बलराम जयन्ती, ललही छठ, बलदेव छठ, रंधन छठ, हलछठ, हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ, Hal Sashti in English, Hal Sashti is an important festival in the traditional Hindu calendar It is dedicated to Lord Balaram who is an elder brother of Shri Krishna.
हलछठ की कथा, पूजा विधि | Hal Chhath ki Kahani | Hal Shasthi ki katha | हलषष्ठी | ललही छठ की कहानी
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हल षष्ठी | Hal Shashti | हल षष्ठी व्रत का महत्व
पारंपरिक हिंदू पंचांग में हल षष्ठी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को समर्पित है। भगवान बलराम माता देवकी और वासुदेव जी के सातवें संतान थे। हल षष्ठी का त्योहार भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
रक्षा बंधन और श्रवण पूर्णिमा के छह दिनों के बाद बलराम जयंती मनाई जाती है। इसे राजस्थान जैसे अन्य राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, इसे गुजरात में चंद्र षष्ठी के रूप में जाना जाता है, और ब्रज क्षेत्र में बलदेव छठ को रंधन छठ के रूप में जाना जाता है। भगवान बलराम को शेषनाग के अवतार के रूप में पूजा जाता है, जो क्षीर सागर में भगवान विष्णु के हमेशा साथ रहिने वाली शैया के रूप में जाने जाते हैं।
हरछठ की कहानी क्या है?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ग्वालिन गर्भवती थी। उसका प्रसव काल नजदीक था, लेकिन दूध-दही खराब न हो जाए, इसलिए वह उसको बेचने चल दी। कुछ दूर पहुंचने पर ही उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने झरबेरी की ओट में एक बच्चे को जन्म दिया। उस दिन हल षष्ठी थी।
हलषष्ठी क्या है?
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कृष्ण के बड़े भाई श्रीबलरामजी का जन्म हुआ था। भगवान बलराम का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है इसी वजह से बलरामजी को हलधर कहा जाता है। उन्हीं के नाम पर इस त्योहार का नाम हलषष्ठी पड़ा।
हरछठ में किसकी पूजा की जाती है?
इस पर्व को भगवान कृष्ण के ज्येष्ठ भाई बलराम (Balram) को समर्पित किया गया है. अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ इस दिन माताएं पूरे मन से पूजन करती हैं।
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reference
Hal Shashti