महाशिवरात्रि | Maha Shivaratri | शिवरात्रि का महत्व

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Maha Shivaratri

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महाशिवरात्रि | Maha Shivaratri | शिवरात्रि का महत्व

शिवरात्रि साल मे 12/13 बार आने वाला मासिक त्यौहार है, जो पूर्णिमा से एक दिन पहिले त्रियोदशी के दिन आता है। शिवरात्रियों में से दो सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं, फाल्गुन त्रियोदशी महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरी सावन शिवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह त्यौहार भगवान शिव-पार्वती को समर्पित है, इस दिन भक्तभगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं।

संबंधित अन्य नाम

महा शिवरात्रि, काँवर यात्रा, शिवतेरश, भोला उपवास, त्रयोदशी
सावन शिवरात्रि को काँवर यात्रा का समापन दिवस भी कहा जाता है, जो मानसून के श्रावण (जुलाई-अगस्त) के महीने मे आता है। हिंदू तीर्थ स्थानों हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, सुल्तानगंज में गंगा नदी, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ, नीलकंठ और देवघर सहित अन्य स्थानो से गंगाजल भरकर, अपने – अपने स्थानीय शिव मंदिरों में इस पवित्र जल को लाकर चढ़ाया जाता है।

भगवान शिव का सबसे प्रवित्र दिन शिवरात्रि, सकारात्मक उर्जा का श्रोत है, इसलिए जल चढ़ाने के लिए पूरा दिन ही पवित्र और शुभ माना गया है। पर जल चढ़ाते समय आगे और पीछे की तिथि के संघ को ध्यान में रखें।

महाशिवरात्रि, भगवान शिव की पार्वती देवी से शादी का दिन है, इसलिए भक्तगण महा शिवरात्रि को गौरी-शंकर की शादी की सालगिरह के रूप में मानते हैं। इस दिन ब्रत में, कुछ भक्तों को बिना पानी के ब्रत रहिते देखा गया है। आज के दिन भक्त शिवलिंग को दूध, दही, शहद, गुलाब जल, आदि के साथ हर तीन घंटे के अंतराल मे सारी रात पूजा करते हैं।

Maha Shivaratri
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आज का दिन दो महान प्राकृतिक शक्तियों, रजस एवं तमस के एक साथ आने का दिन है। शिवरात्रि व्रत इन दोनों शक्तियों का सही नियंत्रण है। वासना, क्रोध, और ईर्ष्या जैसे बुराइयों को नियंत्रण कर सकते हैं। हर तीन घंटे शिवलिंग की पूजा के एक दौर आयोजित किया जाता है। सदगुरु के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्थिति कुछ ऐसी होती है कि मानव तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर होता है। अतः योगी साधक भक्त शरीर को सीधी स्थिति में रखते हैं, और सारी रात सोते नहीं हैं।

पृथ्वी की रचना पूरी होने के बाद, पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि भक्तों के कौनसे अनुष्ठानों से आपको सबसे ज़्यादा प्रशन्नता होती है। भगवान ने कहा है कि, फाल्गुन के महीने के दौरान शुक्लपक्ष की 14वीं रात मेरा पसंदीदा दिन है।

सोमवार का दिन भगवान शिव से जोड कर देखा जाता है। महाशिवरात्रि और सोमवार दोनों एक दिन होना शिवभक्तों के लिए बहुत ही शुभ है। विवाह योग्य युवक – युवतियां विवाह योग के लिये शिवजी का अभिषेक करते हैं।

शिवतेरश

हिंदू पंचांग के अंतर्गत प्रत्येक माह के तेरहवें दिन को संकृत भाषा में त्रियोदशी कहा जाता है। और प्रत्येक माह में कृष्ण और शुक्ल दो पक्ष होते हैं अतः त्रियोदशी एक माह में दो वार आती है। परंतु कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन आने वाली त्रियोदशी भगवान शिव की अति प्रिय है। भगवान शिव के प्रिय होने के कारण इस तिथि को शिव के साथ जोड़ कर साधारण भाषा में शिवतेरश कहा जाने लगा।

FAQ – Maha Shivaratri

शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है हिंदी में?

महाशिवराशि शिव और मां पार्वती के मिलन का दिन माना जाता है। फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवजी ने वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था और माता पार्वती से विवाह किया था। इस वजह से भी हर साल शिव-गौरी के विवाहोत्सव के रूप में महाशिवरात्रि मनाई जाती है।

1 साल में कितनी शिवरात्रि होती है?

हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इसे मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार से वर्ष में कुल 12 शिवरात्रि पड़ती हैं।

शिवरात्रि के दिन शिव जी का क्या हुआ था?

फाल्गुन माह की चतुर्दशी को माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था, इस दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़ गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था, शिव और शक्ति के मिलन के उत्सव के तौर पर महाशिवरात्रि के दिन भक्त पूजन और व्रत करके इस उत्सव को मनाते हैं, यह दिन भगवान शिव के सम्मान में भी मनाया जाता है।

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Reference
Maha Shivaratri

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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