अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पूजा विधि महत्व | angarki sankashti chaturthi Vrat Katha |
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अंगारकी संकष्टी चतुर्थी | Angarki Chaturthi | अंगारक चतुर्थी | अंगारकी संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करें पूजन
प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष के चौथे दिन को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी को भगवान श्री गणेश का दिन माना जाता है तथा इस दिन उनकी पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी जिसे संकटा हारा चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
जब कोई संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन होती है उसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है, और यह दिन सभी संकष्टी चतुर्थीयों में अत्यधिक शुभ माना जाता है। अंगारकी चतुर्थी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को भगवान गणेश एवं मंगल देव दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा भक्त कभी भी समस्याओं का सामना नहीं करेगा तथा एक संतुष्ट एवं शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करेगा। साथ ही साथ इस दिन व्रत करने वाले भक्तों की कुंडली से मंगल के दोषों का भी निवारण हो जाता है।
दक्षिण भारत मे मंगलवार श्री गणेश का दिन माना जाता है, परंतु उत्तर भारतीय बुधवार को श्री गणेश का दिन मानते हैं।
अंगारक चतुर्थी पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार मंगल देव ने भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने हेतु कड़ी तपस्या करने का प्रण धारण किया। उनकी कठोर तपस्या से प्रशन्न होकर श्री गणेशजी प्रकट हुए एवं मंगल देव को वरदान दिया कि मंगलवार के दिन जो भी भक्त चतुर्थी व्रत करेगा, उस मनुष्य के सभी विघ्न एवं बाधाएं मेरी कृपा से दूर हो जाएंगी।
FAQ – Angarki Chaturthi
अंगारकी चतुर्थी का महत्व क्या है?
इस चतुर्थी को कर्ज से मुक्ति के लिए खास माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने का विधान है।
अंगारकी चतुर्थी में हम क्या खा सकते हैं?
अंगारकी चतुर्थी व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।
अंगारिका पूजा क्या है?
भक्तों का मानना है कि अगर वे इस शुभ दिन पर प्रार्थना करेंगे तो उनकी इच्छाएं पूरी होंगी।
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