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Samadhan jatak katha in hindi
एक राजा का एक बड़ा राज्य था। एक दिन उसे राज्य- भ्रमण का विचार आया और घूमने निकल पड़ा। जब यह यात्रा से लौटकर अपने महल आया, उसने अपने मंत्रियों से पैरों में दर्द होने की शिकायत की।
राजा का कहना था कि मार्ग में जो कंकड़-पत्थर थे, वे मेरे पैरों में चुभ गए और इसके लिए कुछ इंतजाम करना चाहिए। कुछ देर विचार करने के बाद उसने अपने सैनिकों व मंत्रियों को आदेश दिया कि देश की संपूर्ण सड़कें चमड़े से ढक दी जाएँ।
राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब सकते में आ गए, लेकिन किसी ने भी मना करने की हिम्मत नहीं दिखाई। यह तो निश्चित ही था कि इस काम के लिए बहुत सारे रुपए की जरूरत थी। फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा।
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कुछ देर बाद राजा के एक बुद्धिमान मंत्री ने एक युक्ति निकाली। उसने राजा के पास जाकर डरते हुए कहा कि मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ। अगर आप इतने रुपयों को अनावश्यक रूप से बरबाद न करना चाहें तो एक अच्छी तरकीब मेरे पास है, जिससे आपका काम भी हो जाएगा और अनावश्यक रुपयों की बरबादी भी बच जाएगी।
राजा आश्चर्यचकित था, क्योंकि पहली बार किसी ने उसकी आज्ञा न मानने की हिमाकत की थी। उसने कहा, ‘बताओ क्या है।” मंत्री ने कहा, ‘पूरे देश की सड़कों को चमड़े से ढकने के बजाय आप चमड़े के एक टुकड़े का उपयोगकर अपने पैरों को ही क्यों नहीं ढक लेते।
राजा ने अचरज की दृष्टि से मंत्री को देखा और उसके सुझाव मानते हुए अपने लिए जूते बनवाने का आदेश दे दिया।
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