राजस्थानः पधारो म्हारे देस, प्रमुख 6 किले, तथा मशहूर पर्यटन स्थल

भक्ति काल में मीरबई से लेकर मुगल काल में महाराणा प्रताप तक, राजपुताना शान का झंडा इतिहास के पन्नों में हमेशा से बुलंद रहा है। राजस्थान (rajasthan) की सरजमीं पर वीरता की तमाम कहानियां हम बचपन से अपनी किताबों में पढ़ते आए हैं।  फिर चाहे वो पृश्वीराज चौहान का किस्सा हो, रानी पद्मनी जैसी वीरांगनाओं की दास्तां हो या फिर राणा प्रताप के घोड़े चेतक की बहादुरी….

रण बीच चौकड़ी भर – भर कर, चेतक बन गया निराला था।

राणा प्रताप के घोड़े से, पड़ गया हवा का पाला था।।

जो तनिक हवा से बाग हिली, लेकर सवार उड़ जाता था।

राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था।।

गिरता न कभी चेतक तन पर, राणा प्रताप का कोड़ा था।

दौड़ रहा अरिमस्तक पर, वो आसमान का घोड़ा था।।

राजस्थान, यानी राजाओं का स्थान। जहां सदियां बीत जाने के बाद आज भी ये शौर्य गाथायें हर बच्चे की जुबां पर रहती हैं। यही नहीं, अरावली की चोटियों पर बने आलीशान किले भी राजस्थान के गौरवपूर्ण इतिहास को बखूबी बयां करते हैं। यही कारण है राजस्थान को किलों का देश भी कहा जाता है।

राजस्थान का इतिहास (history of rajasthan)

स्थापना30 मार्च 1949
राजधानीजयपुर
आधिकारिक भाषाहिन्दी, अंग्रेजी
स्थानीय भाषाराजस्थानी
स्थानीय नृत्यघूमर
राजकीय पक्षीसोन चिड़िया
Rajasthan

राजस्थान के किले (forts of rajasthan)

वैसे तो राजस्थान में अनगिनत किले उपस्थित है और हर किला एक दिलचस्प कहानी कहता है, लेकिन दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंख्ला अरावली की चोटियों पर स्थित राजस्थान के कुछ चुंनिदा किले न सिर्फ भारत की सरहद के भीतर बल्कि सात समंदर पार भी बेहद मशहूर हैं।साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNESCO ने राजस्थान के छह किलों(hill forts of rajasthan) को विश्व धरोहर सूची (unesco world heritage sites)में शामिल किया है।

1. चित्तौड़गढ़ किला (chittorgarh fort)

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राजस्थान के चित्तौड़ जिले में स्थित यह किला एक जमाने में शक्तिशाली राज्य मेवाड़ की राजधानी हुआ करता था। मध्यकाल में मुगल बादशाह अकबर द्वारा  चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण करने के बाद इसी किले में रानी कर्णावती ने कई राजपूतानियों के साथ जौहर किया था।

चित्तौड़गढ़ किला देश का सबसे बड़ा किला है, जिसमें कुल 7 मुख्य द्वार हैं, वहीं एक बड़ी सी गोल सड़क पूरे महल का चक्कर लगाती है। इस सड़क के किनारे लगभग 139 मंदिर स्थित हैं। चित्तौड़गढ़ किले में मीराबाई मंदिर से लेकर कई जैन मंदिर भी हैं। साथ ही 1440 में राणा कुंभा द्वारा मालवा के राजा महमूद खिलजी को जंग में धूल चटाने के बाद इस किले के भीतर एक विशाल विजय स्तंभ का निर्माण कराया गया था। यह विजय स्तंभ आज भी चित्तौड़गढ़ किले की पहचान है।

इसके अलावा बीराच नदी के किनारे बसे इस किले में स्थित राणा कुंभा महल, रानी पद्मनी महल, कालिका माता मंदिर, कीर्ति स्तंभ, गोमुख राजस्थान के इतिहास के साथ-साथ उसकी शान का उदाहरण भी पेश करते हैं।

2. कुंभलगढ़ किला(kumbhalgarh fort)

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चित्तौड़गढ़ किले के बाद कुंभलगढ़ किला देश का दूसरा सबसे बड़ा किला है। पश्चिमी राजस्थान में उदयपुर से महज 82 किलोमीटर की दूरी पर कुंभलगढ़ किला मेवाड़ के मशहूर किलों में से एक है, जिसका निर्माण राणा कुंभा ने 15वीं सदी में कराया था।

कुंभलगढ़ किला चारों तरफ से लगभग 36 किलोमीटर लंबी दीवार से घिरा हुआ है, वहीं किले के सामने की दीवार 15 फीट मोटी है। चित्तौड़गढ़ किले की तरह इस किले में भी सात मुख्य द्वार हैं। इस किले में मौजूद 360 से भी ज्यादा हिन्दू और जैन मंदिर किले की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।

अरावली की चोटी पर स्थित कुंभलगढ़ किले से न सिर्फ अरावली पर्वत श्रृंख्लाओं के खूबसूरत नजारों का दीदार किया जा सकता है बल्कि यहां से पश्चमी की तरफ थार रेगिस्तान में रेतों के ऊंचे टीले में नजर आते हैं।

3. रणथंभौर किला (ranthambore fort)

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राजस्थान के सवाई माधवपुर जिले में स्थित रणथंभौर किला चारों तरफ से विशाल रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान(ranthambor national park)से घिरा है। 13वीं शताब्दी तक यह किला चौहान वंश के अधीन रहा, जिसके बाद मुगलों ने इस किले पर अपना अधिपत्य काबिज कर लिया। रणथंभौर का इतिहास इस किले की दीवारों पर लिखा है।

इस किले के भीतर नौलखा दरवाजा, अन्नपूरणा मंदिर सहित कई हिन्दू और जैन मंदिर हैं। वहीं रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान पयर्टकों के बीच खासा मशहूर है।

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4. गागरोन का किला (gagron fort)

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UNESCO की विश्व विरासत सूची में शामिल इस किले को जलदुर्ग के नाम से जाना जाता है। गारोन किले के बाहर सूफी संत मिट्ठे शाह का एक मकबरा मौजूद है, जहां हर साल मोहर्रम के पाक महीने में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इके अलावा यहां किले से महज थोड़ी दूरी पर संत पिपाजी का एक मठ भी स्थित है।

5. आमेर का किला (amer fort)

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राजस्थान की राजधानी जयपुर से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आमेर का किला राजस्थान आने वाले लोगों की पहली पसंद है। आमेर के राजा मान सिंह के अधीन रहा यह किला लाल बलुआ पत्थर और सगमरमर से बना है, जिसमें राजस्थानी वास्तुकला के साथ-साथ मुगल वास्तुकला भी देखने को मिलती है।

आमेर के किले में मुगल दरबार की तरह दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम भी मौजूद है। इसके अलावा आमेर महल के नाम से मशहूर इस किले में शीश महल, जय मंदिर, सुख निवास और शीला देवी मंदिर सहित अनेक राजा-रानियों के अस्तित्व भी देखने को मिलते हैं।

6. जैसलमेर किला (jaisalmer fort)

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राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित यह किला दुनिया के उन अनोखे किलों में से एक है, जिसकी चार दीवारी के भीतर आज भी शहर की एक चौथाई आबादी रहती है। दरअसल आठ सौ साल पहले राजपूत राजा जैसलर द्वारा बनवाए गए इस किले के चारों तरफ कई किलोमीटर तक फैली दीवारों के अंदर ही उनकी प्रजा भी रहती थी। हालांकि 17वीं सदी में जैसलमेर की आबादी बढ़ने के चलते पहली बार लोगों को किले की दीवारों के बाहर बसाया गया।

थार रेगिस्तान के समीप स्थित जैसलमेर किला व्यापार के मुख्य मार्गों के बीच में स्थित था, इसी कड़ी में मशहूर रेशम मार्ग भी जौसलमेर की सरहदों से गुजरता था।

इस किले के भीतर जैन मंदिरों के साथ-साथ किले की दीवारों पर राजस्थानी वास्तुकला और जैन वास्तुकला के मिले-जुले रूप का दीदार होता है। वहीं किले की चोटी से समूचे जैसलमेर शहर को आसानी से देखा जा सकता है।

राजस्थान के महल (palaces in rajasthan)

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सदियों पुरानी राजपूताना विरासत का खूबसूरत नमूना पेश करतारजवाड़ों का देश राजस्थान, महलों के लिए भी खासा मशहूर है। राजा और रानियों के शाही शौक से रुबरु कराते कई महलों को वर्तमान में म्यूजियम और होटलों में तब्दील कर दिया गया है, जिनका लुत्फ उठाने के लिए न सिर्फ यहां देश-विदेश से पयर्टकों का हुजूम लगता है बल्कि डेस्टिनेशन वेडिंग और शाही शादियों के लिए भी यह पूरे देश में मशहूर हैं। हवा महल, उम्मीद भवन, लेक भवन, देवी गढ़ भवन सहित राजस्थान की कई आलीशान इमारतें दुनिया के महंगेहोटलों में से एक है।

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राजस्थान के त्योहार (fairs and festivals in rajasthan)

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राजस्थान की दास्तां महज किलों की दीवारों तक सीमित नहीं है बल्कि यहां का पहनावा, परंपरा, बोली-भाषा और तीज-त्योहारों में भी राजस्थान की अनोखी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। साल की शुरुआत के साथ ही राजस्थान में त्योहारों का सिलसिला शुरु हो जाता है, जो साल के अंत तक चलता रहता है।

त्योहारों की इस फेहरिस्त में ऊंट उत्सव, नागौर उत्सवऔर हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा शामिल है। इसके अलावा गणगौर पूजा, दशहरा, मारवाड़ उत्सव और पुष्कर मेला यहां खासा मशहूर है।

राजस्थान के मशहूर पयर्टन स्थल (tourist places in rajasthan)

राजस्थान के पयर्टक स्थल दुनिया के उन मशहूर पयर्टनों में शामिल हैं, जहां इतिहास के साथ-साथ आधुनिकता का समागम बेहतर तरीके से देखा जा सकता है। पिंक सिटी यानी गुलाबी शहर के नाम से मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर (jaipur) दुनिया के चुनिंदा शहरों में से है, जिसे UNESCO ने विश्व विरासत सूची (unesco world heritage sites) में शामिल किया है।

वहीं जोधपुर (jodhpur) को नीला शहर तो उदयपुर (udaipur) को भारत का वेनिस (venice of india) और झीलों का शहर (city of lakes) कहा जाता है। इसके अलावा अरावली की सबसे ऊंची चोटी पर माउंट आबू (mount abu) राजस्थान के सबसे पसंदीदा हिल स्टेशन (hill stations in rajasthan) है। इसके अलावा अजमेर में स्थित ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, दौसा में मेंहदीपुर बालाजी मंदिर, दिलवारा मंदिर में भी लोगों का भारी जमावड़ी लगता है।

इसी कड़ी में राजस्थान में मौजूद कई राष्ट्रीय उद्यान (national parks in rajasthan) और टाइगर रिजर्व (tiger reserves in rajasthan) में अनोखे पशु-पशियों की भरमार के साथ ही प्रकृति के कई रंग देखने को मिलते हैं।सरिसका टाइगर रिजर्व(sariska tiger reserve), केओलादेव राष्ट्रीय उद्यान (keoladeo national park), रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, केओलादेव घाना पक्षी उद्यान (keoladeoghana bird sanctuary), मुकुंदरा राष्ट्रीय उद्यान (mukundara hills national park) इन्हीं में से एक हैं। इसके अलावा राजस्थान के मरुस्थल राष्ट्रीय उद्यान (desert national park) में खूबसूरत पक्षी सोनचिड़िया (great indian bustard) भी देखने को मिलती है, जो मनमोहक होने के साथ-साथ राजस्थान का राष्ट्रीय पक्षी भी है।

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राजस्थान के पकवान (foods in rajasthan)

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शानदार इतिहास और खूबसूरत वर्तमान के साथ ही राजस्थान लाजवाब पकवानों के लिए भी खासा मशहूर है। किलों, इमारतों, त्योहारों के अलावा यहां के पकवानों में भी शाही दस्तरखां का स्वाद चखा जा सकता है। दाल बाटी चूरमा, बीकानेरी भुजिया और प्याज की कचौड़ी यहां का पसंदीदा नाश्ता है। वहीं खाने के दौरान यहां 56 भोग वाली शाही थाली परोसी जाती है।

इसके अलावा जोधपुर की मावा लस्सी, अलवर का मावा, पुष्कर का माल पुआ, बीकानेर के रसगुल्ले और मारवाड़ी खाने का जायकेदार स्वाद सीधा लोगों के दिल पर दस्तक देता है।

वहीं मिठाईयों में राजस्थान के घेवर, कलाकंद, बाजरे की राब और देसी घी में बना मूंग दाल का स्वादिष्ट हलवा हर किसी को अपना कायल बना देता है।

Reference-
wikipedia, Rajasthan, 4 फ़रवरी 2021

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