‘लो आ गई यह नव वधू-सी शोभती, शरद नायिका! कास के सफेद पुष्पों से ढँकी इस श्वेत वस्त्रा का मुख कमल पुष्पों से ही निर्मित है और मस्त राजहंसी की मधुर आवाज ही इसकी नुपूर ध्वनि है। पकी बालियों से नत, धान के पौधों की तरह तरंगायित इसकी तन-यष्टि किसका मन नहीं मोहती।’….इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ऋतु संहारम ने शरद ऋतु का बखूबी बखान किया है।
शरद ऋतु दुनिया की प्रमुख ऋतुओं में से एक है। धरती पर मुख्य रुप से छह ऋतुएं बेहद अहम मानी जाती हैं – ग्रीष्म काल, शीत काल, वसंत ऋतु, हेमंत ऋतु, वर्षा ऋतु और शरद ऋतु। जहां ग्रीष्म काल को गर्म मौसम और तपती धूप के लिए जाना जाता है, वहीं शीत काल ठंडी हवाओं, धुंध, कोहरा और कुछ जगहों पर बर्फबारी के लिए मशहूर है। इसके अलावा वसंत ऋतु और शरद ऋतु, जिसे पतझड़ भी कहा जाता है, गर्मी और सर्दी के मध्य की ऋतुएं होती हैं, जिनमें गर्म और सर्द हवाओं का मिलाजुला रुप देखने को मिलता है। वहीं हेमंत ऋतु सर्दी के आगमन का संकेत देती है, तो वर्षा ऋतु मूलसलाधार बारिश के लिए जानी जाती है।
बादलों के चुम्बनों से खिल अयानी हरियाली
शरद की धूप में नहा-निखर कर हो गयी है मतवाली
झुंड कीरों के अनेकों फबतियाँ कसते मँडराते
झर रही है प्रान्तर में चुपचाप लजीली शेफाली
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कवि शरद अज्ञेय की ये पंक्तियां शरद ऋतु को बखूबी बयां करतीं हैं। शरद ऋतु गर्मी से सर्दी के बीच समय होता है। इस दौरान सूर्य धरती के एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव में प्रवेश करता है, जिसके चलते ग्रीष्म ऋतु शीत ऋतु में परिवर्तित हो जाती है।
दरअसल ऋतुओं का समय सूर्य की गति पर निर्भर होता है। अमूमन सितम्बर के महीने में सूरज भूमध्य रेखा (equator) को पार करके दक्षिणी ध्रुव (southern hemisphere) में प्रवेश करता है, जिसके चलते उत्तरी ध्रुव (northern hemisphere) में भारत, अमेरिका, रुस, जापान, चीन और यूरोपियाई देशों में हमेंत ऋतु का आगाज होता है, वहीं दक्षिणी ध्रुव में स्थित आस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कुछ देशों में वसंत ऋतु शुरु होती है।
वहीं मार्च के महीने में एक बार फिर सूरज दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव में प्रवेश करता है। इसी के साथ उत्तरी ध्रुव में वसंत और दक्षिणी ध्रुव में शरद ऋतु दस्तक देती है।
अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, उत्तरी ध्रुव में 23 सितम्बर (equinox) और दक्षिणी ध्रुव में 21 मार्च (equinox) को शरद ऋतु का आगाज होता है। वहीं हिन्दू पंचाग के अनुसार, नवरात्री से शरद ऋतु की शुरुआत होती है। अमूमन उत्तरी ध्रुव में शरद ऋतु सितम्बर और अक्टूबर तथा दक्षिणी ध्रुव में मार्च और अप्रैल के महीने में मानी जाती है। मशहूर कवि सुमित्रानन्दन पंत अपनी कविता शरद चांदनी में शरद ऋतु की व्याख्या करते हुए कहते हैं-
जगीं कुसुम कलि थर् थर्
जगे रोम सिहर सिहर,
शशि असि सी प्रेयसि स्मृति
जगी हृदय ह्लादिनी!
शरद चाँदनी!
शरद ऋतु देश की महत्वपूर्ण ऋतुओं में से एक है। जिसका वर्णन कई एतिहासिक ग्रंथों और कथाओं में मिलता है। इसका उदाहरण तुसलीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की पंक्तियों में भी देखने को मिलता है-
बरषा बिगत सरद ऋतु आई। लछिमन देखहु परम सुहाई।।
फूलें कास सकल महि छाई। जनु बरषां कृत प्रगट बुढ़ाई।।
वहीं शरद ऋतु की मनमोहक दृश्यों को आधुनिक काल में कई कवियों ने भी अपनी कलम से पिरोया है। इसी कड़ी में कवि ऋतु संहारम लिखते हैं-
‘ जानि सरद ऋतु खंजन आए। पाइ समय जिमि सुकृत सुहाए॥
शरद ऋतु को कटाई का मौसम भी कहा जाता है। दरअसल दुनिया के कई देशों में शरद ऋतु के दस्तक देने के साथ ही चावल जैसी फसलों की कटाई शुरु हो जाती है, जिसके चलते इसे अमेरिका सरीके देशों में हार्वेस्ट सीजन यानी कटाई के मौसम के नाम से भी जाना जाता है।
शरद ऋतु को कई जगहों पर त्योहार के रुप में भी मनाया जाता है। अमेरिका और कनाडा में इसके शुरुआत में अवकाश मनाते हैं, वहीं ज्वीश समुदाय इसे सुक्कोट की छुट्टी कहते हैं, जिसके तहत कटाई करने के दौरान सभी लोग खेतों में झोपड़ी बनाकर रहते हैं।
चीन के कुछ गांवों में शरद ऋतु को मून फेस्टीवल यानी चांद महोत्सव भी कहा जाता है। जिस दौरान लोग फल आदि प्रकृतिक चीजों का लुत्फ उठाते हैं। वहीं दक्षिणी ध्रुव में शरद ऋतु के दौरान कार्निवल, ईस्टर और अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस जैसे त्योहार प्रचलित हैं।
शरद ऋतु के दौरान अमेरिका में फसलों की कटाई के अलावा सब्जियों में कद्दू और फलों में सेब की बड़े पैमाने पर पैदावार होती है। वहीं दुनिया के कई देशों में 31 अक्टूबर को हैलोवन दिवस के रुप में मनाया जाता है।
भारत में भी शरद ऋतु की शुरुआत में जहां चावल की कटाई होती है, वहीं शरद ऋतु के अंत तक खरीफ फसलों मसलन गेंहूं, सरसों, धनिया, लहसन, बाजरा और ज्वार जैसी उगाया जाता है। इसके अलावा शरद ऋतु में ही आलू, गाजर, मटर, प्याज और कद्दू की खेती की जाती है।
हालांकि शरद ऋतु से ग्रीष्म ऋतु का अंत हो जाता है। बावजूद इसके मौसम में बदलाव और कुछ नमी होने के कारण इस दौरान एलर्जी, बाल टूटना, खांसी, बुखार, जुकाम और चर्म रोग से जुड़ी परेशानियां आम हो जाती हैं।
अमूमन शरद ऋतु के आगाज के साथ बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां भी खत्म हो जाती हैं और सभी बच्चें स्कूलों की तरफ लौटना शुरु कर देते हैं। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई खेल प्रतियोगीताओं का भी शुभारंभ होता है, जिसमें फुटबॉल लीग, टेनिस, गोल्फ, क्रिकेट, बेसबॉल और हॉकी जैसे खेल शामिल हैं।
शरद ऋतु का महत्व दुनिया के हर देश के लिए काफी खास है। इसका उदाहरण इस बात से ही समझा जा सकता है कि अमेरिका में 100 से भी ज्यादा युवतियों के नाम ‘ऑटमन’ है। वहीं भारत में शरद ऋतु को देवी शारदा यानी माता सरस्वती का महीना कहा जाता है।
भारत में शरद ऋतु की शुरुआत शारदीय नवरात्री से ही मानी जाती है। नवरात्री से शुरु होकर शरद ऋतु लगभग दो महीनों तक रहती है। इस दौरान जहां देश के अलग-अलग कोनों में बड़ी तादाद में चावल की कटीई शुरु हो जाती है। वहीं देश के ज्यादातर महत्वपूर्ण त्योहार भी इसी ऋतु का हिस्सा हैं।
भारत में शरद ऋतु के आगाज के साथ ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती हैं। नौं दिनों के नवरात्री के बाद दशहरा से लेकर, गणेश चतुर्थी, करवाचौथ, धनतेरस, दिपावली, गोवर्धन पूजा, भाईदूज और विश्वकर्मा पूजा जैसे कई अहम त्योहार बेहद धूम-धाम के साथ मनाए जाते हैं।
शरद ऋतु के साथ ही ठंड भी दस्तक देने लगती है, जिसके चलते सभी जीव-जंतु सर्दियों के लिए भोजन एकत्रित करना शुरु कर देते हैं। वहीं कुछ पेड़-पौधे अपनी पत्तियों के रंग बदलना शुरु कर देते हैं। देश में कई जगहों पर पेड़ों द्वारा पत्तियां छोड़ने की प्रक्रिया को त्योहार के रुप में भी मनाया जाता है। उत्तर-पूर्व भारत में इसे चेरी ब्लॉस्म कहा जाता है, जिस दौरान रंग-बिरंगी पत्तियों से ढ़की सड़कों का आनन्द लेने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटकों का जमावड़ा लगता है।
वहीं अमेरिका, चीन, कोरिया, जापान और यूरोप में भी शरद ऋतु के समय भारी तादाद में पर्यटकों घूमने जाते हैं। शरद ऋतु में कई देशों की अर्थव्यवस्था को लाखों बिलियन डॉलर का फायदा होता है। कवि गिरधर गोपाल के शब्दों में-
शरद की हवा ये रंग लाती है, द्वार-द्वार, कुंज-कुंज गाती है।
फूलों की गंध-गंध घाटी में, बहक-बहक उठता अल्हड़ हिया।
घण्टों हंसिनियों के संग धूप, झीलों में जल-विहार करती है।
शिरा-शिरा तड़क-तड़क उठती है, जाने किस लिए गुदगुदाती है।
Essay on Autumn Season in Hindi FAQ
शरद ऋतु कौन सी होती है?
शरद ऋतु, ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु के बीच का समय होता है, जिसमें तापमान गिरना शुरु हो जाता है। शरद ऋतु सितम्बर और अक्टूबर के महीने में होती है।
शरद ऋतु क्यों सुहावनी प्रतीत होती है यह कब आती है?
शरद ऋतु, ग्रीष्म काल और शीत काल के बीच का समय होता है। इस दौरान तापमान कम रहता है और गर्मी सर्दी के मिलेजुले रुप से मौसम भी सामान्य रहता है।
शरद ऋतु में क्या परिवर्तन होता है?
शरद ऋतु सितम्बर और अक्टूबर के महीने में पड़ती है। यह वर्षा ऋतु और शीत ऋतु के बीच का समय होता है। ग्रीष्म ऋतु के बाज शरद ऋतु में तापमान सामान्य होना शुरु हो जाता है। शरद ऋतु से दिन छोटे और रात बड़ी होने लगती है।
शरद ऋतु पर निबंध हिंदी में || essay on winter season in Hindi – video
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