शिवी राणा का महान बलिदान की कहानी | shivi rana story in hindi | shivi rana ka mahan balidaan ki kahani in hindi
शिवी राणा बहुत महान राजा थे अपनी सच्चाई, न्याय और वचनबद्धता के लिए प्रसिद्ध थे।
एक दिन, देवताओं ने उसकी परीक्षा लेने का निश्चय किया। राजा ने एक बाज को कबूतर पर छपते देखा। कबूतर अपनी जान बचाते हुए इधर उधर छिपने की जगह तलाश कर रहा था। भागते हुए वह कबूतर आकर राजा की गोद में बैठ गया और कहने लगा, “ हे राजन, मेरी जान बचा लीजिए।” राजा ने प्रण किया हुआ था कि जो कोई उस की शरण में आएगा, वे उसकी रक्षा अवश्य करेगा।
शिवी राणा ने कबूतर को अपनी गोद में छिपा लिया।
बाज में यह देखा तो कहने लगा, “ हे राजन, तुमने मेरे शिकार को छुपाया है। मेरा शिकार मुझे दे दो और मुझे अपनी भूख मिटाने दो।” राजा कबूतर की जान को बचाना चाहता था लेकिन बाज को भी उसके शिकार से वंचित नहीं करना चाहता था। वह बाज को कबूतर के बराबर अपना मास देने को तैयार हो गया। बाज राजा की दाहिनी जांघ से मांस लेने को एक शर्त पर तैयार हो गया कि जांघ काटे जाते समय उसकी आखँ से एक भी आंसू ना गिरे। राजा ने सोचा उसका कुछ मांस कटने से उसकी जान तो नहीं जाएगी और कबूतर भी बच जाएगा।
राजा मान गया। कबूतर को तराजू के एक पलड़े पर रखा गया राजा के मांस को दूसरे पलड़े पर रखा गया। राजा अपना मांस काटकर रखता गया लेकिन कबूतर वाला पलड़ा फिर भी भारी रहा। राजा मास कर रहा। पीढ़ा के कारण उसकी एक आंख से आंसू छलक पड़ा। जब बाज ने उसे देखा तो राजा ने बहाना बना दिया कि बाई आंख इसलिए उदास हो रही है क्योंकि उसकी बाई जांग पर मांस नहीं काटा जा रहा है। राजा के यह कहते हैं बात और कबूतर दोनों अदृश्य हो गए। शिवी राणा परीक्षा में पास हो चुका था। देवताओं ने उसे आशीर्वाद दिया।
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