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Man main beej Buddha story in hindi | जातक कथाएँ
एक दिन एक किसान बुद्ध के पास आया और बोला, ‘महाराज, मैं एक साधारण किसान हूँ। बीज बोकर, हल चलाकर अनाज उत्पन्न करता हूँ और तब उसे ग्रहण करता हूँ। किंतु इससे मेरे मन को तसल्ली नहीं मिलती।
कुछ ऐसा करना चाहता हूँ, जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न हो। आप मुझे मार्गदर्शन दीजिए, जिससे मेरे खेत में अमरत्व के फल उत्पन्न होने लगें।’
बात सुनकर बुद्ध मुसकराकर बोले, ‘भले व्यक्ति, तुम्हें अमरत्व का फल तो अवश्य मिल सकता है, किंतु इसके लिए तुम्हें खेत में बीज न बोकर अपने मन में बीज बोने होंगे ?” यह सुनकर किसान हैरानी से बोला, ‘प्रभु, आप यह क्या कह रहे हैं?
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भला मन के बीज बोकर भी फल प्राप्त हो सकते हैं।’ बुद्ध बोले, ‘बिल्कुल हो सकते हैं और इन बीजों से तुम्हें जो फल प्राप्त होंगे, वे वाकई साधारण न होकर अद्भुत होंगे, जो तुम्हारे जीवन को भी सफल बनाएँगे और तुम्हें नेकी की राह दिखाएँगे।’
किसान ने कहा, ‘प्रभु, तब तो मुझे अवश्य बताइए कि मैं मन में बीज कैसे बोऊँ ?’ बुद्ध बोले, ‘तुम मन में विश्वास के बीज बोओ, विवेक का हल चलाओ, ज्ञान के जल से उसे सींचो और उसमें नम्रता का उर्वरक डालो। इससे तुम्हें अमरत्व का फल प्राप्त होगा।
उसे खाकर तुम्हारे सारे दुःख दूर हो जाएँगे और तुम्हें असीम शांति का अनुभव होगा।’
बुद्ध से अमरत्व के फल की प्राप्ति की बात सुनकर किसान की आँखें खुल गईं। वह समझ गया कि अमरत्व का फल सद्विचारों द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
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