आम्रपाली – जातक कथाएँ | Jatak Story In Hindi | Amrapali jatak katha in hindi

Amrapali jatak katha in hindi

एक बार तथागत बुद्ध वैशाली पहुँचे। समाचार सुनकर यहाँ की प्रसिद्ध यांगना आंबपाली भी उनके उपदेश सुनने पहुँची।  तथागत वह एक वृक्ष की छाया में बैठे थे और हजारों उपासक उनके उपदेश सुन रहे थे।

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उपदेश समाप्त होने पर आंबपाली ने नतमस्तक होकर तथागत को अपने यहाँ अगले दिन भोजन पर आमंत्रित किया। वह बोली, “तथागत आपके चरण कमलो से इस दासी की कुटिया पवित्र हो जाएगी।”

तथागत ने आंबपाली की प्रार्थना स्वीकार कर ली। वहाँ उपस्थित कुमारों को यह अखरा उन्होंने कहा, “यह वैश्या है, आपके चरणों के योग्य नहीं है। आपके लिए राजमहल प्रस्तुत है।”

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जातक कथाएँ

तथागत के लिए राजा और वेश्या में क्या अंतर है? भागत समदृष्टि है।

मार्ग में खुशी से दीवानी आंबपाली से राजकुमारी ने कहा, आंबपाली, हम आपको एक लाख स्वर्ण मुद्रा देंगे, तू तथागत को कल के भोजन के लिए हमारे यहाँ आने दे।

आंबपाली ने उत्तर दिया, ‘आर्यपुत्री। यह नहीं हो सकता। यदि आप समस्त साम्राज्य भी मुझे दे देते, तो भी में इस निमंत्रण को नहीं बेच सकती। यह गौरव बेचने या अदला-बदली करने की चीज नहीं है।”

आंबपाली ने बुद्ध के प्रति अनुपम श्रद्धा दिखाई और भोजन के बाद अपने आम्र उपवन को बुद्ध और भिक्क्षु संघ के लिए समर्पित कर दिया और स्वयं भी भिक्क्षुणी हो गई। उसका नाम आम्रपाली हो गया।

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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