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राजा रन्तिदेव की कथा | raja rantidev story in hindi | राजा रंतिदेव का महान त्याग | रंतिदेव को मोक्ष मिला | raja rantidev ki kahani in hindi
ब्रह्मा और समस्त देवताओं ने विष्णु से पूछा कि उनका सबसे बड़ा भक्त कौन है। विष्णु ने बताया की दादा रंतिदेव उनका सबसे बड़ा भक्त है। उसने अपना राज्य छोड़कर 48 दिनों तक बिना कुछ खाए पिए विष्णु का नाम जपा था।
रंतिदेव को विश्वास था कि विष्णु सभी मानव जीवन में है। देवताओं ने रंतिदेव की परीक्षा लेने का निश्चय किया की लंबे उपवास के बाद वह अपना भोजन किसी को देता है अथवा नहीं।

जबरन तीतर भोजन करने ही वाला था कि एक ब्राह्मण प्रकट हुआ और उस से भोजन मांगने लगा। रंतिदेव ने उसे अपना आधा भोजन दे दिया। ब्राह्मण उसे आशीर्वाद देता हुआ चला गया। इसी तरह से सभी देवता के रूप बदल बदल कर रंतिदेव के पास गए और उसने भोजन मांगते रहे। रंतिदेव सबको अपना भोजन बांटता रहा। यम उसके सामने एक अस्पृश्य और प्यासे व्यक्ति के रूप में पहुंचे।
रंतिदेव ने शहर उसे अपना पानी दिया। सभी देवता बहुत प्रसन्न हुए। विष्णु भी रंतिदेव के सामने प्रकट हुए और उन्होंने उसे मोक्ष प्रदान कर दिया, जिससे वह सभी सांसारिक दुखों से मुक्त हो गया।
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