अयोध्या (ayodhya) ने अपना एक अलग ही स्थान बनाया हुआ है पुराने समय से लेकर आज तक हमेशा से ही सुर्खियों में बनी रही है। सांस्कृतिक,धार्मिक परम्परा रही हो या भगवान श्री राम की वजह से और उनके निवास राम मंदिर के विवाद की वजह से। अयोध्या, सरयू नदी के तट पर स्थित एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यह हिंदुओं के लिए बहुत खास है। यह शहर, भगवान राम से जुड़ा हुआ है। मान्यतानुसार वह भगवान विष्णु के 7 वें अवतार थे।
प्राचीनतम इतिहास
महाकाव्य रामायण के अनुसार, प्राचीन शहर अयोध्या सूर्यवंश की राजधानी थी, जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। रामायण की पूरी कहानी भगवान राम के इर्द – गिर्द ही घूमती है। इस महाकाव्य में उनके 14 साल के वनवास के बारे में बताया गया है जिसे उन्होने जंगलों में रहकर काटा, और कई मुश्किलों के बाद वह अयोध्या अपने घर वापस आए।
अयोध्या धर्म और सांस्कृतिक की पावन नगरी के रूप में पूरी दुनिया में मशहूर है। अथर्ववेद में इसे देव निर्मित आठ चक्रों और नौ द्वारों वाली स्वर्गिक नगरी के रूप में बताया गया है। मान्यतानुसार प्राचीन अयोध्या का निर्माण महर्षि वशिष्ठ की देख- रेख में विश्वकर्मा जी की सहायता से मनु द्वारा किया गया था।
प्राचीन उत्तर कोसल प्रांत की राजधानी रही अयोध्या को त्रेतायुगीन इछवाकु, सगर, दिलीप, रघु, अज, दशरथ आदि जैसे सोमवंशी राजाओं के शासन का गौरव प्राप्त है। अयोध्या को समय के अनुसार कई नामों से जाना जाता रहा है, कोसलपुरी, अवधपुरी, साकेत। जिसका जिक्र चीनी यात्रियों के यात्रा वृतांत में मिलता है।
ऐसा नहीं हैं कि अयोध्या सिर्फ हिंदुओं के लिए ही ख़ास है। यह जैन, बुद्ध, मुस्लिमों के लिए भी ख़ास हैं। जैन धर्म के पांच तीर्थकारों का जन्म भी यहीं हुआ था इसलिए यह उनके लिए भी खास है। बौद्धों के लिए भी है क्योंकि सम्राट अशोक ने कुछ स्तूप बनवाए थे।
अयोध्या में घूमने वाली प्रमुख जगहें
1. हनुमानगढ़ी
अयोध्या के सबसे देखा जाने वाले स्थलों में से एक है यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। यह मंदिर एक पहाड़ी टीले पर स्थित है, जिससे इसके आसपास का शानदार नज़ारा दिखाई देता है जो किसी का भी मन मोह ले। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी पडेगी। कहते है इस मंदिर के लिए भूमि अवध के नबाव ने दी थी और इसे लगभग दसवीं शताब्दी के मध्य में बनवाया गया था।
हनुमान गढ़ी, वास्तव में एक गुफा मंदिर है। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल हनुमान जी की मूर्ति है जिसमें हनुमान जी, अपनी मां अंजनी की गोद में बालक रूप में लेटे है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी सच्चे दिल से मन्नत मांगी जाती है वो सभी की मन्नतें पूरी होती हैं। इसलिए साल भर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
2. नागेश्वरनाथ मंदिर
यह मंदिर राम की पौढ़ी पर स्थित है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह भगवान शंकर को समर्पित मंदिर है। वैसे नागेश्वर का अर्थ होता है नागों के देवता, जो कि भगवान शिव को माना गया। इस मंदिर में उनकी पूजा की जाती है। मान्यतानुसार एक दिन जब भगवान श्री राम के छोटे पुत्र कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे, तो उनके हाथ का एक कंगन जल में गिर गया। जिसे उन्होने ढूंढने की बहुत कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली।
व्यथित होकर उन्होंने जल को सुखा देने की इच्छा व्यक्त जिससे सभी जीव- जंतु व्याकुल हो गए। तब नागराज ने उन्हें स्वयं वह कंगन लाकर भेंट किया और अपनी पुत्री से विवाह का अनुरोध किया। जिसे उन्होंने ने स्वीकार कर लिया। और उस घटना की स्मृति में, महाराजा कुश ने नागेश्वर नाथ का मंदिर बनवाया था। इस मंदिर में हर साल शिवरात्रि, या अन्य कोई शिव पूजा पर भक्तों की काफी भीड़ रहती है।
3. कनक भवन
पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि जब सीता माता विवाह के पश्चात पहली बार अयोध्या आयी तो भगवान राम की सौतेली माता कैकेयी ने उनको अपना महल भेंट में दिया। बाद में इस मंदिर का परमारा वंश के राजा विक्रमादित्य द्वारा पुननिर्माण कराया था जिसे 1891 में फिर से टीकमगढ़ रियासत की महारानी वृषभानु कुँवारी ने जीर्णोद्धार कराया जो आज भी है। इसकी वास्तुकला अद्भुत है जो किसी का भी मन मोह ले। इसमें सीता माता एवं भगवान राम की सोने के मुकुट वाली मूर्तियां है।
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4. दशरथ भवन
शहर के बीचों -बीच में दशरथ भवन है। माना जाता है, कि यह भगवान राम के पिता और अयोध्या के राजा दशरथ का निवास हुआ करता था। यह एक भव्य महल है जिसको अच्छी तरह से सजाया गया है। भगवान राम का बचपन इसी भवन में बीता जहां वो बाल रूप में अपने चारों भाइयों के साथ खेलते थे।
5. रत्न सिंहासन
यह भवन कनक भवन की दक्षिण दिशा में है। मान्यतानुसार, यहाँ भगवान श्री राम का राज्याभिषेक हुआ था। देखने में यह बहुत भव्य नहीं है किन्तु संस्कृति और परंपरा के लिहाज से इसका एक विशेष महत्व है। ये आपकी यात्रा सूची में शामिल होने का हकदार है।
6. मणिपर्वत
रामायण के अनुसार जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण युद्ध के दौरान घायल हो गये थे तो उन्हें संजीवनी बूटी की जरूरत थी, और हनुमान जी उनके लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे। वह संजीवनी बूटी वाला पूरा पहाड़ ही उठाकर ले आए थे। किवदंतियों के अनुसार, उन्होंने पर्वत- शिला को रख कर विश्राम किया था। तो पहाड़ का छोटा सा हिस्सा टूटकर यहां रह गया था। मणि पर्वत की ऊंचाई 65 फीट है। यह पर्वत कई मंदिरों का घर है।
अगर आप पहाड़ी की चोटी पर खड़े होते है तो पूरे शहर और आसपास के क्षेत्रों का मनोरम दृश्य नजर आता है। दूसरी मान्यतानुसार ,यह माना जाता है कि भगवान बुद्ध, अयोध्या में 6 साल रूके थे और उन्होने मणि पर्वत पर ही अपने शिष्यों को धर्म का ज्ञान दिया था। इस पर्वत पर सम्राट अशोक के द्वारा बनवाया एक स्तूप है। इस पर्वत के पास में ही प्राचीन बौद्ध मठ भी है। श्रावण मास में अयोध्या में होने वाले प्रसिद्ध झूला उत्सव यहीं से होता है।
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7. सीता की रसोई
यह भगवान श्री राम के जन्मस्थान के पास राजकोट के पश्चिम में स्थित है। यह कोई शाही रसोई नहीं एक मंदिर हैं। महज प्राचीन रसोई का हूबहू प्रतिबिम्ब है। हिन्दू धर्म मे मान्यता हैं कि जब कोई नयी दुल्हन घर आती है तो वह शगुन के तौर पर पकवान बनाती है। तो ऐसा माना जाता है कि सीता माता ने यही कुछ बनाया था हालांकि कुछ लोग कहते है कि नहीं बनाया था। फिर भी यह खास है इसमें नकली बर्तन जैसे चकला, बेलन, रोलिंग प्लेट रखे हुए है और मंदिर के एक कोने में चारों भाई भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न एवं उनकी पत्नियों माता सीता, उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति की मूर्तियां रखी हुई है।
8. त्रेता के ठाकुर
त्रेता के ठाकुर अयोध्या में सरयू नदी के किनारे पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है। महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका विजय के उपलक्ष्य में अश्वमेध यज्ञ करवाया था। माना जाता है यह मंदिर ठीक उसी स्थान पर बनवाया गया गया है जहाँ यज्ञ हुआ था। इसे हिमाचल प्रदेश के राजा ने बनवाया था। यह लगभग 300 साल पुराना है और इस मंदिर में भगवान राम की मूर्तियों को भी रखा गया है। साथ मे उनके भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, गुरू वशिष्ठ, राजा सुग्रीव और प्रिय भक्त हनुमान जी की भी मूर्ति भी विराजमान है।
9. राम जन्मभूमि
वैसे तो पूरी अयोध्या को ही भगवान श्री राम जी की जन्म भूमि माना जाता है, परंतु इस शहर में एक ऐसी जगह भी है जहाँ भगवान राम का जन्म हुआ था जो अब एक मंदिर हैं और भगवान राम को समर्पित है। ऐसा माना जाता हैं कि इसे 15वीं शताब्दी में के आस- पास मुगल बादशाह बाबर ने तोड़ के मस्जिद बनवा दी थी जो लगभग 15वीं से 18वीं शताब्दी तक मुस्लिमों का धार्मिक स्थल था उसके बाद धीरे- धीरे विवाद शुरू हो गया।
विवाद को बढ़ता देख तब की तात्कालिक सरकारों ने इसे बंद कर दिया और कुछ समय बाद दोनों समुदाय के लिए खोल दिया परंतु 1949 में कुछ राम जी के भक्तों ने मंदिर में भगवान की मूर्तियां रख दी जिससे विवाद बढ़ गया और वापस फिर से इसे बंद कर दिया। उसके बाद नब्बे का दशक और विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने देशव्यापी रथ यात्रा का आह्वान कर दिया और रथ यात्रा का समाप्ति स्थल अयोध्या चुना।
विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों का जन सैलाब जब अयोध्या पहुँचा तो, अतिउत्साहित या आक्रोशित होकर भीड़ के कुछ लोगों ने बाबरी मस्जिद को विस्फोट करके उड़ा दी। जिसमें कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया और कोर्ट द्वारा दोनों समूह की कमेटी बनाई गई। जिससे आपसी समझदारी से बिना किसी धर्म की भावना को ठेस पहुँचे रास्ता निकाला जाए जिसकी सुनवाई भी कई बार हुई, परंतु दशकों तक कोई फैसला ना हो सका।
9 नवंबर 2019 को देश की सर्वोच न्यायालय ने फैसला हिंदुओ के हक़ में सुना दिया, साथ ही सरकार को आदेश दिया कि मुस्लिम धर्म के लोगों को 5 एकड़ ज़मीन अयोध्या में ही कहीं मस्जिद के लिए दी जाए। और मंदिर की आधारशिला देश के मौजूदा प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त 2020 को रख भी दी है माना जा रहा है कि 2 साल में बनकर तैयार हो जाएगा।
10. राम की पौड़ी
राम की पौड़ी हरिद्वार की हर की पौड़ी की तरह ही हैं किंतु इसकी वास्तविक सीढ़ियाँ बाढ़ में बह गयी हैं जिसे 1984- 1985 फिर से बनाया गया। पहले की तर्ज़ पर इसकी रूपरेखा खींची गई। इसमें आज भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ स्नान करने से पाप धुल जाते हैं।
11. लक्ष्मण किला
यह किला सरयू नदी के किनारे पर ही स्थित है जिसका निर्माण मुबारक अली खां ने कराया था। रसिक सम्प्रदाय के सन्त स्वामी युगलानंद पारद जी महाराज, निर्मली कुंड पर तपस्या करते थे। उनकी मृत्यु के पश्चात दीवान रीवाँ दीनबंधु जी ने इस स्थान पर एक विशाल मंदिर बनवाया, जो आज भी स्थित है।
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12. वाल्मीकि रामायण भवन
यह भवन हिन्दू धर्म की लिए बहुत ख़ास है क्योंकि सम्पूर्ण रामायण के श्लोकों को दीवारों के संगमरमर पर अंकित किया गया हैं। रामायण के 24 हज़ार श्लोक आपको देखने को मिलेंगे। इस भवन के गर्भगृह में भगवान श्री राम के पुत्र लव- कुश की मूर्तियां है। उनके साथ में ही आदी कवि ऋषि वाल्मीकि जी की भी मूर्ति स्थापित है।
13. गुलाब बाड़ी
नवाब शुजा-उद-दौला द्वारा निर्मित, गुलाब बाड़ी उस समय की अन्य शानदार वास्तुकला का हिस्सा है जिसे नवाबों ने लाया था। उनकी पत्नी, बहू बेगम और उनके घर का मकबरा, जिसे मोती महल के नाम से जाना जाता है, अद्वितीय नवाबी वास्तुकला के कुछ अवशेष हैं। चारबाग गार्डन के केंद्र में सही, रंग-बिरंगे गुलाबों की अंतहीन रेखाओं से घिरा यह दो मंजिला मकबरा दो प्रविष्टियों को प्रस्तुत करता है।
गुलाब बाड़ी की 18 वीं शताब्दी की संरचना फव्वारे और हरे-भरे हरियाली के अलावा गुलाब की प्रजातियों की एक विशाल सरणी के साथ शुद्ध नवाब-शैली की वास्तुकला की याद दिलाती है। प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम के तहत सूचीबद्ध, गुलाब बाड़ी राष्ट्रीय विरासत के एक भाग के रूप में संरक्षित है।
14. बहू बेगम का मकबरा
अवधी वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण, बहू बेगम का मकबरा में तीन गुंबद हैं, जो आंतरिक रूप से डिज़ाइन किए गए हैं और अद्भुत रूप से दीवारों और छत पर किए गए हैं। 1816 में, रानी की स्मृति के रूप में इसका निर्माण करवाया गया। उस समय इसकी लागत लगभग तीन लाख रुपए आयी थी।
आज, इसका परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक संरक्षित स्थल है। परिसर के सामने के बगीचों को खूबसूरती से बनाया गया है। यह जगह एक उत्कृष्ट पर्यटन स्थल है। मकबरे के ऊपर से पूरे शहर का शानदार नजारा भी देखा जा सकता है।
समापन
अयोध्या को प्राचीनकाल से ही एक धार्मिक स्थल के रूप में देखा गया है। राम मंदिर के निर्माण कार्य जोरो से चल रहा है और जल्दी ही इसकी पूर्ण होने की कामना करते है।
संपूर्ण विश्व के लोगों को नज़रे इसपर है कि कब मंदिर पूरा हो और लोग भगवान राम के राज्य में उनके दर्शन को पधारे। इससे पर्यटन को भी एक लंबी छलांग मिलने की पूरी उम्मीद है।
Reference-
1/21/2021, ayodhya, wikipedia