भगवान शिव की कहानियां हिन्दी में | 7 best lord Shiva story in hindi | शंकर भगवान की कहानियां | bhagwan shiv ki kahani | शिव पार्वती की कहानी | shiv ji ki kahani in hindi

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1.शिव और पार्वती का विवाह | lord Shiva story in hindi | shiv ji ki kahani in hindi

हिमालय के राजा हिमवंत और उनकी पत्नी मेनादेवी शिव जी के भक्त थे। उनकी इच्छा एक ऐसी पुत्री पाने की थी जिसका विवाह में शिव जी के साथ कर सके। मेनादेवी ने शिवजी की पत्नी गौरीदेवी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी। कई दिनों तक वह बिना खाए पिए तप करती रही। गौरीदेवी ने प्रसन्न होकर मेनादेवी की बेटी के रूप में जन्म लेने का वचन दे दिया।

गौरीदेवी ने आग में कूदकर अपनी जान दे दी। इसके बाद उन्होंने मेनादेवी की बेटी के रूप में जन्म लिया, जिसका नाम पार्वती रखा गया। पार्वती ने जब बोलना शुरू किया तो उनके मुंह में पहला शब्द शिव ही निकला। बड़ी होकर वह बहुत सुंदर युवती बनी।

इस बीच शिवजी ने अपनी पत्नी की मृत्यु से दुखी होकर लंबा ध्यान शुरू कर दिया था। हिमवंत को आशंका हो रही थी की शायद शिवजी गहन ध्यान मैं होने के कारण पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार ना करें। उन्होंने समस्या के समाधान के लिए नारद को बुलाया। नारद ने उनसे कहा कि पार्वती तपस्या के जरिए शिव जी का हृदय जीत सकती थी। हिमवंत ने पार्वती को शिव जी के पास ही भेज दिया। पार्वती ने दिन-रात उनकी पूजा और सेवा की।

शिवजी पार्वती की भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए, लेकिन उन्होंने उनकी परीक्षा लेने का निश्चय किया। उन्होंने युवा ब्राह्मण का रूप धारण किया और पार्वती के पास जाकर कहने लगे कि भिकारी की तरह रहने वाले शिवजी से विवाह करना सही नहीं होगा। पार्वती यह सुनकर बहुत क्रोधित हुई। उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि वे शिव को छोड़कर और किसी के साथ विवाह नहीं करेंगी। उनके उत्तर से संतुष्ट होकर शिव अपने असली रूप में आ गए और पार्वती से विवाह करने को तैयार हो गए। हिमवंत ने धूमधाम से दोनों का विवाह कर दिया।

2. कार्तिकेय की कहानी | देवों के देव महादेव की कहानी

एक बार की बात है तारकासुर नाम के एक असुर ने बड़ी कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उसे वरदान दिया कि उसे सिर्फ शिव जी का पुत्र ही मार पाएगा।

 इस शक्तिशाली वरदान को पाकर तारकासुर बहुत घमंडी हो गया। और उसने स्वर्ग लोक और पृथ्वी लोक पर उपद्रव मचाना शुरू कर दिया।

उसके उत्पाद से देवता परेशान हो गए। उन्हें शिवजी से तारकासुर को रोकने का अनुरोध किया उस समय तक शिवजी को कोई पुत्र नहीं था। पुत्र बनाने के लिए शिव ने छह चेहरे बनाए। हर चेहरे पर एक तीसरा नेत्र भी था। इन आंखों से चिंगारियां निकली और उनसे 6 बच्चे बन गए। शिव की पत्नी पार्वती बहुत प्रसन्न हुई और सभी बच्चों को गोद में लेकर गले से लगाने लगी। उन्होंने इन बच्चों को इतने जोर से गले लगाया कि 6 बच्चे मिलकर 6  सिर वाले 1 बच्चे में बदल गए। 

इस बच्चे का नाम कार्तिकेय रखा गया। इस प्रकार शिवपुत्र कार्तिकेय ने देवताओं की सेना लेकर तारकासुर से लड़ाई लड़ी और उसे मार डाला।  तभी से कार्तिकेय  को युद्ध का देवता कहा जाने लगा।

lord Shiva story in hindi
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3. व्यापारी का बेटा | भगवान शिव की कहानियां

एक धनी व्यापारी था। उसके मन में एक बेटे की चाहत थी। उसने शिव की पूजा की। शिव जी ने उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया लेकिन यह भी कहा कि वह पुत्र केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रह पाएगा। व्यापारी ने और अधिक लगन से पूजा पाठ शुरू कर दिया। जब उसका बेटा 11 वर्ष का हुआ तो उसने उसे धर्म की पढ़ाई के लिए काशी भेज दिया। रास्ते में लड़का राजधानी में रुका।

वहां राजकुमारी का विवाह हो रहा था दूल्हा काना था लेकिन उसका पिता यह बात छुपाना चाहता था। उसने व्यापारी के बेटे से दूल्हे की जगह बैठ जाने को कहा। विवाह के बाद व्यापारी के बेटे ने एक कपड़े पर सारी सच्चाई लिख दी और उसे राजकुमारी को दे दिया। इसके बाद वह काशी चला गया।

जब राजकुमारी ने कपड़े पर लिखा संदेश पढ़ा तो उसने काने ने दूल्हे को अपना पति मानने से इनकार कर दिया। व्यापारी के बेटे की प्रतीक्षा करने लगी। जब व्यापारी के बेटे की आयु 12 वर्ष की हो गई तो उसकी मौत हो गई। व्यापारी के पूजा पाठ और भक्ति से शिव जी प्रसन्न हो गए। उन्होंने उसको फिर से जीवित कर दिया। व्यापारी का बेटा राजकुमारी को पत्नी के रूप में लेकर घर आ गया।

4. काली की रचना कैसे हुई | शिव शंकर भगवान की कथा

दुर्गा अथवा पार्वती के प्रचंड अवतार को ही कहा निकाली कहते हैं। असुरों से युद्ध करते समय दुर्गा ने सोचा कि चंद और मुंड नाम के असुरों को मारने के लिए हिंसक और विनाशक रूप धारण करना चाहिए।

गुस्से में आकर दुर्गा ने अपने तीसरे नेत्र से तेज बिजली निकाल दी। इस बिजली से नारी की एक काली आकृति प्रकट हुई। उसकी आंखें सुलग रही थी और बाल बिखरे हुए थे। उसकी लाल जीव चमक रही थी। हीरे या सोने के गहनों के बजाय वह मनुष्य  की खोपड़ी की माला पहने हुए थी।

उसके तीन हाथों में त्रिशूल तलवार और मनुष्य की खोपड़ी थी। चौथे हाथ से वह आशीर्वाद दे रही थी।  पूरी तरह से रक्त पिपासु दिख रही वह देवी असुरों को मारने चल पड़ी। उसने चंद और मुंड को मार डाला। इस तरह उसका नाम चामुंडा पड़ गया। 

इसके बाद शिव जी प्रकट हुए और उन्होंने काली के विनाश को रोकने के लिए अपने आप को उसके पैरों पर गिरा दीया। शिव को अपने पैरों के नीचे गिरा दे काली को अपनी गलती महसूस हुई और उसने मारकाट बंद कर दी।

5. बच्चा जो कभी बूढ़ा नहीं हुआ | शिव जी की व्रत कथा

मृकंदु ऋषि ने, शिव की तपस्या करके पुत्र का वरदान मांगा। शिव प्रकट हुए और पूछने लगे, “तुम अधिक आयु वाला साधारण पुत्र चाहते हो अथवा मात्र 16 वर्ष की आयु वाला बुद्धिमान और तेजस्वी पुत्र चाहते हो?”

मृकंदु ने सोचा, “अगर मैं बुद्धिमान पुत्र मांगता हूं तो वह 16 वर्ष की उम्र में ही मर जाएगा, लेकिन अगर मैं अधिक आयु वाला पुत्र मांगता हूं तो वह बुद्धिमान नहीं होगा। उन्होंने बुद्धिमान पुत्र मांगा लिया। 

कुछ ही दिनों में उनकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने मार्कंडेय रखा। वह बहुत सुंदर बुद्धिमान दयालु और सभी गुणों से परिपूर्ण था।

जब मार्कंडेय 16 वर्ष का होने वाला था तो उसके माता-पिता ने उसे उसकी मृत्यु की बात बता दी। मार्कंडेय कहने लगा, “मैं नहीं मरूंगा। मैं शिव की पूजा करूंगा।” उसने हर दिन शिव की पूजा करनी शुरू कर दी। उसके सोल्वे जन्मदिन पर यमराज से लेने आ पहुंचे। मार्कंडेय ने उनसे कहा, “मुझे अपनी पूजा समाप्त कर लेने दो।” यम नाराज हो गए और उन्होंने उसके ऊपर यम पाश फेंका। 

शिव प्रकट हो गए और उन्होंने यम को यमलोक लौट जाने का आदेश दे दिया और बोले, “वापस पृथ्वी पर मत आना।”

यम चले गए। उसके बाद से पृथ्वी पर किसी की मृत्यु नहीं हुई। पृथ्वी पर आबादी बहुत बढ़ गई। देवी पृथ्वी शिव के पास गई और कहने लगी, ” मैं इतना भर नहीं उठा सकती। कृपया यमराज को पृथ्वी पर भेजिए।” जब शिव ने इनकार किया तो वह सहायता के लिए पार्वती के पास पहुंची।

पार्वती ने भी शिव से अनुरोध किया तो शिव भोले, ” यमराज ने मेरे भक्तों का अपमान किया था।” पार्वती ने कहा, “किंतु आपने ही तो कहा था कि मारकंडे 16 वर्ष से अधिक नहीं जिएगा। इसीलिए यमराज उसे लेने गए थे।” शिव निरुत्तर हो गए।  इस पर पार्वती बोली, ” शायद आपका, आश्ये होगा कि मारकंडे सदैव 16 बरस का रहेगा। इसी बात को यमराज समझ नहीं पाए होंगे। शिव तुरंत प्रसन्न होकर बोले, “बिल्कुल यही बात थी” उन्होंने तुरंत यमराज को पृथ्वी पर जाने की अनुमति दे दी और मार्कंडेय सदैव 16 वर्ष का ही रहा।

lord Shiva story in hindi
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6. शिव और सती की कहानी | bhagwan shiv ki kahani

ब्रह्मा के बेटे दक्ष की सती नाम की बेटी थी जो शिवजी से प्रेम करती थी और उनसे विवाह करना चाहती थी। दक्ष अपने आप को शिव से बड़ा मानते थे, इसीलिए उन्होंने सती की बात नहीं मानी। शिव और सती ने दक्ष की इच्छा के बिना ही विवाह कर लिया।

एक दिन एक समारोह ने शिव ने दक्ष के सामने खड़े होकर उन्हें प्रणाम नहीं किया। दक्ष ने बहुत अपमान महसूस किया। उन्होंने बदला लेने की ठान ली। दक्ष ने एक यज्ञ कराया और उसने शिव को छोड़कर सारे देवताओं को आमंत्रित किया।

सती को बहुत बुरा लगा। वह अपने पिता से मिलने पहुंच गई। दक्ष ने सबके सामने शिव का अपमान किया। सती यह नहीं सह पाई और उसने यज्ञ की आहुति में कूदकर अपनी जान दे दी।

क्रोधित होकर शिव ने समूचे ब्रह्मांड को नष्ट करने के लिए विनाशकारी नृत्य तांडव शुरू कर दिया। ब्रह्मा ने प्रकट होकर शिव से क्षमा मांगी। शिव मान तो गए लेकिन उन्होंने दक्ष को शाप दे दिया कि उनका सिर हमेशा बकरी का रहेगा। बाद में सती ने पार्वती के रूप में फिर से जन्म लिया। 

7. चंद्रमा ने अपनी रोशनी कैसे गँवाई | शिव पार्वती की कहानी

राजा दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 बेटियों का विवाह चंद्रमा के साथ पर दिया था। विवाह के समय उन्होंने चंद्रमा के सामने शर्त रखी थी कि वह अपनी सभी 27 पत्नियों के साथ समान व्यवहार करेगा। चंद्रमा एक एक रात अपनी हर पत्नी के महल में बिताता था लेकिन अपनी रोहिणी नाम की पत्नी से वह अधिक प्यार करता था। जिस रात को वह रोहिणी के महल में जाता उस रात वह सबसे अधिक चमकता था। उसकी शेष पत्नियों को यह बुरा लगता था। उन्होंने अपने पिता से इतनी शिकायत की। दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि वह अपनी चमक खो देगा।

दिन में सूरज चंद्रमा को अपना दिव्य प्रकाश दे देता था। रात में चंद्रमा दिव्य पेय सोम पीता था, जोकि देवताओं का पेय था। दक्ष के श्राप के कारण देवता अपनी शक्ति का स्रोत हो बैठे। दे सहायता के लिए ब्रह्मा के पास पहुंचे। ब्रह्मा की सलाह पर चंद्रमा ने 1 करोड़ बार मृत्युंजय मंत्र का जाप किया। इससे शिव जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने चंद्रमा को श्राप से आंशिक रूप से मुक्त कर दिया। अभी से चंद्रमा सिर्फ कुछ रातों में ही चमकता है।

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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