jigyasa jatak katha in hindi
बहुत समय पहले की बात बुद्ध अपने शिष्य आनंद के साथ बैठे थे।
एक बार बुद्ध से उनके शिष्य आनंद ने पूछा, ‘भगवान्, मेरे मन में यह बात बहुत बार जाग चुकी है कि आपने आज तक यह नहीं बताया कि मृत्यु के उपरांत क्या होता है?’
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बुद्ध ने जब आनंद की यह बात सुनी तो वह पहले थोड़ मुसकराए, फिर उन्होंने उससे पूछा, ‘पहले मेरी एक बात का जवाब दो।
अगर कोई व्यक्ति कहीं जा रहा हो और अचानक कहीं से आकर उसके शरीर में एक विषबुझा बाण घुस जाए उसे क्या करना चाहिए ?
पहले शरीर में घुसे बाण को हटाना ठीक रहेगा या फिर देखना कि बाण किधर से आया है और किसे लक्ष्यकर मारा गया है।’
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आनंद ने उत्तर दिया, ‘पहले तो शरीर में घुसे बाण को तुरंत निकालना चाहिए, अन्यथा विष पूरे शरीर में फैल जाएगा।’
बुद्ध ने कहा, ‘बिल्कुल ठीक कहा तुमने। अब यह बताओ कि पहले इस जीवन के दुःखों के निवारण का उपाय किया जाए या मृत्यु के बाद की बातों के बारे में सोचा जाए।’
आनंद अब समझ चुका था। उसकी जिज्ञासा शांत हो गई।
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