मेरा विद्यालय पर निबन्ध | Essay on My School in Hindi | My school essay in hindi

विद्यालय हर बच्चे के जीवन में एख अहम भूमिका निभाता है। कई सालों तक अपने माता-पिता की छाया में रहकर पहली बार अकेले बच्चा विद्यालय में ही कदम रखता है। जहां उसका सामना जिंदगी के कई पहलुओं से होता है, शिक्षक और दोस्त के रुप में नए रिश्ते भी बनते हैं।

स्कूल के शुरुआती दिन शायद ही किसी बच्चे को पसंद होते हैं। जाहिर है घर के प्यार और दुलार भरे वातावरण में पले बच्चे का सामना शिक्षा के एक ऐसे मंदिर से होता है, जहां उसे प्यार के साथ-साथ गलती करने पर सजा का स्वाद भी चखना पड़ता है तो नए दोस्तों के साथ हसीं-मजाक का तड़का भी लगता है। इसी संदर्भ में अरस्तु लिखते हैं-

शिक्षा की जड़ कड़वी होती है,

पर उसके फल उतने ही मीठे होते हैं

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बच्चों के जीवन में शिक्षक की भूमिका

कहते हैं कि एक बच्चे के जीवन में शिक्षक की भूमिका काफी अहम होती है। माता-पिता के बाद एक शिक्षक ही पहला शख्स होता है, जो बच्चों को सही और गलत का मार्गदर्शन देता है।

माताएं देती नव जीवन, पिता सुरक्षा करते हैं।

लेकिन सच्ची मानवता टीचर जीवन में भरते हैं।

सत्य न्याय के पथ पर चलना. अध्यापक हमें बताते हैं

जीवन संघर्षों से लड़ना अध्यापक हमें सिखाते हैं

शायद यही कारण है कि कभी कबीर गुरु को गोविंद से बढ़कर बताते हैं, तो कभी ए.पी.जे.अब्दुल कलाम शिक्षा को ही जीवन करार देते हैं।

गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाय।

बलिहारी गुरु आपणे, गोविंद दियो बताए।।

Essay on My School in Hindi
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मेरे विद्यालय का नाम

मेरे विद्यालय का नाम लखनऊ पब्लिक स्कूल (LPS) है। यह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है। पूरे लखनऊ में LPS की कुल 12 ब्रांच हैं। यब लखनऊ के अव्वल स्कूलों की फेहरिस्त में शुमार होने के साथ-साथ इसी हर इमारत लजावाब है।

मेरे विद्यालय में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं और 80 शिक्षक हैं। सभी शिक्षक अपने-अपने दिलचस्प तरीकों से शिक्षा देते हैं।

मेरे विद्यालय का स्वरुप

वैसे तो LPS की लखनऊ में कई शाखाएं हैं, लेकिन मेरे दाखिला लखनऊ के जेल रोड स्थित ब्रांच में हुआ था। इस ब्रांच की खासियत यह है कि, ये एक बड़े परिसर के आकार में न होकर बल्कि तीन इमारतों में विभाजित है।

मेरे विद्यालय की इमारत

पहली इमारत में कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चे पढ़ते हैं, जिसे प्रायमरी विंग कहा जाता है। 10 कदम की दूरी पर स्थित दूसरी इमारत में कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिसे जूनियर विंग और कक्षी नौ से बारह तक पढ़ने वाले विद्यार्थी सीनियर विंग में जाते हैं।

मेरे विद्यालय का बोर्ड

अमूमन मेरे विद्यालय में तीनों प्रमुख बोर्ड- उत्तर प्रदेश बोर्ड, CBSE बोर्ड और ICSE बोर्ड के पाठ्यक्रम पढ़ाये जाते हैं। हालांकि विद्यालय में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे ICSE बोर्ड से ही पढ़ते हैं।

इन सभी बोर्डों के कई विषय अलग-अलग अध्यापकों के द्वारा पढ़ाए जाते हैं। जिनमें हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक शास्त्र, कॉमर्स, अर्थशास्त्र और बैंकिग विषय प्रमुख हैं।

बहुत ज़रूरी होती शिक्षा,

सारे अवगुण धोती शिक्षा।

चाहे जितना पढ़ ले हम पर,

कभी न पूरी होती शिक्षा।

मेरे विद्यालय की सुविधाएं

मेरे विद्यालय में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 50 कक्षाएं हैं और हर कक्षा तीन से चार सेक्शनों में विभाजित है। हमारे विद्यालय में चालीस मिनट के आठ पीरियड लगते हैं, जिनमें एक गेम पीरियड भी होता है।

गेम पीरियड के दौरान सभी छात्र-छात्राएं स्कूल परिसर के निकट स्थित खेल के मैदान में जाते हैं, जहां बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी सहित मैदान में लगे झूलों के मजे लेते हैं।

वहीं पी.टी.आई सर भी बच्चों को कई खेलों के नियम सीखाते हैं। कई बच्चे मैदान में न जाकर खेल के कमरे में स्थित कैरम, लूडो, टैनिस और बैमिंटन जैसे खेल भी खेलते हैं। तो कई बच्चे स्कूल परिसर में बने बगीचे के खूबसूरत वातावरण का भी लुत्फ उठाते हैं।

इसके अलावा सभी बच्चों को हफ्ते में दो बार विद्यालय परिसर के निचले स्तर पर बने पुस्कालय में ले जाया जाता है। यहां हजारों की संख्या में पुस्तके उपलब्ध हैं और सभी बच्चे अपनी मनपसंद पुस्तके पढ़ते हैं। वहीं मेरी कक्षा के ज्यादातर बच्चे इन्साइक्लोपीडिया बेहद दिलचस्पी के साथ पढ़ते हैं।

वहीं सभी कक्षाओं को टाइम टेबल के अनुसार कम्पयूटर लैब भी ले जाया जाता है। यही कारण था कि कक्षा के सभी बच्चे कम्प्यूटर क्लास का बेहद बेसब्री से इंतजार करते थे। कम्प्यूटर लैब में बच्चों को माइक्सॉफ्ट वर्ल्ड, पावर पवाइंट प्रसेनटेशन और प्रोग्राम बनाना भी सिखाया जाता है। वहीं पीरियड खत्म होने तक सभी बच्चे कम्प्यूटर में गेम खेलना खुद-ब-खुद सीख जाते हैं।

कम्प्यूटर लैब के अलावा मेरे विद्यालय में भौतिक विज्ञान और रासायनिक विज्ञान की लैब भी मौजूद है। हालांकि इन लैबों में सिर्फ बड़ी कक्षा विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल के लिए ही ले जाया जाता है।

मेरे विद्यालय में पीने के पानी और शौचालय की उच्चतम सुविधा उपलब्ध है। पीने के पानी के लिए जहां वॉटर प्यूरीफायर और ठंडे पानी के लिए रेफ्रीजिरेटर लगा है, वहीं स्कूल के हर फ्लोर पर छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालयों की सुविधा मौजूद है।

शिक्षा वैसी हो जिससे हो सके चरित्र-निर्माण,

जब होगा चरित्र-निर्माण तभी बनेगा भारत महान

शिक्षा अलख जगाती है, मानवता निर्मात्री है,

मनसा-वाचा-कर्मणा मानव को राह दिखाती है।

मेरे विद्यालय के कर्मचारी

मेरे विद्यालय में  प्रधानाचार्य और कई शिक्षकों के अलावा दो कर्मचारी कैश काउंटर पर फीस जमा करने और फीस से जुड़ी जानकारी प्रदान करने के लिए रहते हैं। इसके साथ ही एक पी.टी.आई सर भी होते हैं, जो बच्चों को शारीरिक खेल के साथ-साथ योगा और व्यायाम भी सिखाते हैं।

विद्यालय से जुड़े साफ-सफाई और अन्य छोटे-बड़ों कार्यों के लिए भी कई कर्मचारी रहते हैं। शिक्षकों को पानी पिलाने और फाइलें इधर से उधर पंहुचाने का काम आया दीदी करती हैं।

वहीं आपातकालीन सेवाएं मसलन किसी बच्चे की तबीयत खराब होने के दौरान स्कूल की केयरटेकर मैडम बच्चों की सहायता करती हैं।

इसके अलावा विद्यालय की देख-भाल के लिए भी कई कर्मचारी मौजूद रहते हैं। विद्यालय के मुख्य दरवाजे पर दो सुरक्षाकर्मी हमेशा रहते हैं और एक सुरक्षाकर्मी विद्यालय परिसर की रखवाली के लिए दिन-रात हमेशा विद्यालय में ही रहता है।

मेरे विद्यालय के कार्यक्रम

मेरे विद्यालय में अमूमन साल की शुरुआत के साथ ही कई त्योहार काफी धूम-धाम से मनाया जाता है। होली और दीपावली जैसे प्रमुख त्यौहारों के दिन राष्ट्रीय अवकाश होने के कारण यह पहले ही मना लिया जाता है।

वहीं विद्यालय में 5 सितंम्बर के दिन शिक्षक दिवस और 14 नवम्बर के दिन बाल दिवस खासे उत्साह के साथ मनाया जाता है। शिक्षक दिवस पर सभी बच्चें शिक्षकों को तोहफे देकर बधाई देते हैं और शिक्षक भी बाल दिवस पर स्कूल में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ बच्चों में मिठाइयां बांटते हैं।

इसके अलावा मेरे विद्यालय में एक विशाल ऑडिटोरियम भी मौजूद हैं, जहां समय-समय पर निबन्ध प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता, बहस प्रतियोगिता सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

वहीं 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस के मौके पर भी विद्यालय के ऑडीटोरियम में कई देश प्रेम से परिपूर्ण कई नाटकों और नाच-गाने का आयोजन किया जाता है, जिसमें कई बच्चे बेहद उत्साह के साथ भाग लेते हैं।

ज्ञान का भंडार हैं जहां, इससे बेहतर जगह है कहां।।

पुस्तकों की यहां कमी नहीं, ज्ञान की जहां अल्पता नहीं।।

ज्ञान का मंदिर है ये, मेरे लिए जन्नत है ये।।

दोस्तों का साथ यहां, जिंदगी का आनंद यहां मिला।।

हर रोज कुछ नया सिखाता, ऐसा है मेरा विद्यालय।।

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