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सही राह – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी | जातक कथाएँ | lokpriya Jatak Kathayen | sahi raah Buddha story in hindi
एक समय महात्मा बुद्ध को शहर के एक व्यापारी ने अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया। बुद्ध जब उसके घर पहुंचे, तो व्यापारी के पड़ोस के बहुत से लोग बुध से भेंट के लिए आए। उन लोगों के बीच में ही एक चोर भी आ गया और महात्मा बुद्ध को देखते ही पूछा,’स्वामी जी क्या मैं आपके पैर धो सकता हूं?’
महात्मा बुध अनुमति देते, उससे पहले ही वह उनके पैर धोने लगा। उस चोर के नगर में बहुत चर्चे थे। नगरवासी से पापी दुष्ट कहते थे। जब वह चोर महात्मा बुद्ध के चरण धो रहा था तो वहां आए लोगों ने मन ही मन सोचा कि महात्मा बुद्ध उस चोर को अभी दूर हटने को कह देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वह चोर महात्मा बुध के पैर धोकर वहां से चुपचाप चला गया।
एक व्यापारी ने महात्मा बुद्ध से पूछा, ‘ स्वामी जी, आप जानते हैं कि वह व्यक्ति कौन था? ‘
महात्मा बुद्ध ने कहा, ‘नहीं-नहीं मैं नहीं जानता कि वह व्यक्ति कौन था, लेकिन जो भी था उसने श्रद्धा बहुत थी।’
व्यापारी कहने लगा, ‘ वह व्यक्ति एक चोर था। उस व्यक्ति से नगर के सभी लोग घृणा करते हैं और मैं भी, क्योंकि वह इस नगर का बदनाम चोर है। वह लोगों के इमानदारी से कमाए हुए धन को चुरा कर ले जाता है।’
महात्मा बुद्ध ने वहां आए सभी लोगों और उस व्यापारी से एक सवाल किया।
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महात्मा बुद्ध ने पूछा, ‘एक साहूकार से तुमने 100 और तुम्हारे मित्र ने ₹50 कर्ज लिया, लेकिन साहूकार ने तुम दोनों का कर्ज माफ कर दिया क्योंकि तुम दोनों ही साहूकार का कर्ज चुका सकने में असमर्थ हो। यह देख वहां खड़ा तीसरा व्यक्ति दोनों में से किसे अच्छा कहेगा, साहूकार को या उन कर्जदारओं को, जिन्होंने साहूकार से कर्ज लिया था? ‘
व्यापारी ने कहा, ‘ स्वामी जी निश्चित तौर पर वह साहूकार ही अच्छा व्यक्ति है जिसने दोनों का कर्जा माफ कर दिया।’
महात्मा बुद्ध ने कहा, ‘ जैसे आपने उस साहूकार को अच्छा कहां है ठीक उसी प्रकार लोग भी उसी व्यक्ति को अच्छा कहते हैं जो अच्छा करता है।’
महात्मा बुद्ध ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘अगर आप सभी लोग उस चोर से घृणा करने की बजाय उसे सही राह दिखाने में सहायता करते तो शायद आज वह भी आपकी ही तरह एक सभ्य पुरुष बन सकता था, लेकिन आप सभी को केवल उस व्यक्ति की बुराई नजर आई।
आप में से किसी ने भी कभी भी उसको सही राह दिखाने की कोशिश नहीं की। अगर आप सभी लोग मिलकर अपनी ही तरह उसे भी कामकाज करना सिखाते तो शायद आप लोगों की वजह से उसका जीवन भी बदल सकता था।’
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