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सियार बना न्यायाधीश – जातक कथाएँ | Jatak Story In Hindi | Jackal becomes judge jatak katha in hindi
किसी नदी के तटवर्ती वन में एक सियार अपनी पत्नी के साथ रहता था। 1 दिन उसकी पत्नी ने रोहित रोहू मछली खाने की इच्छा व्यक्त की। सियार उससे बहुत प्यार करता था। अपनी पत्नी को उसी दिन रोहू मछली खिलाने का वादा कर, सियार नदी के तीर पर उचित अवसर की तलाश में टहलने लगा।
थोड़ी देर में सियार ने अनुतीरचारी और गंभीर चारी नाम के दो ऊदबिलाव को मछलियों की घात में नदी के किनारे बैठे पाया। तभी एक विशालकाय रोहू मछली नदी के किनारे दुम हिलाती नजर आई। बिना समय खोए गंभीर चारी ने नदी में छलांग लगाई और मछली की धूम को कस कर पकड़ लिया किंतु मछली का वजन उससे कहीं ज्यादा था।
वह उसे ही खींचकर नदी के नीचे ले जाने लगी। तब गंभीर चारी ने अनुतीरचारी को आवाज लगा बुला लिया। फिर दोनों ही मित्रों ने बड़ा जोर लगा कर किसी तरह मछली को तट पर ला पटक दिया और उसे मार डाला। मछली के मारे जाने के बाद दोनों में विवाद खड़ा हो गया कि मछली का कौन सा भाग किसके पास जाएगा।
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सियार, जो अब तक दूर से ही सारी घटना को देख रहा था। तत्काल ही दोनों ऊदबिलाव के समक्ष प्रकट हुआ और उसने न्यायाधीश बनने का प्रस्ताव रखा। ऊदबिलाव ने उसकी सलाह मान ली और उसे अपना न्यायधीश मान लिया। न्याय करते हुए सियार ने मछली के सिर और पूँछ अलग कर दिए और कहां-
‘जाए पूँछ अनुतीरचारी को, गंभीरचारी पाए सिर
शेष मिले न्यायधीश को, जिसे मिलता है शुल्क।’
सियार फिर मछली के धड़ को लेकर बड़े आराम से अपनी पत्नी के पास चला गया। दुख और पश्चाताप के साथ तब दोनों ऊदबिलाव ने अपनी आंखें नीची कर ली।
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