विश्वामित्र की कहानी | Story of maharishi vishvamitra in hindi | कौशिक ऋषि कौन थे, कैसे बने राजा कौशिक महर्षि विश्वामित्र? | महर्षि विश्वामित्र की कथा | Vishwamitra ki katha | Kaushik Rishi Muni
राजा कौशिक को विश्वामित्र भी कहा जाता था। एक बार वे अपनी सेना समेत राज्य में घूमने निकले। वे वशिष्ठ ऋषि के आश्रम में पहुंचे। वशिष्ठ ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया।
विश्वामित्र ने उनसे पूछा, “क्या आप मेरी पूरी सेना को भोजन करा सकेंगे?”
वशिष्ठ ने जवाब दिया कि उनके पास नंदिनी नाम की गाय है जो उनको हर वह चीज देती है, जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है। उन्होंने नंदनी से विश्वामित्र और उनकी सेना के लिए भोजन तैयार करने को कहा। विश्वामित्र नंदिनी की शक्ति देखकर दंग रह गए। उन्होंने वशिष्ठ से कहा, “आप वन में एक गाय का क्या करेंगे? ” यह गाय तो राजा के काम की है। आप मुझे यह गाय भेंट कर दीजिए।
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वशिष्ठ ने उनकी बात नहीं मानी तो विश्वामित्र ने जबरदस्ती गाय को छीन लिया। अपने पिता समान वशिष्ठ ऋषि से बिछड़ कर नंदिनी उदास हो गई। वह राजा के महल से भाग निकली और वशिष्ठ ऋषि के पास वापस पहुंच गई। वशिष्ठ ने नंदनी से अपनी सेना तैयार करने को कहा।
जल्दी ही नंदिनी ने अपनी सेना बना ली और विश्वामित्र को पराजित कर दिया। विश्वामित्र ने नंदनी को फिर से पाने के लिए वन में जाकर कठोर तपस्या शुरू कर दी। 10 वर्ष की तपस्या के बाद शिव उनसे प्रसन्न हुए और उन्होंने विश्वामित्र को बहुत सारे अस्त्र-शस्त्र दे दिए। विश्वामित्र सारे अस्त्र-शस्त्र लेकर वशिष्ठ से लड़ने पहुंच गए। वशिष्ठ ने अपने एक शक्तिशाली अस्त्र में विश्वामित्र के सारे अतरो को सोख लिया।
विश्वामित्र ने फिर से वन में जाकर और अधिक कठोर तपस्या शुरू कर दी। कई सालों तक तपस्या करके वे ब्रह्मर्षि बन गए। अब उनके पास नंदनी को पाने की सारी शक्तियां आ चुकी थी, लेकिन उन्हें इतनी अधिक मानसिक शांति मिल चुकी थी कि अब उन्हें उस गाय की कोई जरूरत नहीं रही।
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