, आराम, बेहतर जीवन पद्धति उपलब्ध कराने में सहायक होता है।

इन सबके अतिरिक्त विज्ञापन समाचार-पत्र, रेडियो एवं टेलीविजन की आय का प्रमुख स्रोत होता है। यदि सही मात्रा में इन माध्यमों को विज्ञापन न मिलें, तो इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जो समाचार-पत्र हम दो या तीन रुपये में खरीदते हैं, उसकी छपाई का ही व्यय दस रुपये से अधिक होता है। फिर प्रश्न उठता है कि हमें कम कीमत पर यह कैसे उपलब्ध हो जाता है। वास्तव में, विज्ञापनों से प्राप्त आय से इसकी पूर्ति की जाती है। इस तरह स्पष्ट है कि यदि संचार माध्यमों को पर्याप्त बिज्ञापन न मिलें, तो इनके बन्द होने का खतरा हो सकता है।

बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ ही आज खेल-कूद आयोजनों एवं अन्य कार्यक्रमों को प्रायोजित करती है। टेलीविजन पर सीधा प्रसारण हो या रेडियो पर आँखों देखा हाल, इन सबको बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ ही प्रसारित करती है और इसका उद्देश्य होता है, उनकी वस्तुओं एवं सेवाओं का विज्ञापन। इस तरह, विज्ञापन के कारण ही लोगों का मनोरंजन भी होता है। आजकल टेलीविजन पर अत्यधिक मात्रा में प्रसारित विज्ञापनों के कारण लोगों को इससे अरुचि होने लगी है।

इस बात से कैसे इनकार किया जा सकता है कि यदि विज्ञापन न हो, तो किसी कार्यक्रम का प्रसारण भी नहीं हो पाएगा। इस तरह देखा जाए, तो विज्ञापन के कारण ही लोगों का मनोरंजन भी हो पाता है। खिलाड़ियों के लिए तो विज्ञापन कुबेर का खजाना बन चुके हैं।

आजकल तकनीक एवं प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ ही विज्ञापन संचार के सशक्त माध्यम के रूप में उभरे हैं। समाचार-पत्र एवं रेडियो, टेलीविज़न ही नहीं, इण्टरनेट पर भी आजकल विभिन्न प्रकार के विज्ञापनों को देखा जा सकता है। सरकार की विकासोन्मुखी योजनाएँ; जैसे- साक्षरता अभियान, परिवार नियोजन, महिला सशक्तीकरण, कृषि एवं विज्ञान सम्बन्धी योजनाएँ, पोलियो एवं कुष्ठ निवारण अभियान, स्वच्छ भारत अभियान इत्यादि विज्ञापन के माध्यम से ही त्वरित गति से क्रियान्वित होकर प्रभावकारी सिद्ध होती हैं।

इस तरह से विज्ञापन समाजसेवा में भी सहायक होता है। फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन एवं अभिनेत्री ऐश्वर्या राय द्वारा ‘पोलियो मुक्त अभियान’ के लिए प्रस्तुत किया गया विज्ञापन ‘दो बूँद ज़िन्दगी की’ इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इस विज्ञापन का जनमानस पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

केवल व्यावसायिक लाभों के लिए कम्पनियों द्वारा ही विज्ञापनों का प्रसारण या प्रकाशन नहीं किया जाता। अब राजनीतिक दल भी अपने विचारों एवं योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए विज्ञापन का सहारा लेते हैं। इस तरह, चुनावों के समय लोकमत के निर्माण में भी विज्ञापनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। बिल बर्नयेक के अनुसार, “विज्ञापन का सर्वाधिक शक्तिशाली तत्त्व सच है।” वर्तमान में कोविड-19 महामारी के लिए उत्तरदायी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए जनता को विज्ञापन के माध्यम से भी जागरूक किया जा रहा है, जो विज्ञापन के महत्त्व को रेखांकित करता है।

विज्ञापन की हानियाँ

विज्ञापन से यदि अनेक लाभ हैं, तो इससे हानियाँ भी कम नहीं हैं। विज्ञापन पर किए गए व्यय के कारण उत्पाद के मूल्य में वृद्धि होती है। उदाहरणस्वरूप, ठण्डे पेय पदार्थों को ही लीजिए। जो ठण्डा पेय पदार्थ बाजार में ₹10 में उपलब्ध होता है, उसका लागत मूल्य मुश्किल से ₹ 5 से 7 के आस-पास होता है, किन्तु इसके बिज्ञापन पर करोड़ों रुपये व्ययकिए जाते हैं। इसलिए इनकी कीमत में अनावश्यक वृद्धि होती है। कभी-कभी विज्ञापन हमारे सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों को भी क्षति पहुंचाता है।

भारत में पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव एवं उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास में विज्ञापनों का भी हस्तक्षेप है। ‘पैलेण्टाइन डे’ हो या ‘न्यू ईयर ईस’ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों इनका लाभ उठाने के लिए विज्ञापनों का सहारा लेती हैं। इण्टरनेट से लेकर गली-मुहल्ले तक में इससे सम्बन्धित सामानों का बाज़ार लग जाता है। इस तरह कम्पनियों को करोड़ों का लाभ होता है।

विज्ञापनों से होने वाले आर्थिक लाभ के कारण धन लेकर समाचार प्रकाशित करने की प्रवृत्ति भी आजकल बढ़ी है। इससे पत्रकारिता के मूल्यों का ह्रास हुआ है। मीडिया को लोकतन्त्र का चतुर्थ स्तम्भ कहा जाता है। विज्ञापनदाताओं के अनुचित प्रभाव एवं व्यावसायिक लाभ को प्राथमिकता देने के कारण मीडिया के उद्देश्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 


कई बार यह भी देखने में आता है कि सरकारी विज्ञापनों के लोभ में समाचार-पत्र एवं टीवी चैनल सरकार के विरोध में कुछ प्रकाशित या प्रसारित नहीं कर पाते हैं। विज्ञापन से एकाधिकार की प्रवृत्ति का भी सृजन होता है। माइक्रोसॉफ्ट प्रारम्भ से ही यह प्रयास करती रही है कि कम्प्यूटर की दुनिया में उसका एकाधिकार रहे। इसके लिए वह समय-समय पर विज्ञापनों का भी सहारा लेती है। विज्ञापनों के माध्यम से एकाधिकार की लड़ाई हमेशा माँग में वृद्धि करवाने में सहायक होती है।

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Vigyapan Ki Duniya Essay in Hindi

निष्कर्ष

इस तरह, विज्ञापन की दुनिया एक रोचक दुनिया है। जहाँ पैसा है, ग्लैमर है, शोहरत है एवं सफलता की ऊँचाइयाँ हैं। अनेक मॉडलों के प्रसिद्ध होने में विज्ञापनों का योगदान रहा है। अनेक फिल्मों के हिट होने के पीछे भी विज्ञापन की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। विज्ञापन की दुनिया की सबसे विशेष बात इसकी रचनात्मकता होती है। कुछ विज्ञापन तो हास्य-व्यंग्य से भी भरपूर होते हैं, जिसके कारण इनसे भी लोगों का अच्छा मनोरंजन हो जाता है।

निःसन्देह जानकारी बढ़ाने, मेल-मिलाप करने जैसे सकारात्मक साधन के रूप में कार्य करने पर विज्ञापन जनकल्याण के साथ-साथ देशहित में भी सहायक होता है। इस सन्दर्भ में नॉर्मन डगलस ने ठीक ही कहा है कि-“आप अपने विज्ञापनों के माध्यम से राष्ट्र के आदर्शों को प्रकट कर सकते हैं।”

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reference
Vigyapan Ki Duniya Essay in Hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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