गंगा अवतरण कथा | Ganga Avtaran Katha in Hindi | मां गंगा अवतरण की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा

गंगा अवतरण कथा | Ganga Avtaran Katha in Hindi | मां गंगा के अवतरण की पूरी कहानी | मां गंगा अवतरण की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा | Maa Ganga Ki Katha

बहुत समय पहले की बात है। देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था। देवताओं को हराने के लिए असुरों ने एक योजना बनाई। दिन में वे समुंद्र में छिप जाते और रात में देवताओं पर हमला कर देते।

 देवताओं को अपनी हार लगने लगी तो वे अगस्त्य ऋषि के पास गए। 

अगस्त्य ऋषि ने समुद्र का सारा पानी पीकर देवताओं की समस्या हल कर दी। अब असुरों को जीतने के लिए जगह नहीं मिली तो देवताओं ने उन्हें आसानी से हरा दिया। इसके बाद देवताओं ने अगस्त्य ऋषि से समुद्र का पानी वापस करने को कहा। अगस्त्य ने बताया कि पानी तो वे पचा चुके हैं।

समुंद्र खाली हो जाने से धरती पर लोगों के पास बिल्कुल भी पानी नहीं बचा। देवता चिंतित होकर विष्णु के पास गए और धरती पर पानी लाने की मांग करने लगे।

विष्णु ने उन्हें आश्वासन दिया कि स्वर्ग से गंगा धरती पर आएगी। इस बीच पृथ्वी पर राजा सगर पूरे विश्व को जीतने के लिए यज्ञ कर रहा था। राजा सगर के साथ हजार बेटे थे।

परंपरा के अनुसार उसने सफेद घोड़े के साथ सेना भेजी। जहां भी घोड़ा जाता वहां के राजा को या तो सगर की अधीनता स्वीकार करनी पड़ती या उससे युद्ध करना पड़ता था। इस तरह से राजा सगर पूरी धरती पर अधिकार करता जा रहा था और सबसे शक्तिशाली राजा बनना चाहता था। 

Ganga Avtaran Katha in Hindi
Ganga Avtaran Katha in Hindi

स्वर्ग के राजा इंद्र को भी उससे डर लगने लगा। सगर को रोकने के लिए इंद्र ने उसके घोड़े को कपिल ऋषि के आश्रम में छिपा दिया। सगर ने अपने बेटों को घोड़े की तलाश में भेजा। कपिल ऋषि उस समय ध्यान कर रहे थे। उनका ध्यान भंग हुआ तो वह क्रोधित हो गए। अपने नेत्रों से ही उन्होंने सगर के सारे बेटों को भस्म कर दिया। सगर बहुत दुखी हुआ। वह अपने बेटों की आत्माओं की मुक्ति चाहता था जो केवल गंगाजल से ही संभव थी। गंगा को धरती पर लाना जरूरी हो गया था।

राजा सगर ने, ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की, लेकिन तपस्या पूरी होने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। उसके पोते ने तपस्या जारी रखी। इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी सगर के वंशज तपस्या करते रहे। सगर की सातवीं पीढ़ी के वंशज भागीरथ आखिरकार ब्रह्मा को प्रसन्न करने में सफल रहे। ब्रह्मा ने उनकी इच्छा पूरी की और गंगा से कहा कि वह धरती पर जाकर बहे।

गंगा स्वर्ग छोड़ कर धरती पर नहीं जाना चाहती थी। उसने धमकी दी कि वह अपनी धारा से धरती पर सारे जीव जंतुओं का नाश कर देगी। गंगा के तेज प्रवाह को संभालने की क्षमता सिर्फ शिव जी की मजबूत जटाओं में ही थी। भागीरथ ने शिव से सहायता मांगी। शिव ने अपनी जटा खोल दी और पूरे आकाश को ढक लिया। जब गंगा स्वर्ग से उतर कर नीचे आने लगी तो शिव ने अपनी जटाओं में उसके सारे जल को रोक लिया और जटाय बांधली।

यहाँ पढ़ें : राजा ययाति की कहानी
महर्षि विश्वामित्र की कथा
गुरु भक्त उत्तक की कहानी
सत्यवान और सावित्री की कहानी
नचिकेता की कहानी

गंगा शिव जी की जटाओं से बहुत सारी छोटी छोटी धाराओं के रूप में बह निकली। भागीरथ के साथ चलते चलते वह उस जगह के लिए चल्दी जहां उनके पूर्वजों की अस्थिया पड़ी थी। इस बीच एक और गड़बड़ हो गई। गंगा के बहाव में जाहू ऋषि का आश्रम भी बह गया। जाहु उस समय यज्ञ कर रहे थे। गंगा की धारा से उनके यज्ञ की अग्नि भी बुझ गई। गुस्से में आकर जाहु ने समूची गंगा को ही पी लिया।

हालांकि जब उन्हें पता चला कि लंबी तपस्या के बाद गंगा को धरती पर लाया गया है तो वह उसे छोड़ने पर सहमत हो गए। उन्होंने अपनी बाई जंगा काट दी जिससे गंगा फिर से बहने निकली। गंगा का नाम तभी से जाह्नवी भी पड़ गया जिसका अर्थ, जाहु की बेटी होता है

गंगा बहती गई और उसने भागीरथ के पूर्वजों की अस्थियों को भी धो दिया। इस प्रकार गंगा का नाम भागीरथी भी पड़ गया। इसके बाद गंगा ने समुंद्र को भी भर दिया। तभी से समुद्र का नाम भी राजा सगर के नाम पर सागर पड़ गया। धरती के लोगों को भी इसके बाद पानी की कमी नहीं रही।

गंगा अवतरण की कथा | Ganga Avtaran Katha | DS PAl | Ganga Mata Ke Bhajan | Sonotek Bhakti video

Ganga Avtaran Katha in Hindi

REFRENCE
Ganga Avtaran Katha in Hindi

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

Leave a Comment