भीष्म पितामह के जन्म की कथा | देवव्रत की कहानी | The story of the birth of Bhishma Pitamah | devvrat ki kahani in Hindi

देवव्रत की कहानी | The story of the birth of Bhishma Pitamah

राजा शांतनु और गंगा के बेटे का नाम देव व्रत रखा गया देवव्रत के पैदा होते ही गंगा उसे साथ में लेकर शांतनु को छोड़कर चली गई थी। एक दिन शिकार खेलते समय शांतनु ने देखा कि किसी ने बाणो का बांध बनाकर गंगा की धारा रोक दी है।

वे बहुत चकित हुए। उनकी निगाह धनुष बाण लिए एक सुंदर बालक पर पड़ी। तभी अचानक नदी से गंगा निकलकर आई और बोली, “ हे राजन,  यह हमारा पुत्र देवव्रत है इसने  वेदों, शास्त्रों और युद्ध कला की शिक्षा पाई है। अब आप इसे अपने साथ ले जा सकते हैं।”

story of the birth of Bhishma Pitamah
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 शांतनु देवव्रत को अपने साथ ले आए और उसे हस्तिनापुर का युवराज बना दिया। कुछ ही दिनों में शाल्व के राजकुमार ने हस्तिनापुर पर हमला कर दिया। देवव्रत ने अपनी वीरता से उसे हरा दिया। शांतनु को अपने बेटे पर बहुत गर्व हुआ।

इसी देवव्रत ने शांतनु का विवाह सत्यवती से करवाने के लिए आजीवन अविवाहित रहने की भीषण प्रतिज्ञा की थी। जिसके बाद इसका नाम भीष्म पड़ा। भीष्म ने अंतिम समय तक अपने पिता के वंश की रक्षा की थी।

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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