Hawa Mahal: Pride and Identity of Jaipur- हवा महल : जयपुर की शान और पहचान

भारत का एक राज्य जिसने अपनी संस्कृति और परंपरा को विश्व स्तर पर ले गया, वो है राजस्थान। यूं तो पूरे राज्य में ऐतिहासिक इमारतों की बाढ़ सी है, लेकिन आज हम एक ऐसे इमारत के गवाह बनेंगे, जो राजस्थान की राजधानी जयपुर की पहचान और एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। हम बात कर रहे हैं, हवा महल की। यह महल शहर के बीचोबीच स्थित है और सालभर देशी और विदेशी पर्यटकों से भरा रहता है।

और हां राजस्थानी ठाठ बाट और मेहमाननवाजी के बारे में तो अवश्य ही सुना होगा आपने। अपनी संस्कृति और विरासत को इस कदर संभाल के रखा है कि उसका अनुभव करने से पर्यटक खुद को रोक नहीं पाते।

मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जयपुर जाते समय उत्सुकता अपने चरम सीमा पर पहुंच गई थी। अब तो बस मन में भाव था कि कब जल्दी से पहुंच जाऊं।

गूगल में मुझे बताया कि मेरे होटल से हवा महल की दूरी मात्र कुछ किलोमीटर की है। फिर क्या था, झट से मैंने ऑटो लिया और कुछ जरूरती सामान अपने छोटे से बैकपैक में डाल कर चल पड़ा। वीकेंड होने के कारण भीड़ कुछ ज्यादा ही थी ऊपर से गर्मी। खैर किसी तरह मैं महल के सामने पहुंचा।

Know a little history- थोड़ा इतिहास जानते हैं

इस शानदार महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह जी द्वारा सन् 1799 में करवाया गया था। इसकी रूपरेखा तय करने का सारा श्रेय उस समय के वास्तुकार उस्ताद लालचंद जी को जाता है। उनकी वास्तुकला की कुशलता इस इमारत में दिखती है।

वे खेतड़ी महल से इतना अधिक प्रभावित हुए कि हूबहू वैसे ही एक महल के निर्माण का फरमान सुना दिया। और इसी बात का जवाब निकला हवा महल। यह महल सिटी पैलेस के विस्तार स्वरूप बनाया गया था, इसलिए इसका कोई मुख्य प्रवेश द्वार नहीं है। सामने से प्रवेश के लिए एक छोटा सा दरवाज़ा है और कोई चाहे तो सिटी पैलेस से होकर भी इसमें प्रवेश कर सकता है।

Why was it created?- क्यों बनाया गया?

हम सभी जानते है कि प्राचीन काल में हमारे समाज में पर्दा प्रथा का प्रचलन बहुत अधिक था। महिलाओं को बाहर जाने की बहुत ही कम अनुमति मिलती थी, और अगर मिलती भी थी तो उनको घूंघट निकालकर अपने चेहरे को छुपाना पड़ता था। राजस्थान में चूंकि प्रथाओं को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी, इसलिए यहां यह कुछ ज्यादा ही इसका पालन किया जाता था।

शाही राजघरानों की महिलाओं के दैनिक हलचल के अवलोकन करने के लिए इसका निर्माण करवाया गया था। इसमें खिड़कियों की मदद से महिलाएं एक तो पर्दा प्रथा का भी पालन करती थी और रोज होने वाली घंटे या उत्सवों को भी देख पाती थीं।

Reason behind the name- नाम के पीछे की वजह

राजस्थान अपने भौगोलिक स्थिति की वजह से एक गर्म प्रदेश की श्रेणी में आता है। गर्मियों के मौसम में सूर्य अपने चरम पर होता है और गर्मी का प्रकोप इतना बढ़ जाता है कि सहना भी मुश्किल हो जाता है।

इस पूरे महल में कुल 953 खिड़कियां इस कदर बनाई गई है कि पूरा महल हवादार है और आप महल के किसी भी कोने में हो, हवा लगातार महसूस होती रहती है। इसीलिए इसको हवा महल या विंड पैलेस बोला जाता है।

ये भी कहा जाता है कि उस समय यह राजघरानों का गर्मी से बचने के लिए एक रिजॉर्ट हुआ करता था, जहां महाराजा कुछ अनमोल और खुशनुमा पल बिताते थे।

953 vents of all sizes- 953 हर आकार के झरोखे

इस महल की एक सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इस महल में कुल 953 खिड़कियां है। आश्चर्य में पड़ गए ना? मैं भी अचंभित हो गया था जब मझे ज्ञात हुआ। इसमें हर आकार के छोटे से लेकर बड़े झरोखे हैं, जिनकी खूबसूरती और मनमोहकता देखते ही बनती है। हर एक खिड़की में बारीकी से कारीगरी की गई है, जो इसको और भी आकर्षक बनाती है। प्रत्येक लघु खिड़कियों में नक्काशीदार बलुआ पत्थर की ग्रिल, फिनाइल और गुंबद हैं। यह अर्ध-अष्टकोणीय खण्डों के द्रव्यमान का आभास देता है, जो स्मारक को अपनी अनूठी पहचान देता है।

Amazing architecture- अद्भुत वास्तुशिल्प

Hawa Mahal: Pride- हवा महल : जयपुर की शान और पहचान

आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी अगर मैं आपको बताऊं की इस महल में कोई नींव ही नहीं है? सोच में पड़ गए ना कि कैसे इतनी विशाल इमारत बिना किसी नींव के खड़ी है। साथ ही इसको गुलाबी रंग दिया गया है, ताकि यह पिंक सिटी को जगजाहिर कर सके।

बाहर से देखने पर यह महल श्रीकृष्ण के मुकुट जैसा दिखता है। लोगों का मानना है कि महाराजा सवाई प्रताप सिंह जी श्री कृष्ण भक्त थे और इसकी झलक इस इमारत में दिखती है।

मुख्य प्रवेश द्वार के पास मैंने देखा कि कुछ औरतें राजस्थानी परिधान पहने फोटो खींचने के लिए एक कतार में खड़ी थी। मैं टिकट खिड़की की ओर अग्रसर हुआ। जैसे ही आप इसके अंदर प्रवेश करते है तो आपका स्वागत करने के लिए एक फव्वारा लगा है।

यह एक पांच मंजिला इमारत है , जिसकी हर मंज़िल की अलग कहानी और अलग महत्व है l हवा महल की संस्कृति और वास्तुकला विरासत हिन्दू राजपूत वास्तुकला और इस्लामिक मुग़ल वास्तुकला का यथार्थ प्रतिबिंब है। राजपूत वास्तुकला में गुम्बदाकार छतरियां स्तंभ कमल पुष्प प्रतिमा के आकार सम्मिलित है। जबकि मुग़ल वास्तुकला में कारीगरी के महीन काम द्वारा पत्थरों को जोडना और मेहराब सम्मिलित हैं।

Inner structure- अंदर की संरचना

जैसा कि मैंने बताया कि हर मंज़िल की अपनी अलग कहानी है। शुरू करते है पहली मंजिल से, जिसको शरद मंदिर बोला जाता है। यहां मुख्य रूप से त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता था। इसके बीचोबीच एक बड़ा सा हॉल है, जिसको हम आंगन बोलते है।

दूसरा मंजिल रतन मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंजिल का मुख्य आकर्षण वो स्थान है जहां दीवारों में लाल, पीले, हरे और गुलाबी जैसे रंगों के कांच लगाए गए हैं। और जब भी सूर्य की किरणें इनपर पड़ती है तो एक रंगीन से वातावरण बन जाता है। वहां फोटो खींचवाने के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई थी।

तीसरी मंजिल वो स्थान है, जहां पर उस समय किसी भी व्यक्ति को जाने की इजाज़त नहीं थी। इसको विचित्र मंदिर बोला जाता है। यहां अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना किया करते थे।

अब बात करते है चौथे मंजिल की जो प्रकाश मंदिर है। इसके नाम के पीछे शायद यही कारण रहा होगा कि यह भरपूर मात्रा में प्रकाश रहता है।

अन्तिम मंजिल हवा मंदिर है, जहां हवा का झोखा इस तरह से अपने चेहरे पर पड़ेगा की आपको बहुत ही ज्यादा ठंडक का एहसास होगा। यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, क्योंकि यहां से जंतर मंतर और नाहरगढ़ किला दिखता है, साथ ही जयपुर शहर भी दिखाई देता है।

Some things to note- कुछ ध्यान देने योग्य बातें

  • इस 5 मंजिला इमारत में किसी भी मंजिल में सिढ़ी नहीं है। हवा महल में सभी मंजिलों में जाने के लिए ढलान किए रास्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • बाहर से देखने पर यह मुकुट और एक उल्टे मधुमक्खी के छत्ते जैसा प्रतीत होता है।
  • यह दुनिया की इकलौती इतनी बड़ी इमारत है जो बिना किसी नींव के बनी है।
  • चूंकि आपको यह ढलान रास्ते पर चलना है, अतः पानी की बोतल और टाइट जूते पहन कर आएं।
  • हवामहल में पांच मंजिला होने के कारण यह 87 डिग्री कोण में बना हुआ है। जो एक आश्चर्य है।
  • इसकी छोटी छोटी जालीदार झरोखों वाली उन्नत दीवार मात्र 8 इंच चौड़ी है। जिस पर पूरी पांच मंजिलें खड़ा होना निर्माण कला की अपनी एक विशिष्टता है।
  • इसे “पैलेस ऑफ़ विंड्स” या “विंड पैलेस” के नाम से भी जाना जाता है।
  • अंदर फोटोग्राफी की अनुमति है।
  • सन् 2006 में इसके नवीनीकरण का जिम्मा यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने लिया।

Ticket rate- टिकट दर

भारतीय पर्यटक – ₹50

भारतीय विद्यार्थी – ₹5

विदेशी पर्यटक – ₹200

विदेशी विद्यार्थी – ₹25

Accommodation options- ठहरने के विकल्प

जैसा कि जयपुर विदेशी पर्यटकों द्वारा घूमा जाने वाला एक मुख्य पर्यटन केंद्र है, इसलिए ठहरने के विकल्पों की भरमार है। मैंने एक हॉस्टल बुक किया था, जिन्होंने राजस्थानी अंदाज़ में रहने को खाट ( बेड) दिया और भोजन के साथ साथ स्वागत भी बिल्कुल रजवाड़ों की तरह।  यहां हॉस्टल भी हैं और पांच सितारा होटल भी। हर पर्यटक अपने हिसाब से आवास का चयन कर सकता है।

How to reach- कैसे पहुंचें

सभी प्रकार के यात्रा के साधनों से जयपुर अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। देश की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 270 किमी और आगरा से दूरी 237 किमी है। प्राइवेट बस के अलावा राज्य परिवहन निगम की बस भी लगातार अंतराल पर संचालित होती है।

मशहूर पर्यटन केंद्र होने के कारण जयपुर देश के सभी कोनों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। जयपुर में तीन मुख्य स्टेशन है – गांधीनगर, दुर्गापुरा और जयपुर जंक्शन।

जयपुर का संगनेर हवाई अड्डा जहां से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ाने होती है, मुख्य शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। यह देश विदेश के तमाम शहरों से भली भांति जुड़ा हुआ है।

Last word- अन्तिम शब्द

पूरा जयपुर शहर ही यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची आता है। इसी बात से आप इस इमारत के महत्व को समझ सकते हैं। हवा महल को जयपुर के प्रतीक इमारत के रूप में भी जाना जाता है। कुल मिलाकर यह एक ऐसी इमारत है जिसको हर यात्री को अपने जयपुर की यात्रा सूची में जरूर ही शामिल करना चाहिए।

यकीन मानिए जब आप इस जगह से रूबरू होंगे तो एक नया ही अनुभव प्राप्त करेंगे जो बहुत ही यादगार होगा। अगर देखा जाए तो राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो देशी से ज्यादा विदेशी पर्यटकों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। विदेशी पर्यटकों की तो जैसे भरमार सी लगी रहती है। तो आप किस चीज का इंतज़ार कर रहे है? पधारिए इस गुलाबी शहर में, जो आपका स्वागत करने को हमेशा तैयार रहता है। अगर आपको हवा महल से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न मन में उठ रहा है, तो बेझिझक नीचे टिप्पणी बॉक्स में पूछे। आपके अनमोल टिप्पणी मझे लेख को और बेहतर बनाने में मदद करेगी।

Reference

नमस्कार, मेरा नाम उत्कर्ष चतुर्वेदी है। मैं एक कहानीकार और हिंदी कंटेंट राइटर हूँ। मैं स्वतंत्र फिल्म निर्माता के रूप में भी काम कर रहा हूँ। मेरी शुरुवाती शिक्षा उत्तर प्रदेश के आगरा में हुई है और उसके बाद मैं दिल्ली आ गया। यहां से मैं अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा हूँ और साथ ही में कंटेंट राइटर के तौर पर काम भी कर रहा हूँ।

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