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सियार और जादुई ढोल – जातक कथाएँ | Jatak Story In Hindi | The Jackal And The Drum jatak katha in hindi
एक बार एक ढोल बजानेवाला जंगल से होकर एक गाँव की ओर जा रहा था। तभी दूर एक भालू को देख वह अपने ढोल को वहाँ छोड़कर भाग गया। तेज हवा से वह ढोल लुढ़कता हुआ एक सूखे पेड़ के पास जाकर टिक गया। उस पेड़ की सूखी टहनियाँ ढोल से इस तरह से सट गई थीं कि तेज हवा चलते ही ढोल पर टकरा जाती थीं और ढमाढम ढमाढम की आवाज होने लगती थी।
एक सियार वहीं रहता था। उसने ढोल की आवाज सुनी। वह बड़ा भयभीत हुआ। ऐसी अजीब आवाज बोलते पहले उसने किसी जानवर को नहीं सुना था। वह सोचने लगा कि यह कैसा जानवर है, जो ऐसी जोरदार बोली बोलता है, ‘ढमाढम’। सियार छिपकर ढोल को देखता रहता, यह जानने के लिए कि यह जीव उड़नेवाला है या चार टाँगों पर दौड़नेवाला। एक दिन सियार झाड़ी के पीछे छुपकर ढोल पर नजर रखे था। तभी पेड़ से नीचे उतरती हुई एक गिलहरी कूदकर ढोल पर उतरी। हल्की सी ढम की आवाज भी हुई। गिलहरी ढोल पर बैठी दाना कुतरती रही।
सियार बड़बड़ाया, “ओह! तो यह कोई हिंसक जीव नहीं है। मुझे भी डरना नहीं चाहिए।” सियार फूँक-फूंककर कदम रखता ढोल के निकट पहुँचा। उसे सूँघा डोल का उसे न कहीं सिर नजर आया और न पैर तभी हवा के झोंके से टहनियाँ ढोल से टकराई। ढम की आवाज हुई और सियार उछलकर पीछे जा गिरा।
“अब समझ आया।” सियार उठने की कोशिश करता हुआ बोला, “वह तो बाहर का खोल है। जीव इस खोल के अंदर है। आवाज बता रही है कि जो कोई जीव इस खोल के भीतर रहता है, वह मोटा-ताजा होना चाहिए।
चर्वीं से भरा शरीर तभी ये ‘ढमाढम’ जोरदार बोल बोलता है।” अपनी माँद में घुसते ही सियार बोला “ओ सियारी। दावत खाने के लिए तैयार हो जा। एक मोटे-ताजे शिकार का पता लगाकर आया है।”

सियारी पूछने लगी, “तुम उसे मारकर क्यों नहीं लाए ?” सियार ने उसे झिडक दिया। “क्योंकि मैं तेरी तरह मूर्ख नहीं हूँ। वह एक खोल के भीतर छिपा बैठा है। खोल ऐसा है कि उसमें दो तरफ सूखी चमड़ी के दरवाजे हैं। मैं एक तरफ से हाथ डाल उसे पकड़ने की कोशिश करता तो वह दूसरे दरवाजे से न भाग जाता ?”
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चाँद निकलने पर दोनों ढोल की और गए। जब वे निकट पहुँच ही रहे थे। कि फिर हवा से टहनियाँ ढोल पर टकराई और ढमढम की आवाज निकली। सियार सियारी के कान में बोला “सुनी उसकी आवाज ? जरा सोच जिसकी आवाज ऐसी गहरी है, वह खुद कितना मोटा ताजा होगा।”
दोनों ढोल को सीधाकर उसके दोनों ओर बैठे, और लगे दाँतों से दोनों चमड़ीवाले भाग के किनारे फाड़ने। जैसे ही चमड़ियाँ कटने लगी, सियार बोला, “होशियार रहना। एक साथ हाथ अंदर डाल शिकार को दबोचना है।” दोनों ने ‘हूँ’ की आवाज के साथ हाथ ढोल के भीतर डाले और अंदर टटोलने लगे, लेकिन अंदर कुछ नहीं था। एक-दूसरे के हाथ ही पकड़ में आए। दोनों चिल्लाए ” यहाँ तो कुछ नहीं है।” और वे माथा पीटकर रह गए।
सियार और ढोल | The Jackal and The Drum | HINDI Moral Stories For Children | KidsOneHindi – video
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