वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi | Essay on Rainy Season in Hindi

बिजली चमकी दूर गगन में,

कंपन होते प्राण भवन में,

तरल-तरल कर गई हृदय को,

निष्ठुर मौसम की मनमानी।

बरस गया बादल का पानी!

डॉ. अजय पाठक की यह पंक्तियां वर्षा की खूबसूरती को बखूबी बंया कररही हैं। वर्षा ऋतु भारत की महत्वपूर्ण ऋतुओं में से एक है। धरती पर मुख्य रुप से छह ऋतुएं बेहद अहम मानी जाती हैं – ग्रीष्म काल, शीत काल, वसंत ऋतु, हेमंत ऋतु, वर्षा ऋतु और शरद ऋतु।

जहां ग्रीष्म काल को गर्म मौसम और तपती धूप के लिए जाना जाता है, वहीं शीत काल ठंडी हवाओं, धुंध, कोहरा और कुछ जगहों पर बर्फबारी के लिए मशहूर है। इसके अलावा वसंत ऋतु और शरद ऋतु, जिसे पतझड़ भी कहा जाता है, गर्मी और सर्दी के मध्य की ऋतुएं होती हैं, जिनमें गर्म और सर्द हवाओं का मिलाजुला रुप देखने को मिलता है। वहीं हेमंत ऋतु सर्दी के आगमन का संकेत देती है, तो वर्षा ऋतु मूलसलाधार बारिश के लिए जानी जाती है।

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वर्षा ऋतु को मानसून सीजन भी कहा जाता है। मानसून शब्द अरबी भाषा के मौसम शब्द से निकला है। यह मौसम लगभग चार महीनों तक चलता है। भारतीय उपमहाद्वीप में जून के महीने में वर्षा ऋतु की शुरुआत होने के बाद मानसून सीजन सितम्बर महीने के अंत तक रहता है। हालांकि देश के अलग-अलग राज्यों में मानसून अलग-अलग समय पर दस्तक देता है। वर्षा ऋतु को पंक्तियों में पिरोते हुए कवि हेमंत रिछारिया लिखते हैं-

बारिश में लगता है मौसम बड़ा सुहाना,

बूँद-बूँद ताल बजाए पंछी गाएँ गाना…।

ठंडी-ठंडी बौछारें हैं पवन चले घनघोर,

बादल गरजे उमड़-घुमड़ नाचे वन में मोर…।

प्रकृति कर रही स्वागत तेरा कर अपना शृंगार

पपीहे ने किया अभिनंदन गा कर मेघ मल्हार…।

आ जा ओ बरखा रानी!

भारतीय वर्षा ऋतु को अमूमन मानसूनी जलवायु कहा जाता है। दरअसल भारत में मानसून आने की प्रक्रिया बाकी देशों की तुलना में थोड़ी अलग है। भारतीय मानसूनी हवाएं हिन्द महासागर के दक्षिणी ध्रुव से आती हैं। जोकि भूमध्य रेखा पार करने के बाद भारत पर कम दवाब छेत्र होने के कारण अरब सागर के रास्ते भारत का रुख करतीं हैं। इसी कड़ी में भारत का दक्षिणी भाग त्रिकोणीय होने के कारण यह मानसूनी हवाएं दो हिस्सों में विभाजित हो जाती हैं। वैज्ञानिक इसके एक हिस्से को अरब सागर शाखा और दूसरे को बंगाल की खाड़ी शाखा कहते हैं।

अरब सागर की शाखा जहां पश्चिमी घाट से टकरा कर मुंबई, गोवा, मंगलौर और केरला आदि जगहों पर भारी बारिश देते हुए राजस्थान में अरावली पर्वतों के पास से निकलकर दिल्ली की ओर बढ़ती है। वहीं बंगाल की खाड़ी की शाखा असम सहित उत्तर-पूर्व भारत के सभी राज्यों में मूसलधार बारिश करते हुए बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश से होते हुए दिल्ली जाती है।

दिल्ली पहुंचने के बाद मानसून की दोनों शाखाएं एक बार फिर मिल जाती हैं और राजधानी दिल्ली में जमकर बारिश होती है। यह प्रक्रिया ज्यादातर जून के महीने से शुरु होकर जुलाई अंत कर पूरी होती है, जिसके बाद मानसून उसी रास्ते से वापस लौटना शुरु कर देता है, जिसे मानसून रिट्रीट कहा जाता है।

हालांकि हाल ही में किए गए कुछ शोधों के अनुसार, भारतीय मानसून की गति और उसका प्रभाव कई तत्वों के अनुसार समय-समय पर बदलती रहती है। कम दवाब क्षेत्र और सूरज की स्थिति के अलावा मानसून प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर के तापमान पर भी निर्भर करता है।

भारत में मानसून के दस्तक देने की घोषणा भारतीय मौसम विभाग करता है। आमतौर 1 जून से केरल राज्य में  मानसून का आगाज हो जाता है। जिसके बाद जुलाई के महीने तक यह मध्य भारत में पंहुचता है और आखिर में राजधानी दिल्ली को जलमग्न करने के बाद सितम्बर में उत्तर भारत से वर्षा ऋतु की वापसी शुरु हो जाती है।

भारत में अलग-अलग प्रकार का क्षेत्र होने के कारण मानसून का प्रभाव हर जगह भिन्न देखने को मिलता है। उत्तर में हिमालय मानसूनी हवाओं को उत्तर भारत तक सीमित रखने का कार्य करते हैं, तो पश्चिम में रोगिस्तान होने के कारण जैसलमेर में सबसे कम बारिश देखने को मिलती है। वर्षा ऋतु के दौरान जहां मध्य और पूर्वी भारत में बाढ़ के हालात बन जाते हैं तो चेरापूंजी और महाबलेश्वर साल की सबसे अधिक बारिश के लिए मशहूर है। निदा फ़ाज़ली के शब्दों में-

Essay on Rainy Season in Hindi

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने

किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

वर्षा ऋतु में देश के कुछ हिस्सों को छोड़ कर लगभग हर हिस्से में बारिश देती है। वहीं तेलंगाना और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में सूखा भी पड़ता है। बावजूद इसके वर्षा ऋतु देश की सबसे अहम ऋतु है। चूंकि भारत एक खेती प्रधान देश है और देश की लगभग 60 फीसदी आबादी पूरी तरह से खेती पर निर्भर करती है। ऐसे में देश के लिए वर्षा ऋतु का महत्व खुद-ब-खुद बढ़ जाता है।

दरअसल भारत में महत्वपूर्ण खरीफ फसलों की खेती वर्षा ऋतु में ही होती है। इस दौरान खेतों के लबालब भरे होने के कारण चावल की खेती लगभग देश के हर हिस्से में होती है। उदाहरणस्वरुप पूर्व में पश्चिम बंगाल और उत्तर में स्थित पंजाब चावल के सबसे अधिक उत्पादक राज्य हैं। यही नहीं भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक चावल उत्पादक देश है।

इसके अलावा वर्षा ऋतु में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है। कपास के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि इसे भारत का सफेद सोना भी कहा जाता है। वहीं गन्ने की खेती, चाय के बागान और कुछ दालों की खेती भी वर्षा ऋतु पर ही निर्भर करती है।

वर्षा ऋतु का महत्व हिन्दू पंचाग में काफी बारीकी से पिरोया गया है। हिन्दी महीने के श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होती है। इसीलिए श्रावण महीने को भगवान शिव का महीना भी कहा गया है। हिन्दू धर्म के लोग इस पूरे महीने को किसी त्योहार की तरह मनाते हैं। भारी बारिश के बावजूद शिव के भक्त कावड़ में गंगाजल भरकर मीलों पैदल चलते हुए भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग को समर्पित करते हैं। इस दौरान काशी विश्वनाथ धाम और बाबा बैजनाथ धाम में श्रद्धालुओं का जमकर जमावड़ा लगता है।

इसके अलावा वर्षा ऋतु के दौरान कई अन्य त्योहार भी बेहद धूम-धाम से मनाए जाते हैं। हड़तालिका तीज से लेकर नाग पंचमी, ओणम, रक्षा बंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, हेमिस महोत्सव, गंगा दशहरा, जनन्नाथ पुरी की रथ यात्रा, असम में अंबुचाची मेले के साथ-साथ ईद का जश्न भी वर्षा ऋतु में ही काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कवियत्री स्मिता प्रसाद के शब्दों में-

मनभावन-सा लगे हैं सावन

हर चितवन हो गई है पावन

मेघों ने मानों झूमकर

धरती की प्यास बुझाई है

खेलकर खेतों में

फैलकर रेतों में

मतवाली बरखा आई है

हालांकि वर्तमान के दिनों में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की समस्या के चलते वर्षा ऋतु की सदियों पुरानी प्रक्रिया में खासा बदलाव देखने को मिला है। आज आलम यह है कि, हिमालय में भीषण भूस्खलन की घटनाएं आम हो चली हैं। 2014 में उत्तराखण्ड त्रासदी से लेकर 2021 में होने वाले चमोली हिमस्खलन तक इसी का उदाहरण है।

हर साल बारिश की एक बूंद को तरसने वाला राजस्थान वर्षा ऋतु के दस्तक देते ही बाढ़ की चपेट में आ जाता है। वहीं मूसलाधार बारिश के चलते मुम्बई बाढ़, केरल बाढ़ और बिहार बाढ़ की खबरे वर्षा ऋतु के दौरान सूर्खियों में रहती हैं।

जाहिर है जलवायु परिवर्तन के चलते असमय वर्षा बड़े पैमाने पर किसानों की खेती को प्रभावित करती है। हालांकि इस समस्या से निजात पाने के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर कई कदम उठाए गए हैं। सतत् विकास लक्ष्य और पैरिस समझौता इसी का परिणाम है।

Essay on Rainy Season in Hindi FAQ


भारत में मानसून कब प्रवेश करता है?

वर्षा ऋतु को मानसून सीजन कहा जाता है। भारत में दो मानसून सीजन होते हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून जून से सितम्बर महीने तक रहता है और उत्तर-पूर्व मानसून अक्टूबर से दिसम्बर के महीने तक रहता है।

मानसून कब से कब तक रहेगा?

भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून 15 जून से 30 सितम्बर तक रहता है और उत्तर-पूर्व मानसून 15 अक्टूबर से 30 दिसम्बर तक रहता है।

मानसून का क्या अर्थ है

मानसून अरबी शब्द मौसिम से निकला है। मानसून शब्द वर्षा ऋतु की हवाओं के लिए इस्तेमाल होता है। मानसूनी हवाएं दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्व मानसून के रुप में भारत सहित अन्य दक्षिण एशियाई देशों में बारिश देती हैं। 

“वर्षा ऋतु” पर निबंध | Rainy Season Essay In Hindi | Varsha Ritu Par Nibandh

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