भारत में स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन को पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश के रुप में मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत अंग्रेजों से आजाद हुआ था। जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने देश की कमान भारतीयों को सौंप दी और इंग्लैंड वापस चले गए।
हालांकि आजादी का शंखनाद विभाजन की विभीषिका के साथ हुआ था। जिसके चलते हिन्दुस्तान दो मुल्कों भारत और पाकिस्तान में विभाजित हो गया था। इसके साथ ही राजेन्द्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति और जवाहरलाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री बने।
स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
16वीं शताब्दी की शुरुआत में यूरोपीय व्यापारियों ने भारत का रुख करना शुरु किया। जहां पुर्तगाली भारत आने वाले पहले यूरोपीय व्यापारी थे, वहीं 1600 में ब्रिटेन की रानी एलीजाबेथ ने इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत से व्यापार करने का फरमान जारी कर दिया और 1613 में मुगल बादशाह जहांगीर की इजाजत लेकर कंपनी ने गुजरात के सूरत में पहली फैक्ट्री की स्थापना की।
देश में व्यापार करने आई ब्रिटिश कंपनी ने अपने सभी प्रतिद्वंदियों को भारत से खदेड़ कर भारतीय उपमहाद्वीप के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त कर लिया। इसके साथ ही कंपनी ने धीरे-धीरे समूचे देश को अपना गुलाम बना लिया।
इसी कड़ी में 1885 में राष्ट्रीय पार्टी के रुप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अस्तित्व में आई। वहीं भारत में ब्रिटिश शासन बंगाल का विभाजन, स्वदेशी आंदोलन, मार्ले-मिंटो सुधार, लखनऊ समझौता, रॉलट एक्ट, जलियावाला बाग हत्याकांड, असहयोग आंदोलन, सविनय अविज्ञा आंदोलन से होता हुआ भारत छोड़ों तक चला। जहां द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने के साथ ही ब्रिटेन ने भारत को आजाद करने की घोषणा कर दी।
यह तीर्थ महातीर्थों का मत है, मत कहो इसे कालपाणी, तुम सुनो यहां के कण-कण से गाथा बलिदानी
-विनायक दामोदार सावरकर
सम्बंधित : Hindi Essay, Hindi Paragraph, हिंदी निबंध।
मेरा विद्यालय पर निबन्ध
प्रदूषण पर निबंध
पर्यावरण पर निबंध
भारत पर निबन्ध
मेरा प्रिय खेल : क्रिकेट
आजादी के पहले पूर्ण स्वराज का शंखनाद
देश को आजादी भले ही 15 अगस्त 1947 में मिली हो लेकिन भारतीयों ने कई सालों पहले ही आजादी का बिगुल फूंक दिया था। दरअसल 26 जनवरी 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ। जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरु कर रहे थे। इसी दौरान महात्मा गांधी के आह्वान पर कांग्रेस ने सर्वसम्मति से “पूर्ण स्वराज” का नारा दिया। जिसके बाद नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने भी नारा दिया कि – “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा।“
सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है.
–रामप्रसाद बिस्मिल
यही कारण है कि 21 साल बाद 26 जनवरी 1950 के दिन ही आजाद भारत का संविधान लागू किया गया और आज इस तारीख को सभी भारतवासी गणतंत्र दिवस के नाम से मनाते हैं।
आजादी के पहले
अब सवाल ये उठता है कि 1947 में आखिर ऐसा क्या हुआ कि 200 सालों से भारत को गुलामियों के बेड़ियों में जकड़ने वाले ब्रिटेन ने अचानक आजादी का एलान कर दिया?
दरअसल 40 का दशक न सिर्फ भारत के लिए बल्कि समूचे विश्व के लिए खासा यादगार दशक था, क्योंकि 40 के दशक की शुरुआत द्वितीय विश्वयुद्ध के साथ हुई थी। लगभग पांच सालों तक चलने वाले इस युद्ध में ब्रिटेन ने जीत का परचम जरुर लहराया था, लेकिन युद्ध के बाद सुबह हर किसी के लिए भयावह होती है और ब्रिटेन भी इस अपवाद से अछूता नहीं था।
द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ती के बाद ब्रिटेन भारी कर्ज के भार में दब चुका था और ब्रिटिश अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा चुकी थी। जिसके चलते जहां एक तरफ ब्रिटेन, फ्रांस सहित सभी देशों पर अपनी कॉलोनियों को आजाद करने का दवाब बन रहा था, वहीं ब्रिटेन में नए चुनावों का भी आगाज हुआ। इन चुनावों में लेबर पार्टी ने बहुमत हासिल किया और नए प्रधानमंत्री बने सर क्लीमेंट एट्ली।
लिहाजा प्रधानमंत्री एट्ली ने भारत की आजादी का एलान करते हुए सर माउंट बैटेन को बतौर वायसराय भारत भेजा। भारत आने के बाद माउंट बैटेन ने भारत शासन अधिनियम 1947 लाने के साथ-साथ देश की आजादी का खाका तैयार किया। देश को भारत और पाकिस्तान में बांटा गया और सर रैडक्लीफ ने दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारित की। भारत पाकिस्तान सीमा को आज भी रैडक्लीफ लाइन के नाम से जाना जाता है।
विभाजन की विभिषिका
भारतीयों के लिए आजादी की सुबह जितनी आनन्दित थी, विभाजन का मंजर उतना ही दिल दहला देने वाला साबित हुआ। इस दौरान पंजाब से लेकर बंगाल तक हर तरफ खून-खराबा फैला था। हालांकि कुछ नेताओं ने इन सामप्रदायिक दंगों पर काबू पाने की कोशिशें भी की। जिनमें एक नाम महात्मा गांधी का भी शामिल है। विभाजन के वक्त गांधी जी नोआखली में भड़के दंगों की लपटों को शांत कराने की जद्दोजहद में जुटे थे। इसी कड़ी में गांधी जी ने 24 घंटों का उपवास भी रखा था। बावजूद इसके आंकड़ों के अनुसार विभाजन के चलते दोनों देशों के लगभग ढाई लाख से दश लाख लोग मारे गए थे।
वहीं महात्मा गांधी सहित कई नेताओं द्वारा विभाजन को रोकने के सभी प्रयास विफल रहे। आखिरकार 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान ने खुद को एक स्वतंत्र मुल्क घोषित करते हुए स्वतंत्रता दिवस मनाया और मोहमम्द अली जिन्ना ने कराची में पाकिस्तान के पहले गवरनल जनरल के रुप में शपथ ग्रहण की।
आजादी की सुबह
स्वतंत्रता दिवस देश के तीन मुख्य राष्ट्रीय अवकाशों – गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती में से एक है। आजादी के 74 सालों के बाद भी 15 अगस्त की भोर आज भी पूरे देश में बेहद धूम-धाम से मनाई जाती है। इस दिन समूचा देश तिंरगे के रंग में रंगा नजर आता है। सभी एक-दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हैं। इसके अलावा भारतीय सेना द्वारा लाल किले पर 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है।
भारत की एकता का मुख्य आधार है एक संस्कृति, जिसका उत्साह कभी नहीं टूटा,यही इसकी विशेषता है. भारतीय संस्कृति अक्षुण्ण है, क्योंकि भारतीय संस्कृति की धारा निरंतर बहती रही है और बहेगी।
-मदनमोहन मालवीय
वहीं देश के प्रधानमंत्री हर साल 15 अगस्त की सुबह राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहरा कर सभी को संबोधित करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री पिछले साल की उपलब्धियों पर चर्चा करने के बाद भविष्य की कुछ रणनीतियां और अभियानों की भी पहल करते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा को सलामी देने के बाद राष्ट्रीय गान “जन गण मन” गाया जाता है। लाल किले पर प्रदानमंत्री की उपस्थिति को देश के सभी समाचार चैनलों द्वारा सीधे प्रसारित किया जाता है।
भारतीय स्वतंत्रता दिवस को न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी किसी त्योहार की तरह मनाया जाता है। अमेरिका के न्यूयॉर्क से लेकर ब्रिटेन की राजधानी लंदन तक में रहने वाले सभी भारतीय नागरिक 15 अगस्त के दिन को धूम-धाम से मनाते हैं।
अपने देश की आज़ादी के लिये मर-मिटना हमारे खून में ही लिखा होता है। हमने बहुत से महान लोगो के बलिदान देकर इस आज़ादी को हासिल किया है और हमें अपनी ताकत के बल पर ही इस आज़ादी को कायम रखना है।
-सुभाष चद्र बोस
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध/15 August Swatantrata Diwas par nibandh/Independence Day Essay
भारतीय उत्सवों पर निबंध