Pratham sthan jatak katha in hindi
बहुत समय पहले की बात है एक ही सुकूल में रामेश्वर और गोपालेश्वर नाम के दो दोस्त पढ़ते थे। दोनों बहुत होनहार एवं लगनशील थे और हर साल स्कूल में रामेश्वर प्रथम एवं गोपालेश्वर द्वितीय स्थान प्राप्त करता था।
एक बार राम की माँ बीमार पड़ गई, इस कारण राम काफी समय तक स्कूल नहीं जा पाया।
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करीब दो माह बाद जब वह स्कूल गया तो सबको मालूम चला कि रामेश्वर की माँ का देहांत हो गया है, साथ-ही-साथ सब यह सोचने लगे कि इस साल रामेश्वर जरूर परीक्षा में द्वितीय स्थान पर आएगा, परंतु अगले महीने जैसे हो परीक्षाफल आया।
सब यह जानकर हैरान रह गए कि हर बार की तरह ही इस बार भी राम प्रथम आया है।
इसका कारण जानने की उत्सुकता में जब प्रधानाध्यापक ने दोनों कीउत्तर-पुस्तिकाएँ देखीं तो पाया कि गोपाल ने बहुत से ऐसे सवालों के जवाब नहीं लिखे थे, जिनका जवाब कोई भी साधारण विद्यार्थी आसानी से दे सकता था।
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अतः प्रधानाध्यापक ने गोपाल को अपने पास बुलाकर कारण जानना चाहा।
पहले तो गोपाल ने मना किया और बोला कि राम उससे ज्यादा मेहनती है, परंतु जब उसने देखा कि उसकी इस बात को कोई असर नहीं हो रहा, तब उसने सारी बात बता दी कि जब उसे पता चला कि राम की माँ का निधन हो गया है तो उसे इस तरह से सफलता प्राप्त करना अच्छा नहीं लगा, इसलिए उसने जान-बूझकर कई सवालों के जवाब अधूरे छोड़ दिए।
उसकी बात सुनकर प्रधानाध्यापक बोले, ‘भले ही तुम अपनी स्कूली परीक्षा में द्वितीय आए, लेकिन जीवन और दोस्ती की परीक्षा में तुमने प्रथम स्थान प्राप्त किया है।’
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