भक्षक से बड़ा रक्षक – जातक कथाएँ | Jatak Story In Hindi | Bhakshak se bada Rakshak jatak katha in hindi

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भक्षक से बड़ा रक्षक – जातक कथाएँ | Jatak Story In Hindi | Bhakshak se bada Rakshak jatak katha in hindi

सुबह का समय था। ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। मगध के राजकुमार सिद्धार्थ राजमहल के बाग में घूम रहे थे। राजकुमार को लोग प्यार से गौतम पुकारते थे। उनके साथ उनका चचेरा भाई देवदत्त भी था। गौतम बहुत दयालु स्वभाव के थे। वे पशु-पक्षियों को प्यार करते, पर देवदत्त कठोर स्वभाव का था। पशु-पक्षियों के शिकार में उसे बड़ा आनंद मिलता।

बाग बहुत सुंदर था। तालाब में कमल खिले हुए थे। फूलों पर रंग बिरंगी तितलियाँ मँडरा रही थीं। पेड़ों पर चिड़ियाँ चहचहा रही थीं। राजकुमार गौतम को देखकर बाग के खरगोश और हिरन उनके चारों और जमा हो गए। गोतम ने बड़े प्यार से उन्हें हरी-हरी घास खिलाई। उसी बीच देवदत्त ने एक तितली पकड़ उसके पंख काट डाले। गौतम को बहुत दुःख हुआ, ‘यह क्या देवदत्त, तुमने तितली के पंख क्यों काटे ?”

मैं इसे धागा बाँधकर नचाऊँगा। बड़ा मजा आएगा।’ देवदत्त हँस रहा था।

गौतम ने कहा, ‘नहीं देवदत्त, यह ठीक बात नहीं है। भगवान् ने तितली को पंख उड़ने के लिए दिए हैं। उसके पंख काटकर तुमने अपराध किया है।” देवदत्त, ‘अगर तुम तितली और चिड़ियों के बारे में सोचते रहे तो राजा कैसे बन सकोगे गौतम ? तुम खरगोश से खेलो, मैं किसी पक्षी का शिकार करता हूँ।’

हंसता हुआ देवदत्त बाग की दूसरी ओर चला गया। गौतम सोच में डूबे बाग में घूम रहे थे। तभी आकाश में सफेद हंस उड़ते हुए दिखाई दिए। सारे हंस पंक्ति बनाकर उड़ रहे थे। उनकी आवाज समझ पाना संभव नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे वे खुशी के गीत गा रहे हो। गोतम हंसों को प्यार से देख रहे थे। अचानक हंस चीख पड़े।

हंसों की पंक्ति टूट गई थी। अचानक खून से लथपथ एक हंस गौतम के पाँवों के पास आ गिरा। हंस के शरीर में एक बाण लगा हुआ था। घायल हंस कष्ट से कराह रहा था। गौतम को लगा मानो हंस उनसे दया की भीख माँग रहा हो। हंस के कष्ट से गौतम को बहुत दुःख हुआ। वे सोचने लगे, ‘कुछ देर पहले यह हंस कितना खुश था। अपने साथियों के साथ गीत गाता. आकाश में उड़ रहा था। एक बाण ने इसे इसके साथियों से अलग कर दिया। यह अन्याय किसने किया ?’

गौतम ने बड़ी सावधानी से उसके शरीर से बाण बाहर निकाल दिया। उसके घाव को धोकर साफ किया प्यार पाकर हंस ने गौतम की गोद में सिर छिपा लिया।

तभी बाग के दूसरी ओर से देवदत्त तेजी से दौड़ता हुआ आया। उसे आता देख हंस डर से सिहर गया। गौतम के पास आकर देवदत्त ने तेज आवाज में कहा, ‘सिद्धार्थ, यह हंस मेरा है। मैंने इसे बाण मारकर गिराया है।”

‘नहीं देवदत्त, यह हंस मेरी शरण में आया है। यह हंस मेरा है।’ गौतम ने शांति से जवाब दिया। ‘

बेकार की बातें मत करो गौतम। मैंने इसका शिकार किया है। हंस मुझे दे दो।’ देवदत्त ने गुस्से से कहा।

“मैं यह हंस तुम्हें नहीं दूंगा देवदत्त। इसे मैंने बचाया है। इस हंस पर तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है।’ गौतम अपनी बात पर अटल थे।

गौतम और देवदत्त के बीच बहस छिड़ गई। दोनों ही अपनी बात पर अड़े थे। अंत में देवदत्त ने कहा, ‘ठीक है, चलो महाराज के पास। वे ही हमारा न्याय करेंगे।’

Bhakshak se bada Rakshak jatak katha
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दोनों बालक गौतम के पिता महाराज शुद्धोधन के पास पहुँचे। देवदत बहुत क्रोध में था, पर गौतम शांत थे। देवदत्त ने महाराज से कहा, ‘महाराज, मैंने आकाश में उड़ते इस हस का शिकार किया है। इस हंस पर मेरा अधिकार है। मुझे मेरा हंस दिलाया जाए।” महाराज ने गौतम से कहा, ‘राजकुमार गौतम, तुम्हारा भाई ठीक कहता है। शिकार किए गए पक्षी पर शिकारी का हक होता है। देवदत्त का हस उसे दे दो।”

‘नहीं महाराज, मारनेवाले से बचानेवाला ज्यादा बड़ा होता है। देवदत ने इस हंस के प्राण लेने चाहे, पर मैंने इसकी जान बचाई है। अब आप ही बताइए, इस हंस पर किसका अधिकार होना चाहिए?’ गौतम ने पूछा।

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महाराज सोच में पड़ गए। उन्हें गौतम की बात ठीक लगी। प्राण लेनेवाले से जीवन देनेवाला अधिक महान् होता है। उन्होंने कहा, ‘गौतम ठीक कहता है। इस हंस के प्राण गौतम ने बचाए हैं, इसलिए इस हंस पर गौतम का अधिकार है।”

क्रोधित होकर देवदत्त ने प्रश्न किया, ‘अगर हंस मर जाता तो क्या आप यह हंस मुझे दे देते, महाराज ?’ ‘हाँ, तब यह हंस तुम्हारा शिकार होता और तुम्हें तुम्हारा हंस जरूर दिया जाता।’ बड़ी शांति से महाराज ने समझाया।

गौतम ने प्यार से हंस को सीने से चिपटा लिया। हंस ने खुश होकर चैन की साँस ली। महाराज ने हंस की प्रसन्नता देखी। अचानक उनके मुँह से निकला-भक्षक से रक्षक बड़ा है।

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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