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prem ki kimat Buddha story in hindi
बुद्ध का अंतिम दिन था, जिस दिन वे भोजन करने एक बहुत गरीब लुहार के यहाँ गए थे। लुहार अत्यंत गरीब था, उसके पास बुद्ध को खिलाने के लिए कुछ नहीं था। बरसात में लकड़ियों पर उगनेवाली छतरीनुमा कुकुरमुत्ते की सब्जी बड़े प्रेम से बना लाया।
जहर से ज्यादा कड़वी सब्जी खाते रहे बुद्ध, वह पूछता रहा कैसी लगी? बुद्ध मुसकाए तो उसने और सब्जी थाली में डाल दी। उसका प्रेम देख बुद्ध मुसकाते थे और पूरी सब्जी खा गए। देह में जहर फैल गया।
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वैद्य बोले, ‘आप जानते थे सब, फिर भी उस लुहार को रोका क्यों नहीं ?”
बुद्ध मुसकाए और बोले, ‘मौत तो एक दिन आनी ही थी, मौत के लिए प्रेम को कैसे रोक देता? मैंने प्रेम को आने दिया, प्रेम को होने दिया और मौत की स्वीकार किया। हानि कुछ ज्यादा नहीं। कल-परसों में मरना ही था, लेकिन प्रेम की कीमत पर जीवन को कैसे नहीं बचा सकता हूँ?”
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