राजा ययाति की कहानी | raja yayati ki kahani in hindi | वासना की तृप्ति | राजा ययाति की कथा
शुक्राचार्य असुरों के गुरु थे। 1 दिन उनकी बेटी देवयानी असुर राज वृष परवाह की बेटी शर्मिष्ठा के साथ झील में स्नान कर रही थी। उन्होंने अपने कपड़े तट पर ही छोड़ दिए थे। तभी अचानक तेज हवा चली। दोनों जल्दी से झील से बाहर आई और अपने कपड़े पहनने लगी। जल्दबाजी में शर्मिष्ठा ने देवयानी के कपड़े पहन लिए। दोनों के बीच झगड़ा हो गया।
शर्मिष्ठा ने देवयानी को कुएं में धकेल दिया और वहां से चली आई। कुछ देर बाद राजा ययाति वहां से गुजरे। उन्होंने देवयानी को कुएं से बाहर निकाला। दोनों ने विवाह करने का निश्चय किया। जब देवयानी आश्रम में नहीं लौटी तो शुक्राचार्य उसे ढूंढने निकल पड़े। देवयानी उन्हें मिली तो पर उसने उनके साथ जाने से इंकार कर दिया और उसे राजकुमारी शर्मिष्ठा से मिले अपमान की बात बता दी।

शुक्राचार्य वृष परवाह के पास गए और उन्हें राज्य छोड़ देने की धमकी देने लगे। वृष परवाह ने देवयानी पर क्षमा याचना की। देवयानी मान गई लेकिन उसने शर्त रख दी की शर्मिष्ठा को उसकी दासी बनकर रहना पड़ेगा।
ययाति और देवयानी का विवाह हो गया और उनके 3 पुत्र हुए। एक दिन शर्मिष्ठा ने ययाति को बताया कि वह कैसे देवयानी की दासी बन गई। ययाति को उससे सहानुभूति हो गई और उन्होंने गुप्त रूप से उसके साथ विवाह कर लिया।
दोनों के 2 पुत्र हो गए। जब देवयानी को इस गुप्त विवाह का पता चला तो उसने अपने पिता शुक्राचार्य से शिकायत कर दी। शुक्राचार्य ने ययाति को बूढ़ा हो जाने का शाप दे दिया। इससे देवयानी भी बहुत दुखी हो गई। शुक्राचार्य ने उससे कहा कि शाप वापस लेना तो संभव नहीं है लेकिन ययाति का कोई पुत्र अपना यौवन उसे देकर उसे फिर से युवा कर सकता है। ययाति ने अपने सभी बेटों से अनुरोध किया लेकिन कोई भी अपना यौवन उन्हें देने को तैयार नहीं हुआ।
केवल उनका सबसे छोटा पुत्र अपना योगदान देने पर राजी हो गया। ययाति फिर से युवा हो गए। कई सालों बाद उन्हें महसूस हुआ कि उन्होंने अपने बेटे के साथ अन्याय किया है। उन्होंने अपने बेटे का यौवन वापस कर दिया और उसे राजा बना दिया।
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राजा ययाति की कथा Story of king Yayati – Mahabharata Stories
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yayati ki kahani